उत्तराखंड मुख्यमंत्री का आदेश, जरूरी सेवाओं के कर्मी हड़ताल पर गए तो जाएगी नौकरी
देश में बेकाबू हुई कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर बढ़ता ही जा रहा है। प्रतिदिन नए कोरोना मरीजों और कोविड से मरने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दहशत पैदा कर रही है। सोमवार को देश में कोरोना संक्रमण ने अब तक के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। देश में पिछले 24 घंटों में 2.74 लाख से ज्यादा नए कोरोना मरीज मिले हैं और 1,619 से अधिक लोगों की जिंदगी इस संक्रमण ने लील ली। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने चिकित्सा सहित अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनों पर सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि हड़ताल और आंदोलन करने वाले कर्मचारियों को सेवा से हटाकर नई नियुक्तियों की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने निर्देश दिए कि चिकित्सा और आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत कार्यरत कोई भी कर्मचारी हड़ताल या आंदोलन करते हैं तो उनपर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत तत्काल कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य और आवश्यक सेवाओं में कार्यरत सभी कर्मचारियों से अपेक्षा है कि इस संकट काल में अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन करें। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि हड़ताल और आंदोलनरत कर्मियों को सेवाओं से हटाकर नई नियुक्तियों की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में मुख्य सचिव को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
‘हड़ताल को विशेष अवकाश में करें स्वीकृत’
मांगों को लेकर 55 दिनों तक आंदोलन करने वाले उपनल कर्मचारियों ने इसे विशेष अवकाश में स्वीकृत करने की मांग की है। कर्मचारी सोमवार को सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी से मुलाकात करेंगे। उपनल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री हेमंत रावत ने बताया कि अब सबकी नजर 22 अप्रैल की कैबिनेट पर है।
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सरकार के आश्वासन के बाद ज्यादातर हड़ताली कर्मचारी अपने-अपन स्थानों को लौट चुके हैं। उन्होंने बताया कि कर्मचारी सोमवार से काम पर लौटेंगे। इस दौरान मुख्य संयोजक आंदोलन महेश भट्ट, विनोद गोदियाल, दीपक चौहान, विजय राम खंखरियाल, विपिन सवाल, भावेश जगूड़ी मौजूद रहे।