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Lucknow News: राज्यस्तरीय विज्ञान माॅडल प्रतियोगिता में मेधावियों ने दिखाया हुनर

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने पहली बार किया प्रतियोगिता का आयोजन, पहुंचे प्रदेश भर के छात्र-छात्राएं

लखनऊ। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रथम राज्य स्तरीय विज्ञान माॅडल प्रतियोगिता में प्रदेश भर के मेधावियों की प्रतिभा के दर्शन हुए। प्रदेश के सभी जनपदों से आये विद्यार्थियों ने आर्टिफिशयल इंटेलीजेंश, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, आई0ओ0टी0, एक्वाफोनिक्स, सेंसर तकनीक जैसे नवीनतम विषयों पर आधारित माॅडल्स का प्रदर्शन किया।
1. परिषद द्वारा अटल विहारी बाजपेयी, सांइटिफिक कन्वेन्शन सेन्टर, लखनऊ में प्रथम बार राज्य स्तरीय विज्ञान माॅडल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
2. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में योगेन्द्र उपाध्याय, मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा तथा आई. टी. एवं इलेक्ट्राॅनिक्स, उ. प्र. सरकार द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया और  प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया।
3. कार्यक्रम की अध्यक्षता नरेन्द्र भूषण, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा की गयी।
4. इस प्रतियोगिता में कक्षा 9 व 11 के विद्यार्थीगण एवं इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्धारित ’’वैश्विक कल्याण के लिये वैश्विक विज्ञान’’ थीम पर आधारित विज्ञान माॅडल प्रस्तुत किये गये।
5. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता से पूर्व प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में इसका आयोजन किया गया तथा जनपद स्तर के विजेताओं द्वारा मण्डल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभागिता की गयी। प्रदेश के सभी 18 मण्डलों राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर यह प्रतियोगिता आयोजित की गयी।
6. विद्यार्थियों के अतिरिक्त परिषद द्वारा ग्रास रूट नवप्रर्वतकों के चिन्हींकरण एवं उनके प्रोत्साहन के उद्देश्य से परिषद द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नवप्रवर्तन जनजागरूकता कार्यक्रम एवं नवप्रवर्तन प्रदर्शनी का आयोजन कराया गया।
7. परिषद द्वारा ग्रास रूट लेवल के नवप्रवर्तकों का चिन्हीकरण, मार्गदर्शन तथा तकनीकी सहायता प्रदान किये जाने का कार्य किया जाता है। नवप्रवर्तक प्रायः ऐसे वर्ग से आते हैं जिनका शैक्षिक स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है। अधिकांशतः नवप्रवर्तक अभावों और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए अथवा अपने काम को किसी सरल तरीके से करने के लिए कोई नवीनतम आविष्कार को जन्म देते हैं और यह अन्वेषण नवप्रवर्तन कहलाता है।
असंगठित क्षेत्र के अधिकतर नवप्रवर्तक किसान, मैकेनिक, मजदूर या शिल्पकार होते है। परिषद द्वारा नवप्रवर्तकों का मार्गदर्शन एवं तकनीकी सहायता के साथ-साथ यह भी प्रयास किया जाता है कि कुछ नवप्रवर्तकों के माॅडल/प्रोटोटाइप व्यवसायिक दृष्टिकोण से विकसित हो सकें।
कार्यक्रम अध्यक्ष  नरेन्द्र भूषण, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को प्रेरित किया गया कि देश एवं प्रदेश के चैमुखी विकास हेतु बालपन से ही विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने की आवश्यकता है। देश एवं समस्त विश्व में अपकमिंग वैज्ञानिक/तकनीकी क्षेत्रों यथा-आर्टीफीशियल इण्टेलीजेन्स, मशीन लर्निंग, ब्लाॅक चेन, आई.ओ.टी., ड्रोन, थ्री डी प्रिंण्टिग, क्वाण्टम कम्प्यूटिंग, 5जी, 6जी टेक्नालाॅजीज एवं स्पेस साइंस में रोजगार एवं स्वरोजगार के नवीन अवसर सृजित हो रहे हैं, इन क्षेत्रों में विकास की अपार सम्भावनायें हैं।
भारत आज अन्य देशों में निर्मित टेक्नोलाॅजी को एडाप्ट करने के स्थान पर स्वयं की टेक्नोलाॅजीस डेवलेप कर रहा है। उदाहरण के रूप में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा स्पेस टेक्नोलाॅजी के क्षेत्र में भारत आज वैश्विक स्तर पर नये लीडर के रूप में उभर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को यह भी बताया कि विभाग द्वारा स्पेस साइंस को प्रदेश के अधिकतम विद्यार्थियों तक पहुॅचाने के उद्देश्य से इसरो के साथ समन्वय स्थापित कर एक वृहत कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित किया जायेगा तथा इसके उपरान्त इसे प्रदेश के अन्य जनपदों में भी कराया जायेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि योगेन्द्र उपाध्याय, मा. मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा तथा आई. टी. एवं इलेक्ट्राॅनिक्स, उ. प्र. सरकार द्वारा स्वयं सभी माॅडल्स का अवलोकन किया गया। मा0 मंत्री जी द्वारा सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रदेश के सर्वागींण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। विभाग के द्वारा मेडिकल, कृषि, इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलाॅजी, आई0टी0 इत्यादि सभी क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से शोध के कार्यक्रम कराये जाते हैं जो किसी न किसी प्रकार से सीधे जन समस्याओं के समाधान एवं प्रदेश के विकास से जुड़े होते हैं।
विद्यार्थियों द्वारा नवीनतम तकनीकों पर आधारित एवं जन समस्याओं के समाधान पर आधारित बनाये गये माॅडल उनके विज्ञान के प्रति रूचि को दर्शाते हैं। नवप्रवर्तकों द्वारा लगाये गये माॅडल को देखकर यह प्रतीत होता है कि प्रदेश के कम पढ़े लिखे/कृषक/मजदूर/शिल्पकार इत्यादि भी न केवल अपनी अपितु प्रदेश के अन्य आमजन की दिन प्रतिदिन की समस्याओं के समाधान के प्रति अत्यन्त जागरूक हैं। मा0 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5 ट्रिलियन डाॅलर की भारतीय इकोनाॅमी तथा मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यथान जी के प्रदेश ट्रिलियन डाॅलर इकोनाॅमी के लक्ष्य को प्राप्त करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यही विद्यार्थी एक दिन स्टार्ट अप के रूप में अथवा सूक्ष्म व लघु उद्योगों की स्थापना कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगें। माननीय मंत्री जी द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये स्टार्टअप्स को तकनीकी एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। प्रोटोटाइप डेवलपमेन्ट के लिये रू.5.00 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
इक्यूबेशन सेन्टर्स में स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट कराते हुये उन्हें आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदशर्नियों में  प्रतिभागिता हेतु नवप्रवर्तकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अन्त में उनके द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं विजेताओं को हृदय से बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गयी।
1. एक्वाफोनिक: कृषि योग्य भूमि में अत्याधिक फर्टीलाइजर एवं पेस्टेसाइड के उपयोग से इसकी उर्वक क्षमता कम हो रही है। एक्वाफोनिक के माध्यम से फसलों का उत्पादन आर्गेनिक प्रकार से किये जाने में सहायता मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होती हैं। इस तकनीक पर मछली पालन का कार्य भी कृषि कार्यो के साथ किया जाता है, जिससे कृषकों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी। आरूष आर्य, पार्वती राधाकृष्ण स्कूल, मथुरा द्वारा  एक्वाफोनिक तकनीक पर आधारित कृषि माॅडल तैयार कर प्रदर्शित किया गया।
2.कक्षा-11 के विद्यार्थी  अंश मिश्रा, सी0ए0बी0 इण्टर काॅलेज, प्रयागराज द्वारा सेमी हयूमेनाइड रोबोट का माॅडल विकसित किया गया है। इसके अन्र्तगत व्यक्ति की आवाज तथा फेशियल एक्सप्रेशन को पढ़कर उनका विशलेषण कर व्यक्ति की भावनाओं का पता लगाया जा सकता है। कक्षा-11 के विद्यार्थी द्वारा इस प्रकार की नवीनतम तकनीकों की परिकल्पना कर उन पर कार्य करना एक सराहनीय कदम है।
3. आदर्श ग्राम सभा इंटर कालेज, चरवाॅं, कौशाम्बी की कक्षा-11 की छात्रा पारूल पटेल द्वारा एक स्मार्ट ब्लाइंड शूज का माॅडल विकसित किया गया है। इस माॅडल में लगाये गये सेन्सर्स के माध्यम से दिव्यांगजन आगे आने वाली रूकावट के बारे में जानकर सतर्क हो जायेगें तथा इसके प्रयोग से दुर्घटनाओं के शिकार होने से बच सकेगें।
4.देश एवं प्रदेश के विकास के लिये आधुनिकतम तकनीकों पर कार्य किया जाना नितान्त आवश्यक है। राजकीय पाॅलीटेक्निक कालेज, बहराइच के विद्यार्थी अंशु चैहान द्वारा आई0ओ0टी0 एवं सेन्सर्रस पर आधारित स्मार्ट इरीगेशन माॅनिटरिंग सिस्टम के माॅडल का प्रदर्शन किया गया, जिससे इरीगेशन के कार्य प्रभावी रूप से हो सकेगें, पानी की बचत होगी, आवश्यकतानुसार पानी फसल को प्राप्त होगा।
5. सरस्वती बाल मन्दिर इण्टर काॅलेज हमीरपुर के कक्षा-11 के विद्यार्थी श्री अतुल राजपूत द्वारा आल इन वन रोबोटिक कार का माॅडल तैयार किया गया है, जिसे एक एप की सहायता से आॅपरेट किया जाता है। यह कार कैमरा तथा रोबोटिक हैण्ड व हेड से लैस है तथा पासवर्ड प्रोटेक्टेड है। इस कार को अधिकृत यूजर के अतिरिक्त अन्य कोई व्यक्ति आॅपरेट नहीं कर सकता।
1. वल्र्ड क्लाॅक: – अनिल कुमार साहू एक मजदूर हैं तथा लखनऊ में सब्जी का ठेला लगाते हैं, के द्वारा वल्र्ड क्लाॅक का माॅडल बनाया गया है। इस क्लाॅक की सहायता 07 देशों का समय एक साथ देखा जा सकता है।
2. गाय के गोबर से दैनिक जीवन में उपयोग की विभिन्न सामग्रियों का निर्माण:-  राजेन्द्र कुमार सिंह, जनपद अयोध्या के किसान हैं, जो नेचुरल फार्मिंग करते हैं, के द्वारा गाय के गोबर से दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली विभिन्न प्रकार की सामग्रियों  यथा- जैव रासायन, जीवा अमृत, खाद, दीपक, धूप बत्ती, मूर्तियों आदि का निर्माण किया गया है। निर्मित सामग्रियों के क्रय से उन्हें आजीविका में सहयोग प्राप्त हो रहा है।
3. मल्चिंग मशीन: –  बृजेश त्रिपाठी, जालौन जनपद के किसान हैं, के द्वारा मल्चिंग मशीन का माॅडल बनाया गया है। इस माॅडल की सहायता से कम मेहनत व लागत से ही तरबूज, खरबूज, खीरा, लौकी एवं कद्दू आदि के बीजों की बुवाई आसानी से की जा सकती है।
4. मोटर साइकिल के माइलेज में बृद्धि: जनपद कौशाम्बी के नवपर्वतक श्री विवेक कुमार पटेल द्वारा मोटर साइकिल के कार्बोरेटर को माॅडीफाई किया गया है, जिससे मोटरसाइकिल का माइलेज डेढ़ गुना तक बढ़ गया है। इस युक्ति का पेटेन्ट परिषद के सहयोग से कराया जा चुका है।
5. धान हार्वेस्टिंग मशीन:- जनपद अलीगढ़ के किसान अशोक कुमार द्वारा धान पीटने की मशीन का माॅडल तैयार किया गया है। इसकी सहायता से कम लागत एवं कम समय में धान की हार्वेस्टिंग की जा सकती है। यह मशीन लेबर की समस्या से निजात दिलाने एवं छोटे किसानों के लिये अति उपयोगी सिद्ध होगी।
कार्यक्रम का आयोजन शिव प्रसाद, आई.ए.एस. विशेष सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 के पर्यवेक्षण में कराया गया। कार्यक्रम में परिषद के निदेशक, अनिल यादव, निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 एवं संयुक्त निदेशकगण डा0 हुमा मुस्तफा, डा0 डी0के0 श्रीवास्तव, पूजा यादव, डा0 राजेश कुमार गंगवार,  राधेलाल तथा वैज्ञानिकगण सुमित कुमार श्रीवास्तव तथा डा0 एस0 रहमान द्वारा सक्रिय भागीदारी एवं सभी कर्मचारियों द्वारा यथा आवश्यक सहयोग प्रदान किया गया। कार्यक्रम में माॅडल्स के प्रतिभागियों के अतिरिक्त समस्त जनपदांे के जिला समन्वयकों, क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों एवं लखनऊ के विभिन्न विद्यालयों के लगभग 500 विद्यार्थियों/शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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