क्या युवाओं का राजनीति में योगदान सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रहेगा ?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहां सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है युवा हर क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाता है फिर चाहे वह खेल का क्षेत्र हो विज्ञान का क्षेत्र हो या फिर राजनीति का क्षेत्र, हर क्षेत्र युवाओं को अवसर देता है क्योंकि युवाओं से देश आगे बढ़ता है और एक नई विचारधारा से नए समाज का निर्माण होता है।
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लेकिन राजनीति में युवा ज्यादातर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके ही अपना योगदान दिखाता है तो क्या युवाओं का योगदान राजनीति में सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह जाता है? क्या भारत अपने डेमोग्राफिक डिफरेंस का फायदा उठाने में असमर्थ होता है ? क्या भारत की जो राजनीति झज्जर और फटने लगी है क्या युवा उन व्यवस्थाओं को सही नहीं कर सकता? क्या भारत की राजनीति में युवा ऊर्जा बिल्कुल भी काम नहीं आ रही है? या फिर युवा मात्र सोशल मीडिया पर राजनीतिक पोस्ट करने तक ही सीमित हो गया है ?
भारत का युवा आखिर क्यों राजनीति में अपना भविष्य नहीं देखते हैं आखिर क्यों पढ़ाई लिखाई करने के बाद राजनीति में अपना करियर क्यों नहीं ढूंढते हैं? इसके कारणों के जब आप पानी के लिए पड़ताल अवश्य होनी चाहिए लोकतंत्र होने के बावजूद भारत की राजनीति में युवाओं के प्रवेश में सबसे बड़ी समस्या होती है। भारत के अंदर वंशवाद युवाओं को राजनीति में प्रवेश करने की राह में एक बड़ा रोड़ा बन जाता है।
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ऐसा कई राजनीतिक पार्टियां है जो वंशवाद और जातिवाद के नाम पर अपनी पार्टी को आगे बढ़ा रही है । ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि वंशवाद और जातिवाद भारत के लोकतंत्र को और भी कमजोर कर देता है जब बाद राजनीति की आती है तो योगी उम्मीदवारों को मौका नहीं मिल पाता है। देखा जाए तो भारत के अंदर ऐसी कोई भी पार्टी नहीं है जिसको यह परिवारवाद की बीमारी ने लगी हो।
आज का युवा राजनीति में मात्र एक क्रिटिक बनकर ही अपना योगदान देता दिख रहा है हालांकि ऐसे बहुत कम ही युवा हैं जो राजनीति में आगे बढ़ने के प्रयास में लगे हैं और कई हद तक आगे भी आए हैं। लेकीन सोशल मीडिया की दौड़ में दौड़ रहे युवा इस हद तक है कि वह सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया है राजनीति में अगर 70% युवाओं की बात करें तो वह सिर्फ राजनीतिक पोस्ट व टिप्पणी करके ही राजनीति में अपना योगदान देते हैं।
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वहीं अगर देश में राजनीतिक पार्टियों की बात की जाए तो ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं है जिसमें युवाओं के लिए उचित स्थान हूं राजनीति से कटे युवाओं का राज्य से भी मोहभंग हो गया है आप यह कह सकते हैं कि युवा यकीनन राजनीति में दखल देना चाहते हैं। \
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लेकिन इसमें भ्रष्टाचार अपराध महंगा होता चुनाव और पारदर्शिता का अभाव अनुशासन की कमी नैतिकता का गिरता स्तर और आंतरिक लोकतंत्र का ना होना युवा के लिए बड़ा मुश्किल होता जा रहा है।