National Sports Day : क्या है ध्यानचंद का असली नाम ? 115 वीं जयंती पर जानें हॉकी के जादूगर के बारे में और भी खास बातें
ये वही ध्यानचंद हैं जिन्होंने हिटलर के ऑफर को ठुकरा दिया था। ध्यानचंद बचपन से ही हॉकी से दूर भागते थे। ध्यानचंद के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उनका प्रोमोशन कर दिया गया और वे लांस नायक बन गए। ध्यानचंद के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। ध्यानचंद को भारत सरकार ने साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। साल 2002 में ध्यानचंद के सम्मान में दिल्ली स्थित नेशनल स्टेडियम का नाम ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया।
कुछ साल पीछे जाएं यानी कि आजादी के समय अधिकतर लोग भारत की पहचान गांधी जी, हॉकी और ध्यानचंद की वजह से करते थे। हॉकी के जादूगर भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की आज 115वीं जयंती है। और आज ही के दिन खेल दिवस (Sports Day) मनाया जाता है।
ध्यानचंद ने भारत के इतिहास को एक नए मुकाम पर पहुंचाया था। उन्हें भारतीय खेल इतिहास का शानदार खिलाड़ी कहा जाना गलत नहीं होगा।
ध्यानचंद फैमिली / लाइफ
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ। ध्यानचंद के पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे और उन्ही के लिए हॉकी खेलते थे। ध्यानचंद ने छठी क्लास तक पढ़ाई की उसके पीछे की वजह उनके पिता का बार-बार ट्रांसफर था। कुछ समय बाद परिवार ने इलाहाबाद छोड़ दिया और झांसी में बस गए थे।
कब किया हॉकी जॉइन
ध्यानचंद के पिता को हॉकी पसंद थी,लेकिन पहलवानी से लगाव था। ध्यानचंद बचपन से ही हॉकी से दूर भागते थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने हॉकी जॉइन की उनके बाद हॉकी उनकी जिंदगी बन गई।
क्या है ध्यानचंद का असली नाम ?
दरअसल ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। आर्मी जॉइन करने के बाद वे अक्सर रात को प्रैक्टिस किया करते थे। उस समय लाइट की कोई खास व्यवस्था नहीं थी इसलिए वे चांद के आने का इंतजार करते थे। ध्यान के चांदनी रात में प्रैक्टिस करने पर उनके दोस्त उन्हें चंद कहने लगे उसके बाद उनका नाम ध्यानचंद कहलाया जाने लगा।
शुरुआत में आर्मी के लिए खेला फिर दुनिया में किया नाम
ध्यानचंद Major Dhyanchand) ने शुरुआत में इंडियन आर्मी के लिए खेला 1926 के बाद वे हॉकी टीम में चुन लिए गए। टीम न्यूजीलैंड गई 18 मैच जीते, 2 ड्रॉ और 1 मैच हारी। ध्यानचंद के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए उनका प्रोमोशन कर दिया गया और वे लांस नायक बन गए।
हिटलर के ऑफर को ठुकरा दिया था
ये वही ध्यानचंद हैं जिन्होंने हिटलर के ऑफर को ठुकरा दिया था। दरअसल हॉकी के जादूगर के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की सेना में सर्वोच्च पद देने की पेशकश की थी, लेकिन ध्यानचंद ने यह कहकर पेशकश ठुकरा दी कि मुझे मेरा देश भारत सबसे अच्छा लगता है।
400 इंटरनेशनल गोल के लिए भी जाने जाते हैं।
ध्यानचंद ने 22 साल भारत के लिए खेला और 400 इंटरनेशनल गोल भी लिए। लोग कहते थे कि जब वो खेलते थे तब गेंद जैसे स्टिक पर ही चिपक गई हो। इस वजह से हॉलैंड में उनकी स्टिक तोड़कर चेक किया गया था। वहीं जापान ने भी इसपर सवाल उठाया था।
ओलंपिक में ध्यानचंद का जलवा
1932 में लॉस एंजिलिस ओलंपिक के फाइनल में भारत ने अमेरिका का 24-1 से हरा गोल्ड मेडल जीता। वहीं टूर्नामेंट में भारत ने 35 गोल किए जिसमें से 25 गोल ध्यानचंद ने अपने नाम किए थे। एक मैच में 24 गोल दागने का 86 साल पुराना रिकॉर्ड भारतीय हॉकी टीम ने 2018 में इंडोनेशिया में खेले गए एशियाई खेलों में हांगकांग को 26-0 से मात देकर तोड़ा।
पुरस्कार- सम्मान
ध्यानचंद के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। ध्यानचंद को भारत सरकार ने साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। साल 2002 में ध्यानचंद के सम्मान में दिल्ली स्थित नेशनल स्टेडियम का नाम ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया।