
भारत के युवाओं को खोखला कर रहा है नशे का बाजार
Drug market : भारत के युवाओं में सबसे बड़ी समस्या इस वक्त नशे का आदि होना है भारत के अंदर युवाओं को उस उम्र में लत लग जा रही है जिस उम्र में कभी भारत के युवा मैदानों में खेलना पसंद करते थे आज कम उम्र के नौजवान अपने हाथों में सिगरेट लिए नजर आ जाते हैं। कहने को तो यह उनका अलग नजरिया है लेकिन असल में यह भारत की युवा पीढ़ी के लिए कड़वा जहर है जो आए दिन लोगों को अपने जाल में लपेटकर नसों के बाजार में उतार रहा है ।

नशे की लत कुछ ऐसी चली है की इन समस्याओं से घबराकर युवा आजकल अपनी जान भी देने लगे लेकिन ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी से पलायन करने के लिए कुछ ऐसे उपाय अपनाते हैं जो उनके जीवन को और अंधेरे में डाल देता है। शराब गांजा भांग चरस अफीम ताड़ी व अन्य नशे भारत में युवाओं के वास्तविक जीवन से पलायन करने की इसी मनोवृति का परिचय है।
युवा नशे की शरण में आकर या तो अपने जीवन की समस्याओं से घबरा जाते हैं और या तो अपने संगी साथियों को देखकर इन्हें अपनाकर पहले से ही अपना मनोबल चौपट कर देते हैं। जिसकी वजह से युवा अपनी संवेदनाएं के साथ साथ भावनाओं व सूज भुज और सोचने विचारने की क्षमता को भी खो जाते हैं।
क्या होता है नशा ?
कोई भी ऐसी वस्तु जिसकी इच्छा हमारा मस्तिष्क करता है लेकिन उससे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है उसी वस्तु को नशा कहा जा सकता है। वैसे तो मानसिक स्थिति को उत्तेजित करने के लिए नींद नशे या विनम्र की हालत में शरीर को ले जाते हैं वह ड्रेस या मां तक दबाए कहलाती है।
कितने प्रकार के होते हैं नशे ?
साइंटिफिक भाषा में कहां जाए तो नशे को दो भागों में बांटा जा सकता है पहला पारंपरिक नशा और दूसरा सिंथेटिक ड्रग्स, जब बात पारंपरिक नशे की होती है तो उसके अंदर तमाकू, अफीम, भुक्की, खैनी, सुल्फा, और शराब जैसे नशीले पदार्थ आते हैं।
वहीं दूसरी ओर जब सिंथेटिक ड्रग्स की बात होती है तो इसके अंदर स्मैक हीरोइन आईएएस कोकीन क्रैक कोकीन एलएसडी मारिजुआना व अन्य तरीके की नशीले पदार्थ शामिल होते हैं भारत के अंदर व विदेशों में यह पदार्थ दवाइयों बनाने के काम आते हैं इसलिए इनकी खेती की जाती है।
क्यों हो जाते हैं युवा नशे के आदी ?
युवा आजकल नशे को फैशन और ट्रेंड के रूप में देखने लगे हैं बढ़ते नशे के प्रचलन के लिए आधुनिक सभ्यताओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ग्लोबलाइजेशन होने के बाद से भारत के अंदर विदेशी गतिविधियों को देखकर भारत के युवा उसको ट्रेंड या क्लास ही समझने लगते हैं जिसमें व्यक्ति यांत्रिक जीवन व्यतीत करता हुआ भीड़ में इस कदर खो जाता है कि उसको ना अपने परिवार का ध्यान रहता है और ना ही अपने विचार।

भारत में नशे को अभिशाप माना गया है, एक ऐसी चीज जिससे इंसान की जिंदगी मौत के घाट उतार सकती है, जिसके बाद परिवार बिखर जाता है व्यक्ति के नशे का आदी होने के कई कारण होते हैं यह कारण व्यक्तिगत परिवारिक समाजिक शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक भी हो सकता है।
फिलहाल हम युवाओं के आदि होने की 5 मुख्य कारणों पर बात करते हैं
1 . माता-पिता की खराब व्यवस्था बच्चों को अकेलेपन से भर देती माता पिता के प्यार से अनजान बच्चे अक्सर नशे के मोड़ पर पहुंच जाते हैं जहां उन्हें नशे में सुकून मिलने लगता है.
2 .युवाओं में नशे का आदी होने का दूसरा कारण है मानसिक रूप से परेशानी, आजकल युवा मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित हो जाते हैं कि उन्हें नशा ही एक ऐसा माध्यम नजर आता है जिसकी मदद से वह अपनी मानसिक पीड़ा को दूर कर सकते हैं।
3.भारत के अंदर एक और मुख्य कारण जो है वह है बेरोजगारी बेरोजगार युवा अपने आपको किसी लायक नहीं समझता है ऐसे में खाली दिमाग शैतान का घर कहा गया है दिन भर घर में खाली एवं बेरोजगार बैठे रहने से व्यक्ति हीन भावना एवं उबा का शिकार हो जाता है और वह मिटाने के लिए वह नशे का सहारा लेने लगता है.
4. पुरानी दुखद घटनाओं को बुलाने के लिए युवा नशे का सहारा लेते हैं।
5 .भारत के अंदर युवाओं में एक myth फैलाया गया है कि ड्रग्स का सेवन करने से इंसान तंदुरुस्त रहता है विशेषकर खिलाड़ी इसी कारण मादक की चपेट में रहते हैं।
युवाओं के नशे पर क्या कहते हैं आंकड़े?
भारत के अंदर नशे के सेवन करने वाले युवाओं के अगर आंकड़ों की बात करी जाए तो आंकड़े काफी हैरान कर देने वाले निकल के सामने आए हैं जी हां ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया की जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार करीब 13% लोग इसका सेवन करते हैं। भारत का युवा एवं बचपन किस तरीके से नशे का शिकार हो रहा है ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया ने अपने आंकड़ों में इस बात को स्पष्ट कर दिया है।
आपको बता दें कि भारत के अंदर तमाकू जैसे नशों का सेवन करने के सबसे ज्यादा आंकड़े हैं यानी सबसे ज्यादा सेवन भारत के अंदर तमाकू जैसे पदार्थों का किया जाता है। अभी से अगर कुछ साल पहले जाए तो 2009 से 2010 के नोबेल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक भारत में तब 12 करोड लोग तंबाकू का सेवन करते थे, अभी क्या करूं में इसकी संख्या क्या होगी इसका अंदाजा लगाना अभी काफी मुश्किल साबित होगा।
हैरान करने वाली बात यह है कि भारत में हर साल करीब 1000000 लोग तंबाकू के पदार्थ के सेवन के कारण अपनी जान गवा देते हैं वहीं 90% फेफड़ों के कैंसर 50% ब्रोंकाइटिस एवं 25% घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान बनके भारत के अंदर सामने आया है।
भारत में क्या है नशे रोकने के उपाय ?
भारत के अंदर अगर नशे को रोका जा सकता है तो उसके लिए सिर्फ सरकार के प्रयासों की जरूरत नहीं है बल्कि यह लड़ाई परिवारिक सामाजिक और सामूहिक संकल्प लेने के बाद ही मुमकिन हो पाएगा नशे को रोकने में सबसे बड़ी समस्या है कि हम सिर्फ जागरूकता पर जोर देते हैं उसकी रोकथाम के प्रयास कम करते हैं शायद यही कारण है कि भारत के अंदर आज युवाओं की हालत यह है जागरूकता से बड़ों को नशे की लत से दूर कर सकती है जबकि रोकथाम बचपन में नशे की लत ना लगे इसके लिए बहुत जरूरी है।