आत्मनिर्भर भारत अभियान, क्या है योजना का अभिप्राय?
Aatmanirbhar bhaarat abhiyaan : एक देश को सशक्त बनाने के लिए उसकी लोगों का सशक्त होना आवश्यक है। अपने पैरों पर खड़ा होना हर किसी का सपना होता है। हर किसी को आत्मनिर्भर होकर जीना चाहिए और सभी को बचपन से यही सिखाया जाता है। आत्मनिर्भरता का मतलब होता है अपने खुद के हुनर से आगे बढ़ना और अपने खुद के हुनर की ही मदद से अपने सपनों को साकार करना और अपना भरण-पोषण करना।
हमारे देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने एक और नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना का नाम है आत्मनिर्भर भारत योजना ( Aatmanirbhar bhaarat abhiyaan )। अपने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की है। आज हम आपको इसी योजना के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं ताकि आप ही इससे अवगत हो सकें।
क्या है योजना का अभिप्राय?
आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई थी। इस योजना की शुरुआत उस वक्त की गई थी जब हमारा देश महामारी से गुजर रहा था। उस वक्त देश में चारों ओर कोहराम मचा हुआ था प्रदेश के सभी लोग महामारी से जूझ रहे थे। वायरस के फैलने की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया था। इसी लॉक डाउन की वजह से कई ऐसे लोग थे जिनको अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी थी और साथ ही साथ वह लोग भी थे जिनकी निरंतर आय नहीं थी जैसे कि मजदूर। लॉक डाउन की वजह से इन लोगों को कई चीजों से जूझना पड़ा और इन पर बहुत प्रभाव पड़ा।
इस योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज लांच किया। यह सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी का पूरा 10% हिस्सा था। इस योजना के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब बताया था वह कोरोनावायरस संबंधी योजना के बारे में बता रहे थे। इस योजना के अंतर्गत देश भर के सारी मंत्रालय काम करते हैं।
क्या है फायदे?
आत्म निर्भर भारत योजना की मदद से हमारे देश को काफी फायदा होने वाला है। यह फायदा किसी एक क्षेत्र में नहीं होगा बल्कि हर क्षेत्र में होगा। इस योजना की मदद से भारत देश में अधिक रोजगार की उत्पत्ति होगी। ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलने की वजह से भारत की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। कोरोना की वजह से जो भारत की सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी (GDP) गिरी है ,इसकी मदद से वह भी वापस से स्वस्थ हो सकेगी।
वैसे तो हमारे देश में आयात और निर्यात का काम काफी हद तक अच्छे से चलता है। कई बार ऐसा होता है कि वस्तुओं के आयात में आनाकानी की वजह से लोगों को चीजें मुहैया नहीं हो पाती। आत्मनिर्भर भारत होने के बाद जो वस्तुएं से बाहर से आयात की जाती है वह भारत में ही बन सकेंगी। इसकी मदद से हमें दूसरे देशों की सहायता कम लेनी पड़ेगी। देश में उद्योग बढ़ेगा जो की आर्थिक स्थिति को और भी सशक्त करेगा। देश के लोगों को बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी से भी मुक्ति मिलेगी।
यानी कि सरल शब्दों में कहा जाए तो देश की स्वनिर्मित वस्तुएं हमारे देश को शीर्ष पर ले जाने में सक्षम करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बातों में कहा है कि इस अभियान की मदद से वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं होगा बल्कि उसकी जगह वैश्वीकरण में मदद बनेगी और पूरी दुनिया को सहायता मिलेगी।
कैसे बढ़ेगी योजना?
इस योजना को दो चरण में लागू किया जाएगा। इसके पहले चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके और दूसरे चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों पर काम किया जाएगा।
सबसे पहले देश में छोटे उद्योग जैसे कि एमएसएमई के अंतर्गत आने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसी वजह से इस योजना के अंतर्गत एमएसएमई के लिए खास तौर पर 16 अलग प्रकार की योजनाएं बनाई गई हैं। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि एमएसएमई सेक्टर हमारे देश में 12000 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है। हम कह सकते हैं कि हमारे देश की आर्थिक रीढ़ की हड्डी है।पहला, एमएसएमईज सहित व्यापार के लिए रुपये 3 लाख करोड़ नि: शुल्क स्वचालित ऋण है, दूसरा,रु 20000 करोड़ का अधीनस्थ ऋण है। तीसरा, 50000 करोड़ की इक्विटी इन्फ्यूशन है। चौथा, एमएसएमईज की नई परिभाषा गढ़ी गई है जिसमे कई उद्योगों को मिलाया है। पांचवां, ग्लोबल टेंडर की सीमा बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये तक कर दी गई है , छठा, एसएमई के लिए अन्य हस्तक्षेप भी किये गए हैं।
सातवां, श्रमिकों के लिए 2500 करोड़ रुपये का ईपीएफ समर्थन , आठवां, ईपीएफ अंशदान। नौवां, एनबीएफसीएस, एचसी, एमएफआई के लिए 30000 करोड़ रुपये की तरलता सुविधा । दसवां, एनबीएफसी के लिए 45000 करोड़ रुपये की आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना बनाई गई है। ग्यारहवां, डीआईएससीओएम के लिए 30000 करोड़ रुपये की तरलता इंजेक्शन दिया गया, बारहवां, ठेकेदारों को राहत । तेरहवां, रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण और पूर्णता तिथि का विस्तार किया गया है। चौदहवां, डीएस-टीसीएस कटौती के माध्यम से 50000 करोड़ रुपये की तरलता प्रदान की गई , पन्द्रहवां, अन्य कर यानी टैक्स उपाय किये गए हैं, आदि।
यही नहीं गरीबों, श्रमिकों और किसानों के लिए और भी कई योजनाएं तैयार की गई है ताकि वह भी आत्मनिर्भर बन सकें। इसमें सिर्फ किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ही 11 नई योजनाएं विस्तृत की गई है।
कैसा हुआ काम?
आत्मनिर्भर भारत अभियान वैसे तो केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई एक बहुत ही महत्वकांशी योजना है।वैसे तो केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है। इसका मतलब यह है कि कोरोना काल में 10 फीसदी से थोड़ा ज्यादा यानी कि दो लाख करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक राशि लोगों के हाथ में पैसा या राशन देने में खर्च की जानी है। बाकी बचा हुआ कर्ज देने में मदद करने में जाएगा। इसका मतलब यह है कि लोगों की मदद करने में हाथ खींचा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जितनी जोरों शोरों से इस योजना की शुरुआत हुई थी अब यही योजना उतनी ही धीमी गति से चलती हुई दिखाई दे रही। फिलहाल तो अभी इस योजना का तीसरा चरण चल रहा है और आने वाले वक्त में सरकार और क्या कदम उठाती है यह देखने लायक होगा।