
संयुक्त किसान मोर्चा के फैसलों से हरियाणा संगठनों में बढ़ती जा रही है नाराजगी, बैठकों से बना रहे हैं दूरी
हरियाणा के संगठनों में संयुक्त किसान मोर्चा के फैसलों से नाराजगी बढ़ती जा रही है। मोर्चा की ओर से पिछले दिनों कई अहम निर्णय से आंदोलन में सक्रिय हरियाणा के इन संगठन में गुस्सा बढ़ गया है। मोर्चा की बैठकों से उन्होंने दूरी ही बना ली है।
हरियाणा के कई संगठन पिछले हफ्ते हुई बैठक में शामिल नहीं हुए। मोर्चा की कार्रवाई को लेकर पंजाब की चार जत्थेबंदियों के विरुद्ध भाकियू प्रमुख गुरनाम चढूनी बीच में ही बैठक का बॉयकाट कर बाहर चले आए थे। वे मोर्चा के बाद में निर्णयों को लेकर खुलकर बोले भी थे।
संयुक्त मोर्चा में उन्होंने पंजाब के संगठनों के द्वारा भेदभावपूर्ण तथा मनमानी पूर्ण तरीका अपनाने का आरोप लगाया था तथा बैठकों में तब तक शामिल न होने की घोषणा की थी, जब तक भेदभाव तथा मनमानी पूर्ण तरीका बदला नहीं जाता। जबकि संयुक्त मोर्चा के निर्णयों पर खरा उतरने तथा आंदोलन में निरंतर बने रहने की बात उन्होंने जरूर की थी। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में हरियाणा के जो संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं, अब उनमें भी नाराजगी है।
गुरनाम चढूनी काे ही अकेले निशाना क्यों बनाया गया? जबकि किसान हित से बड़ा आंदोलन में कोई भी नेेेता नहीं है और न ही कोई एक दूसरे से छोटा। संयुक्त मोर्चा ने हरियाणा के संगठनों की तरफ से उठाई गई इन बातों का ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण उनमें नाराजगी बढ़ना लाजमी है।
यही कारण है कि सिंघु बार्डर पर पिछले हफ्ते हरियाणा से मोर्चा की बैठक में कई संगठन नहीं मौजूद रहे। मोर्चा की बैठक 13 अगस्त को फिर से प्रस्तावित की गई है। उसमें भी इन संगठनों के संभाव्यता शामिल होने की कोई खबर नहीं है। बुधवार को हरियाणा के संयुक्त किसान मोर्चा नेटीकरी बार्डर पर बैठक बुलाई है।