
जानें पृथ्वी शॉ का बिहार से टीम इंडिया में जगह बनाने तक का सफर
क्रिकेट जगत में रोज ना जाने कितने नए खिलाड़ी आते रहते हैं. इन्हीं खिलाड़ी में से कई खिलाड़ी अपनी मेहनत और किस्मत के दम पर क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक पहचान बनाने में कामयाब हो जाते हैं. वहीं कुछ खिलाड़ी ऐसा मुकाम पाने में असफल रह जाते हैं. भारत में हर साल ना जाने कितने बच्चे भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन कुछ ही बच्चे ये करने में सफल हो पाते हैं. वहीं आज हम आपको एक ऐसे ही नए खिलाड़ी के जीवन जुड़ी बातों का वर्णन करने जा रहे हैं. जिसने अपनी मेहनत के दम पर महज 14 साल की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में कई रिकॉर्ड बना लिए है. भारत के युवा सनसनी पृथ्वी पंकज शॉ का जन्म 9 नवंबर सन् 1999 में बिहार के गया में हुआ था।
शॉ दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज हैं, उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने साल 2018 में हुए अंडर-19 विश्वकप में जीत दर्ज की थी। सचिन तेंदुलकर के बाद पृथ्वी शॉ भारत के दूसरे सबसे युवा बल्लेबाज हैं, जिसने टेस्ट क्रिकेट में शतक ठोका है। 4 अक्टूबर साल 2018 को शॉ ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में ही शतकीय पारी खेली थी। इस तरह ऐसा करने वाले सबसे युवा भारतीय हैं।
शुरूआती सफर व निजी जीवन
बिहार के गया में पैदा हुए शॉ के पिता का नाम पंकज गुप्ता है, जिन्होंने मुंबई आने के बाद अपना सरनेम शॉ कर लिया था। पृथ्वी के दादा का नाम अशोक गुप्ता है, उनके मुताबिक मानपुर में व्यापारिक नुकसान झेलने की वजह से पृथ्वी के पिता मुंबई काम की तलाश में आए थे। जहां साल 2010 में एएपी एटरटेनमेंट ने उन्हें और उनके पिता को मुंबई बुलाया। जिसकी मदद से शॉ को क्रिकेटिंग एजूकेशन मिली और बाद में उन्हें इंडियन ऑयल की तरफ से स्पॉन्सरशिप भी मिला।

शॉ के ऊपर एक डॉक्युमेंट्री बियॉन्ड ऑल बॉउंड्रीज भी बन चुकी है। इसके अलावा वह क्रिकेट की शिक्षा के लिए दो बार इंग्लैंड भी जा चुके हैं। इसके अलावा उन्हें क्रिकेट सामग्री बनाने वाली कंपनी एसजी ने 36 लाख रुपए का कॉन्ट्रैक्ट किया था। जो पहले सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवगा जैसे दिग्गजों के साथ करार कर चुकी हैं।
4 साल की उम्र में मां को खो दिया
पृथ्वी शॉ ने चार साल की उम्र में ही अपनी मां को खो दिया। इसके बाद उनके पिता पंकज शॉ ने ही उन्हें संभाला और कई परेशानियों का सामना करते हुए बेटे के सपने को पूरा किया। हालांकि इस दौरान पृथ्वी ने भी कड़ी मेहनत की और पिता के संघर्ष को बेकार नहीं जाने दिया।
रोज करते थे 140 किलोमीटर का सफर
मां की मौत के बाद पृथ्वी के पिता ने उन्हें क्रिकेट एकेडमी में डाल दिया, लेकिन ट्रेनिंग के लिए उन्हें रोज करीब 140 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी थी। पृथ्वी शॉ मुंबई के विरार में रहते थे और रोज ट्रेनिंग के लिए बांद्रा के एमआईजी ग्राउंड जाते थे।
पिता ने पृथ्वी के नाम कर दी अपनी जिंदगी
पृथ्वी को क्रिकेटर बनाने के लिए उनके पिता ने अपनी पूरी जिंदगी बेटे के नाम कर दी। वह रोज सुबह साढ़े तीन बजे उठकर बेटे के लिए खाना बनाते थे और फिर सुबह साढ़े चार बजे पृथ्वी को विरार से बांद्रा लेकर जाते थे। पृथ्वी जब पूरे दिन प्रैक्टिस करते थे, तब उनके पिता पेड़ की छांव में बैठे रहते थे। इसके बाद शाम को दोनों घर पहुंचते थे और खाना खाने के बाद साढ़े 9 बजे तक सो जाते थे। कई सालों तक दोनों के लिए यही डेली रूटीन था।
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पिता ने बेटे से लिए बेच दी दुकान
पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) के पिता पंकज शॉ ने बेटे के सपने को पूरा करने और उसे समय देने के लिए अपनी दुकान बेच दी। दरअसल, पृथ्वी के पिता कपड़ो की दुकान चलाते थे, जो सूरत और बड़ौदा तक लोकप्रिय हो चुकी थी। लेकिन पृथ्वी को ट्रेनिंग दिलाने के लिए उन्होंने अपनी दुकान बेच दी। पिता ने अपने करियर और पर्सनल लाइफ से समझौता किया। कई बार उन्हें पैसों की कमी का भी सामना करना पड़ा।
अर्जुन तेंदुलकर के साथ ले चुके हैं ट्रेनिंग
साल 2012 व 2013 में शॉ ने अपनी कप्तानी में रिजवी स्प्रिंगफील्ड को दो खिताब दिलाए। साल 2012 में उन्होंने सेमीफाइनल में 155 रन और फाइनल में 174 रन की पारी खेली थी। एमआई क्रिकेट क्लब में उनके साथ सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर भी ट्रेनिंग लेते थे।
इंग्लैंड छाए शॉ
अप्रैल साल 2012 में पृथ्वी शॉ इंग्लैंड में चैडल हम स्कूल, मैनचेस्टर के लिए खेलने के गए थे। जहां उन्होंने दो महीनों में 1446 रन बनाए, जिसमें अपने डेब्यू में उन्होंने शतकीय पारी खेली थी। उनका औसत 84 का था। इसके अलावा शॉ ने 68 विकेट भी लिए थे।
प्रथम श्रेणी में डेब्यू मुकाबले में ठोका शतक
पृथ्वी शॉ ने साल 2016-17 के रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में मुंबई की तरफ से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था। जहां दूसरी पारी में शतकीय पारी खेलने की वजह से वह मैन ऑफ द मैच चुने गए। उसके बाद दिलीप टॉफी में शॉ ने डेब्यू मैच में ही शतक बनाया और सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड की बराबरी की। दिसंबर साल 2017 में उन्हें भारतीय अंडर-19 टीम का कप्तान बनाया गया। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने विश्वकप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से मात देकर चौथी बार खिताब पर कब्जा किया।
8 महीने का लगा बैन
साल 2018 में जहां पृथ्वी शॉ को 5 ब्रेकआउट स्टार्स के रूप में आईसीसी ने चुना। वहीं साल 2019 की जुलाई में बीसीसीआई ने शॉ को डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने के चलते 8 महीने के बैक-डेट बैन लगाया। शॉ ने प्रतिबंधित पदार्थ वाली कफ-सीरप दवा का इस्तेमाल किया था। सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट के दौरान उनके यूरीन का सैंपल लिया गया था और वह दोषी पाए गए थे।
शॉ के बढ़ते कदम
लिस्ट ए में पृथ्वी शॉ ने साल 2016-17 विजय हजारे ट्रॉफी में किया था। 19 जून साल 2018 में शॉ ने लीसेस्टरशायर के खिलाफ अपना पहला लिस्ट ए शतक बनाया था। साल 2018 में देवधर ट्रॉफी के लिए उन्हें भारत ए टीम में भी चुना गया था।