
पंजाब में अमरिंदर ही रहेंगे कैप्टन, क्या सिद्धू को मिलेगी डिप्टी सीएम की कुर्सी?
पंजाब में सियासी घमासान के बाद कांग्रेस ने 3 सदस्यों की कमेटी का गठन किया था, जिन्हें मसले पर बैठक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी इसके बाद कमेटी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बैठक की थी वही मसले को सुलझाने का पूरा प्रयास भी किया था इसके बाद कमेटी को रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी थी जो उन्होंने आज सौंप दी है आपको बता दें कि पंजाब में कांग्रेस के कप्तान अमरिंदर सिंह ही रहेंगे कांग्रेस के 3 सदस्य कमेटी ने अपनी रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी है। जानकारी सामने आई है कि कमेटी द्वारा जो रिपोर्ट सौंपी गई है सुबह 4 पन्ने की है।

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आपको इस बात की जानकारी हो की पंजाब में जारी घमासान को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जयप्रकाश अग्रवाल की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब में तमाम विधायकों ने मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर विश्वास जताया है इतना ही नहीं विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने की बातें कही है हालांकि यह बात भी सच है कि पंजाब के मुख्यमंत्री की विधायकों से दूरी और फोन पर ना उपलब्ध होने को लेकर काफी शिकायतें खबरों में आई हैं लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने अपनी सफाई में कोरोना का हवाला दिया है।
बताया जा रहा है कि आलाकमान को जो रिपोर्ट सौंपी गई है उसके अनुसार तमाम विधायकों से बातचीत की गई है लेकिन कैप्टन के खिलाफ कोई गुटबाजी देखने को नहीं मिली ना ही नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में विधायकों का कोई ग्रुप एकजुट हो तो दिखाई दिया लेकिन कमेटी का यह भी मानना है कि सिद्धू की नाराजगी को भी पार्टी को दूर करना चाहिए ।सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि प्रदेश में संगठन को लेकर फेरबदल की जरूरत पर भी कमेटी ने जोर दिया है।
डिप्टी सीएम बन सकते हैं नवजोत सिंह सिद्धू
वही एक खबर और पंजाब की जोरों पर चल रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू को या तो उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है या फिर अभियान समिति का अध्यक्ष क्योंकि अमरिंदर सिंह ने उन्हें पीसीसी प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया है आपको बता दें कि पीसीसी प्रमुख वह व्यक्ति होगा जो सभी गुटों को स्वीकार्य होगा।
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क्योंकि इस वक्त सुनील जाखड़ पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भले ही उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया हो लेकिन उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी गई लगभग 1000 ऐसे पद है जो खाली पड़े हुए हैं और चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को तवज्जो देते हुए उनको भरा जाएगा ऐसा कमिटी ने सुझाव दिया है। प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी कमेटी बहुत खुश नहीं है. दो साल से प्रदेश में संगठन की निष्क्रियता एक बड़ी चिंता की वजह है. ऐसे में शायद पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बदला जा सकता है. संगठन में नाराज़ नेता और कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए सरकारी सोसायटी में भी नियुक्ति का सुझाव दिया है.