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हृदय योजना

हृदय योजना : किसी देश की विरासत उसके भूतकाल के बारे में सभी को बताया करती है। कभी-कभी तो ये विरासत ही इतनी खूबसूरत होती है कि भूत भविष्य भूल कर लोग उनमें मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। हमारे देश मैं जितनी भी चीजें मौजूद है जो कि हमारे पूर्वजों द्वारा बनाई गई हैं और अभी भी संरक्षित हैं उन्हें हम विरासत कहते हैं। हम लोग यह भी कह सकते हैं कि हमारी विरासत हमारी पहचान भी बताती है। इसी वजह से हम को हमारी विरासत को संरक्षित करके रखना अति आवश्यक होता है।

भले ही इसके लिए कई कार्य पहले से ही होते हैं लेकिन इसमें हमारी सहभागिता भी होना आवश्यक है। इसीलिए आज हम आपको ऐसे ही योजना के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि हमारे विरासत को संरक्षित करने में काम करती हैं । इस योजना का नाम है “हृदय योजना”। वैसे तो नाम से यह योजना हृदय योजना है लेकिन इसका हमारे हृदय या फिर हमारे स्वास्थ्य से कोई भी संबंध नहीं है। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में।

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क्या है हृदय योजना?
जैसा कि हमने पहले भी कहा कि हृदय योजना का हृदय या स्वास्थ्य से कोई भी संबंध नहीं है। हृदय योजना का यहां पर अर्थ है– हेरिटेज सिटी डेवलप्मेंट एंड ओगमेंटेशन योजना  (Heritage City Devolepment and Augmentation Yojana)।यह योजना शहरी विकास मंत्रालय के अधीन रहती है। इस योजना की शुरुआत देश की सांस्कृतिक विरासतों के विकास के लिए 21 जनवरी 2015 को हुई थी। इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटशन योजना का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में विरासत को बचाना और उनका संरक्षण करना है।
इस योजना के तहत चार साल में सभी प्रोजेक्टस को पूरा किया जाएगा। इन प्रोजेक्ट्स के लिए मोदी सरकार ने 500 करोड़ रुपये का बजट अलॉट यानी की तय किया है।

कौन से शहर हैं शामिल?
इस योजना को कई चरणों में बांटा गया है। पहले चरण की योजना में 12 शहरों को सम्मिलित किया गया है। इसके अनुसार जिन 12 शहरों का उल्लेख किया गया है सबसे पहले उन शहरों से ही कार्य की शुरुआत की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत जो पहले 12 शहर थे वह कुछ इस प्रकार है–अजमेर, अमरावती, अमृतसर, बादामी, द्वाराका, गया, कांचीपुरम, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेलंकन्नी और वारंगल।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने इन सभी 12 शहरों के लिए भी अलग अलग बजट तैयार किए थे।अजमेर के लिए 40.04 करोड़,अमरावती के लिए 22.26 करोड़,अमृतसर के लिए 69.31करोड़, बादामी के लिए 22.26 करोड़, द्वारका के लिए 22.26 करोड़, गया के लिए 40.04 करोड़, कांचीपुरम के लिए 23.04 करोड़, मथुरा के लिए 40.04 करोड़, पूरी के लिए 22.54 करोड़, वाराणसी के लिए 89.31करोड़, वेललंकिनी के लिए 22.26 करोड़ और वारंगल के लिए 40.54 करोड़

 क्या होगा काम?
हृदय योजना में देश के विरासत स्थलों को संरक्षित करने की योजना बनाई गई है। यह योजना विदेशी पर्यटकों ही नहीं बल्कि स्वदेशी पर्यटकों में भारत के भ्रमण के प्रति आकर्षण पैदा करेगी |
ह्दय योजना के तहत देश के मुख्य विरासत स्थानों के पुराने मंदिरों, घाट और प्रमुख स्मारकों के विकास के लिए काम किया जाएगा ताकि वहां पर पर्यटकों का आकर्षण बढ़ सके।इसी के साथ ऊपर चयनित किए गए 12 शहर सभी धार्मिक रूप में काफी महत्वपूर्ण हैं और इसी वजह से इनको पहले चरण में रखा गया ।

विकास के मामले में इन शहरों को आगे बढ़ाना वो भी इन शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बदल कर , इस योजना का ही उद्देश्य है।इसी के साथ इसमें शहरों की सड़कें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, होटल्स, शौचालय की व्यवस्था, नगर विकास पर भी काम किया जाएगा।एटीहासिक इमारतों में जल प्रबंधन, साफ सफाई, बिजली सप्लाई, पर्यटन सुविधा केंद्र जैसी सुविधाओं को दुरुस्त भी किया जाएगा।

डिजिटलाइजेशन और हृदय
डिजिटलाइजेशन यानी की इलेक्ट्रॉनिक्स माध्यम से देश की जनता तक सूचना पहुंचना। भारत की सरकार ने देश की जनता को इलेक्ट्रॉनिक्स के द्वारा सभी सूचना पहुंचाने के लिए डिजिटल इंडिया (Digital India) की शुरुवात की थी। देश में हर सरकारी विभाग के बारे में जनता को नहीं पता होता है और इसीलिए जनता को सरकार के द्वारा बनाए गए हर योजना से वाकिफ करवाने के लिए डिजिटल इंडिया की शुरुआत हुई।

इसी डिजिटल इंडिया की मदद से पर्यटन में भी काफी बदलाव आया है। शहर के हर पर्यटन स्थल और मंदिरों को डिजिटलाइजेशन के जरिए एक दूसरे से जोड़े जाने की बात सामने आई है। डिजिटल मुहीम से पर्यटकों को हर स्थल की जानकारी आसानी से डिजीटल तौर पर मुहैया कराई जाएगी। इसी मदद से कोई भी पर्यटन स्थल के बारे में कैसे जानकारी प्राप्त कर सकता है और साथ ही साथ देश में कहीं भी घूम सकता है। लोग अब विदेशों में बैठकर काशी के मंदिरों, पर्यटन स्थलों को समझ पाएंगे जिससे काशी आने पर घूमने में आसानी होगी।

उदाहरण के तौर पर जैसे पूर्णागिरि एक धार्मिक स्थल है जहां पर साल भर में कई श्रद्धालु अपनी श्रद्धा लेकर आते हैं। इस धार्मिक स्थल के बारे में किसी को पहले से ज्यादा जानकारी नहीं होती लेकिन जो लोग पहले ही इसके बारे में इंटरनेट से पढ़ चुके होते हैं या फिर ऑनलाइन इसे देख चुके होते हैं तो इसके बारे में पहले से ही जानकारी रखते हैं। इसकी मदद से उन्हें घूमने या दर्शन करने में ज्यादा आसानी होती है।

कहां है काम में चुनौती?
हृदय योजना की शुरुआत तो काफी अच्छे से हुई थी लेकिन हर योजना की तरह धीरे-धीरे इस योजना की गति भी धीमी होती जा रही है। इस योजना में चयन किए गए कई ऐसे शहर है जो कि अभी भी और विकसित है या फिर कहां जाएं जिनमें अभी तक पूर्ण तरीके से विकास नहीं हुआ है और वहां के विरासत अभी भी खराब हालत में बनी हुई है ।

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देश से चुने गए 12 शहरों में राजस्थान से एकमात्र अजमेर शहर की हालत भी कुछ ऐसी ही दिखाई पड़ रही है।अजमेर के काम की बात करें तो अब तक मात्र 24 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है। योजना के अनुसार यह काम नवंबर 2018 तक समाप्त हो जाना चाहिए था लेकिन काम की धीमी गति को देखकर लगता है कि अब यह आगे बढ़ने में भी सक्षम नहीं है।

ऐसी ही कई और धरोहरें भी है जिनके लिए अभी बहुत सारा काम करना बाकी है। वैसे तो इसके लिए काफी ज्यादा बजट अलॉट किया गया था लेकिन उसमें से कुछ ही पैसा छोड़ा गया है। फिलहाल तो अब कोरोला वायरस की वजह से भी यह काम रुका हुआ है। अब आगे इस काम के लिए सरकार क्या कदम उठाती है यह तो वक्त ही बताएगा।

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