
एक अच्छा टेनिस प्लेयर कैसे बनें, इस उम्र से ही शुरू कर दें प्रैक्टिस
टेनिस एक ऐसा खेल है जिसे व्यक्तिगत रूप से या डबल्स में खेला जा सकता है, और यह मैदान खिलाड़ियों की संख्या के आधार पर भी बदलता है। यह एक बहुत ही सांस्कृतिक खेल है जो पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त है और इसमें रोजर फेडरर या राफेल नडाल जैसे नाम हैं जो यहां तक कि उन लोगों को भी नहीं जानते हैं जो खेल के बारे में जानते हैं या उनका पालन नहीं करते हैं।
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लिएंडर पेस, महेश भूपति, सानिया मिर्जा का नाम सामने आते ही जिक्र होता है टेनिस का। इंडिया में टेनिस बूम शुरू हुआ 1996 में, जब ओलिंपिक्स में पेस ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह ब्रॉन्ज मेडल 1952 के बाद किसी इंडियन का पहला पर्सनल ओलिंपिक मेडल था। इसके बाद सानिया मिर्जा ने टेनिस को काफी आगे बढ़ाया, जो विमिंस डबल्स में आज दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी हैं।

इन सबसे प्रेरित कई पैरंट्स अपने बच्चों को टेनिस खेलते देखना चाहते हैं। आधुनिक टेनिस खेल इंग्लैंड के साथ जुड़ा हुआ है, और वास्तव में यह देश था कि इस खेल को नए दर्शकों तक बढ़ाया और इसे आज के रूप में लोकप्रिय बना दिया, इस प्रकार का विंबलडन टूर्नामेंट का प्रमाण है, जो सबसे पुराना टूर्नामेंट है दुनिया के, 1877 से लंदन में जगह ले रही है.
क्या है टेनिस
टेनिस कोर्ट पर खेला जाने वाला एक रैकेट गेम है। यह दो या चार खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है। इसमें वही बॉल यूज होती है जिससे छोटे बच्चे गली में क्रिकेट खेलते हैं। टेनिस तीन फॉर्मेट्स में खेला जाता है: सिंगल्स, डबल्स और मिक्स्ड डबल्स।
1. सिंगल्स: कोर्ट के दोनों तरफ से एक-एक प्लेयर खेलते हैं।
2. डबल्स: कोर्ट के दोनों तरफ दो-दो (विमिन या मेन) प्लेयर्स की टीम खेलती है।
3. मिक्स्ड डबल्स: कोर्ट के दोनों तरफ की टीमों में एक मेन और एक वुमेन की टीम होती है।
कैसे मिलते हैं पॉइंट
गेम में दो या तीन सेट होते हैं। इसमें जो खिलाड़ी पहले 6 पॉइंट बना लेता है, वह सेट जीत जाता है। जो दो सेट पहले जीत लेता है, वह मैच का विनर होता है। एक पॉइंट में भी 15-15 और फिर 10 पॉइंट मिलते हैं। जिस प्लेयर के 40 पॉइंट हो जाते हैं, वह फिर गेम पॉइंट लेने की कोशिश करता है। अगर दोनों प्लेयर्स के 40-40 पॉइंट हो जाएं तो इसे ड्यूस कहते हैं। इस स्थिति में जो प्लेयर पहले पॉइंट बना लेता है, उसे एडवांटेज मिल जाता है। एडवांटेज के बाद अगर उसने एक बार और पॉइंट बना लिया तो वह गेम जीत जाएगा लेकिन अगर दूसरे प्लेयर ने पॉइंट बना लिए तो फिर वही स्थिति हो जाएगी। फिर एडवांटेज और गेम पॉइंट के आधार पर गेम जीतना होगा। ज्यादा गेम जीतने वाला प्लेयर सेट और फिर मैच जीत जाता है।
टेनिस और टेबल टेनिस में क्या अंतर है
टेनिस और टेबल टेनिस दोनों ही रैकेट और बॉल से खेले जाने वाले अत्यंत रोमांचक और प्रतिस्पर्धात्मक खेल हैं जो दुनियां के अधिकांश देशों में लोकप्रिय हैं। दोनों ही खेलों में रैकेट, बॉल, नेट और खिलाडियों की संख्या की को देखा जाय तो एक जैसे लगते हैं किन्तु वास्तव में टेनिस और टेबल टेनिस दो अलग अलग खेल हैं और दोनों की प्रकृति, खेल का तरीका, स्कोरिंग सबकुछ अलग हैं। टेनिस और टेबल टेनिस दोनों ही खिलाडियों की शारीरिक दक्षता के साथ साथ मानसिक दृढ़ता,कॉन्सेंट्रेशन और तीव्र प्रतिक्रियात्मकता की उत्कृष्टता को परखता है अपने इन्ही गुणों की बदौलत खिलाडी अपने श्रेष्ठता को साबित करता है। इस पोस्ट में इन्हीं दो खेलों टेनिस और टेबल टेनिस के बारे में हम पढ़ेंगे और टेनिस और टेबल टेनिस में क्या अंतर है।
टेनिस का खेल
टेनिस पुरे विश्व में लोकप्रिय एक प्रतिष्ठित और रोमांचक खेल है। यह रैकेट और टेनिस बॉल के साथ खेला जाने वाला एक आउटडोर गेम है जिसे सिंगल या डबल फॉर्मेट में खेला जाता है। टेनिस का खेल दुनिया भर में खेला जाता है और यह ओलिंपिक खेलों की भी एक महत्वपूर्ण स्पर्धा है। टेनिस ग्रास कोर्ट और क्ले कोर्ट दोनों में खेला जाता है। पुरे विश्व में इस खेल के कई टूर्नामेंट आयोजित किये जाते हैं जिनमे ऑस्ट्रेलियन ओपन, विंबलडन, फ्रेंच ओपन और यूएस ओपन सबसे बड़ी और मशहूर टूर्नामेंट हैं। इन्हे ग्रैंड स्लैम कहा जाता है। टेनिस खेलने वाले हर खिलाडी का सपना इन प्रतियोगिताएं में हिस्सा लेना होता है।
टेनिस का रैकेट और कोर्ट
इसका खेल ग्रास कोर्ट या क्ले कोर्ट में खेला जाता है। इसे खेलने के लिए रैकेट और बॉल की आवश्यकता होती है। इसका रैकेट तारों से बुना हुआ होता है और बॉल रबर की बानी हुई एक खोखली गेंद होती है। टेनिस के कोर्ट की लम्बाई 78 फ़ीट और चौड़ाई 27 फ़ीट होती है। चौड़ाई डबल्स मुकाबलों में लिए 36 फ़ीट रखी जाती है। टेनिस के बॉल का व्यास 65.41 से 68.58 मिमी के बीच होता है जबकि इसका वजन 56.0 से 59.4 ग्राम के बीच होता है। टेनिस के रैकेट की अधिकतम लम्बाई 29 इंच और चौड़ाई 12.5 इंच होती है। टेनिस के कोर्ट के ठीक बीच में एक जाल बंधा होता है।
टेनिस कैसे खेला जाता है
इसका खेल सिंगल या डबल्स मुकाबलों में खेला जाता है। सिंगल मुकाबलों में नेट के दोनों ओर एक एक खिलाडी होते हैं जबकि डबल्स में दो दो। कई बार एक महिला और एक पुरुष खिलाडियों के बीच मुकाबला होता है जिसे मिक्स्ड डबल्स कहते हैं। इसको खेलते समय बॉल को प्रतिद्वंदी खिलाडी के पाले में हिट किया जाता है जहाँ प्रतिद्वंदी खिलाडी उसे वापस हिट करता है। इस क्रम में गेंद जमीन पर टप्पा खा सकती है किन्तु यदि खिलाडी गेंद वापस दूसरे पाले में भेजने में असफल होता है तो सामने वाले खिलाडी को एक पॉइंट मिल जाता है। टेनिस के खेल में स्कोर लव, 15,30,40 के क्रम में गिना जाता है। तीन सेट के खेल में अधिकतम जीतने वाला खिलाडी विजेता होता है।
किस उम्र में करें शुरुआत
इसको शुरू करने की कोई तय उम्र नहीं है। इसे 3 साल से लेकर 13 साल तक की उम्र में कभी भी शुरू कराया जा सकता है। सबसे जरूरी चीज यह है कि बच्चे पर किसी तरह का प्रेशर न डालें। उसे गेम एन्जॉय करने दें। बच्चा बहुत छोटा है तो शुरुआत में आप टेनिस बॉल को कहीं टांगकर रैकेट से उसे हिट करने को बोल सकते हैं।
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धीरे-धीरे जब उसे मजा आने लगे तो उसे किसी अकैडमी में डाल सकते हैं। यूएस असोसिएशन का मानना है कि जितनी जल्दी शुरुआत की जाए, उतना अच्छा रहता है क्योंकि मसल्स और लिगामेंट्स जब शेप में आने शुरू होते हैं तो उस दौरान शुरू की गई ट्रेनिंग आगे के करियर में काफी फायदेमंद होती है। इससे मसल्स और लिगामेंट्स को शुरूआत में ही मजबूती मिलती है, जो बच्चे को आगे जाकर मजबूती देने के साथ-साथ चोट से भी बचाती है। जल्दी शुरू करने वालों की स्किल्स और बॉडी, दोनों ज्यादा मजबूत होते हैं। वैसे शुरू करने वाले बच्चे का हाथ और आंख का तालमेल अच्छा हो, फुर्ती हो और हाथ मजबूत हो तो बेहतर है।
ज्यादातर कोचों का मानना है कि प्लेयर्स गिफ्टेड होते हैं इसलिए सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि आपका बच्चा कैसा खिलाड़ी है? अगर वह औसत खिलाड़ी है तो उस पर पैसा और वक्त, दोनों खर्च करने से बचें। टेनिस में ऐवरेज प्लेयर के स्टार बनने के चांस बेहद कम होते हैं। यह बात अकैडमी और कोच बखूबी जानते हैं और अक्सर गिफ्टेड बच्चों को फ्री में अपने पास रख लेते हैं या फिर फीस में काफी डिस्काउंट देते हैं।
कैसे पहचानें सही अकैडमी
– यह बात जरूर चेक करें कि कौन-सी अकैडमी प्रचार पर धुआंधार खर्च कर रही है क्योंकि अगर वह अकैडमी इतनी ही अच्छी है तो उसका काम बोलना चाहिए, न कि उसकी पब्लिसिटी। अगर अकैडमी के कोच और उसकी सुविधाएं अच्छी हैं तो वह अंधाधुंध प्रचार नहीं करेगी। ऐड में ज्यादा दिखने वाली अकैडमी के चक्कर में न ही पड़ें तो बेहतर है।