7 महीनों के बाद नॉर्थ कोरिया में पसारे कोरोना ने पैर, तानाशाह किम जोंग ने लगाया लॉकडाउन
खुद से जुड़ी चीजों को सीक्रेट रखने में सबसे आगे रहनेवाला देश नॉर्थ कोरिया अबतक दावा करता रहा है कि उसके यहां कोरोना वायरस का एक भी सिंगल मामला नहीं है। कोरोना महामारी शुरू होने के करीब 7 महीने बाद नॉर्थ कोरिया में संक्रमण का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है। कोरोना के मामले को गंभीरता से लेते हुए तानाशाह किम जोंग उन ने साउथ काेरिया से सटे कीसॉन्ग शहर को लॉकडाउन करने का आदेश दिया है।
3 साल पहले नार्थ कोरिया से भागा था कोरोना संदिग्ध
सरकारी मीडिया के मुताबिक, संदिग्ध संक्रमित एक भगोड़ा है। वह तीन साल पहले नॉर्थ कोरिया छोड़कर भाग गया था। 19 जुलाई को वह गैरकानूनी तरीके से सीमा पार कर देश में पहुंचा था। वहां से आने के बाद उसे सांस लेने में दिक्कत मासूस हो रही थी। उत्तर कोरिया की राज्य मीडिया ने कहा कि केसोंग शहर के उन सभी लोगों की कोरोना जांच की जा रही है, जो उसके संपर्क में आए थे। उन लोगों को आइसलोशन में रखा गया है।
तानाशाह ने बुलाई इमरजेंसी बैठक
मामले का पता चलते ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने शनिवार को पोलित ब्यूरो की इमरजेंसी बैठक बुलाई। इसमें कीसॉन्ग में इमरजेंसी लगाने के साथ ही टॉप क्लास अलर्ट जारी करने का फैसला किया गया। अब उन लोगों की पहचान की जा रही है, जो इस संदिग्ध के संपर्क में आए हैं। इन सभी को क्वारैंटाइन किया जाएगा।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर नार्थ कोरिया में मामला होगा
अगर संदिग्ध व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो यह नॉर्थ कोरिया का पहला आधिकारिक मामला होगा। नॉर्थ कोरिया इस साल जनवरी में पड़ोसी देश चीन में संक्रमण फैलने के बाद सतर्क हो गया था। किम ने सभी बॉर्डर सील कर दिए थे। इससे हजारों लोग आइसोलेशन में चले गए थे। राजधानी प्योंगयांग में काम करने वाले सभी अफसरों के लिए भी एक महीने का क्वारैंटाइन जरूरी कर दिया था। हालांकि, इस बीच यहां संक्रमण पहुंचने की अपुष्ट खबरें भी कई बार सामने आई थी।
कोरोना केस बढ़ने पर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा भारी असर
नॉर्थ कोरिया दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने महामारी से बचने के लिए सबसे पहले कदम उठाए। देश की अर्थव्यवस्था चीन से होने वाले बिजनेस पर चलती है। इसके बावजूद इसने खतरे को देखते हुए चीन से होने वाला व्यापार पूरी तरह रोक दिया। इस वजह से इसकी कमाई पहले से कम हो गई। यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं दूसरे देशों की तुलना में बेहतर नहीं है। अब अगर महामारी फैलती है तो नार्थ कोरिया पर इसका बुरा असर होगा।
भारत ने की 10 थी लाख डॉलर की मेडिकल सहायता
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से मिले अनुरोध के बाद भारत ने, उत्तर कोरिया में मेडिकल उपकरणों/सामग्री की कमी और वहां के हालात के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए टीबी की दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करने का फैसला लिया। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
उत्तर कोरिया के अधिकारी सकते में हैं कि दुनिया के सबसे सुरक्षित बॉर्डर को एक शख्स ने कैसे अवैध रूप से पार कर लिया।
साउथ कोरिया जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा, वह शख्स बॉर्डर पार करके कैसे वहां पहुंचा इसके लिए सेना को वीडियो फुटेज चेक करना होगा।