
आज के समय में प्रकति एक ऐसी चीज है जिसे हर कोई अपने जीवन में अपनाना चाहता है। प्रकृत में ऐसी कई वनस्पतियां हैं जिनका उपयोग दवाओं के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी किया जाता है। आज के समय में एलोवेरा, आंवला और नीम जैसी चीजों को तो समानता सभी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन प्रकृति में कुछ ऐसे पौधे हैं इसके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। इसी कारण उनका उपयोग कम होता है। गांव में तो ऐसी कई वनस्पतियां उठती हैं |
लेकिन जानकारी के अभाव से गांव के किसान या गांव के दूसरे लोग इसका सही उपयोग नहीं कर पाते। इसी एक वनस्पति में है नागफनी और वह नागफनी जो कटीली होती है। इसका पौधा दिखने में कैप्टस की तरह होता है और कैक्टस फ्रूट के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि आज की प्रकृति को सुंदरता के रूप में आमतौर पर इसे लोग सजावटी पौधों के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं लेकिन ईश्वर आईटी के कैक्टस में उगने वाला या फल किसी खजाने से कम नहीं है। या फिर विटामिन और दूसरे पोषक तत्वों की मौजूदगी के कर कई तरह की बीमारियों को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
आपको बता दें कि गुजरात के राजकोट जिले के एक इलाके में अधिकांश लोग इसकी खेती करते हैं लेकिन यहां के लोगों को उसके फल के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। उसे जंगली फर्स्ट समझकर वहां के किसान उसे फेंक देते थे लेकिन यही के एक युवक नाइस कांटेदार फल की उपयोगिता समझो रिसेट बिजनेस के अवसर में बदल दिया।
बता दें कि वह युवक एक बैंक में सरकारी कर्मचारी था। नौकरी के साथ-साथ उस युवक ने उस जंगली फलों का महत्व समझा और उस को इकट्ठा करने लगा। धीरे-धीरे उसकी रूचि खेती की ओर बढ़ी और उसे कैक्टस फ्रूट की उपयोगिता का पता चला और फिर वह अपने परिवार वालों के साथ मिलकर कैक्टस फ्रूट निकालकर उसे बेचने लगा।
आपको बता दें कि संजय नाम का युवक 10 बीघा जमीन पर एक छोटा सा फॉर्म है वह निरंतर अपने जीवन के आधे पड़ाव से हर्बल उत्पाद बनाते हैं साथ ही साथ वह कैक्टस फ्रूट का उत्पादन कर बाजारों में भेजते हैं और उससे लाखों रुपए कमाते हैं।
उस युवक ने बताया गांव में कब हीमोग्लोबिन वाले रोगों के लिए लोगों को कैक्टस फ्रूट सिरप मिलता था और बाद में उसने उसी गांव में गोकृपा नाम की एक संस्था का निर्माण किया और उस गोकृपा संस्था में आयुर्वेदिक समान बनाया जाता था
इस कारखाने में कुछ दिनों तक उसने कार्य किया वहां से उसने हर्बल प्रोडक्ट बनाने का बिजनेस शिखा और आसपास के इलाकों में घूमकर हर्बल उत्पाद बेचने लगा और कुछ समय के पश्चात उसे बैंक में नौकरी मिल गई।
नौकरी मिलने के बाद संजय ने काम छोड़ दिया लेकिन उन्होंने अपनी पुश्तैनी खेती पर फिर से काम शुरू किया और अब वे उत्पादों को बेचने का लाइसेंस भी ले रखा है।
कैक्टस फ्रूट का जूस
संजय ने कहा किस प्रजाति के पौधे बहुत पाए जाते हैं लेकिन लोग इसे जंगली समझते हैं लेकिन हम इन्हें उगाते हैं और इस फल लालघाट जैसे होते हैं फल को पौधों से तोड़ने के बाद इसके अंदर से भूरा निकाला जाता है इसके बीच को अलग किया जाता है और इसे फिल्टर करके इसका जूस निकाला जाता है जो दवा के काम आता है। इसके बाद रस के अनुपात में इसमें चीनी मिलाई जाती है और इसे तब तक उबाला जाता है जब तक इस में झाग बन्ना बंद ना हो जाए जब यह जूस बनकर तैयार हो जाता है फिर से ठंडा करके बोतल में भरा जाता है इस प्रक्रिया के में लगभग 2 से 3 घंटे लगते हैं।