Chhattisgarh

छत्तीसगढ़: माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा आज से शुरू 

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) की 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं मंगलवार से शुरू हो गईं। शहर के स्कूलों में सुबह से ही प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका लेने के लिए विद्यार्थियों और उनके स्वजनों की कतार लग रही। इसमें मौजूद चेहरों पर मास्क तो नजर आए, लेकिन शारीरिक दूरी का पालन संभव नहीं दिखा। यहां ध्यान देने की बात है कि अभी हम कोरोना के दंश से उबरे नहीं हैं। इसने प्रदेश के 12 हजार से अधिक लोगों की जान ली है। ऐसे में सरकारी व्यवस्था द्वारा ही भीड़ लगवाया जाना चिंताजनक है। आज भी कोरोना वायरस चुनौती बना हुआ है।

ऐसे में पुनर्विचार करने की जरूरत है कि जब राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और काउंसिल फार द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) ने प्रधानमंत्री के आह्वान पर परीक्षाएं रद कर दी हैं तो प्रदेश सरकार को भी विचार करना चाहिए कि परीक्षा का आयोजन कितना उपयोगी और सुरक्षित है।

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गुणवत्ता की दृष्टि से भी आत्मावलोकन करें तो घर बैठकर परीक्षा देने वाला विद्यार्थी खुद को कितना ईमानदार रख पाएगा। सहज ही समझा जा सकता है कि विद्यार्थियों में घोषित तौर पर नकल करने की व्यवस्था देकर क्या यह परीक्षा उनकी नींव को कमजोर करने वाली नहीं होगी? इसे परीक्षा की औपचारिकता भी कहना उचित नहीं होगा। मेधावी विद्यार्थियों के साथ न्याय तो असंभव प्रतीत हो रहा है।

कोरोना के शुरुआती दौर से ही शारीरिक दूरी पर विशेष जोर दिया गया। प्रधानमंत्री तक बार-बार दोहराते रहे हैं, दो गज दूरी, मास्क जरूरी। खुद को घरों में कैद रखें। लेकिन 12वीं की परीक्षा लेने के इस फैसले ने प्रदेश के लगभग तीन लाख विद्यार्थियों और उनके स्वजनों को सड़कों पर निकलने के लिए मजबूर कर दिया। इसकी वजह से शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के समक्ष भी चुनौतियां अचानक बढ़ गईं। स्कूलों में शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए ठोस प्रबंध करने में प्रशासन नाकाम रहा। ऐसा होना स्वभाविक भी था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में दूरदृष्टि भरा फैसला यूं ही नहीं लिया गया। इसमें परीक्षा से ज्यादा जिंदगी को तवज्जो दी गई।

जिंदगी रहेगी तो परीक्षा देने के बहुत से मौके मिलेंगे। यहां छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 12वीं की परीक्षा कराने के संबंध में लिए गए फैसले पर सवाल नहीं है। सवाल समय और उसके परिणाम का है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विचार करना चाहिए कि माध्यमिक शिक्षा मंडल के विद्यार्थियों को इस परीक्षा से क्या लाभ मिल जाएगा।

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