
Lumpy Skin Disease : लंपी वायरस की चपेट में आए उत्तराखंड के तीन हजार से ज्यादा मवेशी, इन उपायों के इस्तेमाल से करें बचाव
देहरादून : राजस्थान , हरियाणा के बाद लंपी वायरस अब उत्तराखंड तक आ पहुंचा है। उत्तराखंड में तीन हजार से ज्यादा पशु लंपी वायरस की चपेट में आ चुका है। भारी संख्या में फैले वायरस ने प्रशासन की चिंता को बधा दिया है। शासन ने राज्य में गो व महिष वंशीय पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है।
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पशुओं के परिवहन पर लगा प्रतिबन्ध
सचिव पशुपालन डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने इसकी पुष्टि की गयी है। उन्होंने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि, ”राज्य के भीतर पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के आधार पर ही पशु को एक से दूसरे स्थान पर ले जाने की अनुमति होगी। अन्य राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं के मामले में भी फिलहाल यही नियम लागू होगा।”
उत्तराखंड में क्या है लंपी की स्थिति
पशुओं में लंपी त्वचा रोग ( Lumpy Skin Disease) के मामले अभी तक चार जिलों में सामने आए हैं।
इनमें हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 3354 पशु इस रोग की चपेट में आए हैं, जिनमें से 67 की मृत्यु हो चुकी है।
इसके अलावा देहरादून जिले में 370, पौड़ी में 26 और टिहरी जिले में चार पशु लंपी की गिरफ्त में आए हैं।
यद्यपि, इस रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण शुरु कर दिया गया है।
हरिद्वार जिले में 8428 और देहरादून में 1047 पशुओं का टीकाकरण अब तक किया जा चुका है।
यह बीमारी पीड़ित पशु से दूसरे पशु में फैलती है।
इसे देखते हुए ही पशुओं के परिवहन पर रोक लगाई गई है।
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लंपी वायरस के लक्ष्ण
लंपी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलती है।
कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले पशुओं में यह संक्रमण तेजी से फैलता है।
संक्रमण के बाद पशु को तेज बुखार आता है और उसकी शारीरिक क्षमताएं गिरती हैं।
संक्रमण के कुछ दिनों बाद पशु की त्वचा पर चकत्ते उभर आते हैं।
इससे पशुओं की मौत तक हो रही है।
लंपी त्वचा रोग से कैसे करें बचाव
अपने पालतू जानवरों से संक्रमित पशुओं को दूर रखें।
मवेशियों के रहने वाली व आसपास की जगहों की नियमित सफाई करें ।
पालतू जानवर जहां रहते हैं वहां मच्छरों और मक्खियों को न पनपने दें।