
दिन का एक तिहाई वक्त युवा बिताता है स्मार्टफोन पर, शोध में हुआ खुलासा
आज के वक्त में फ़ोन अब फोन नहीं रहे फोन स्मार्टफोन बन चुके हैं बिल्कुल उसी तरह जैसे अब हमारा युवा, युवा नहीं रहा स्मार्ट युवा हो चुका है, आज के युवाओं में युवाओं को अगर डिजिटल वक्त का इंसान कहा जाए तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं होगा क्योंकि युवाओं की छोटी से बड़ी चीज आज के टाइम में स्मार्टफोन से हल हो रही है जिसको सरकारें बढ़ावा भी दे रही हैं हर काम डिजिटल माध्यम से होने लगे हैं ऐसे में स्मार्टफोन आपके काम को हल्का कर देता है आपको किसी भी काम के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है ऑनलाइन पेमेंट से आप किसी भी प्रकार का पेमेंट कर बैठे कर सकते हैं।

ऐसा कहना इसलिए भी वाकिफ है क्योंकि यह युवा सोशल मीडिया एप्स और इंटरनेट के साथ ही पले बढ़े हैं इस मामले में यह अपने माता-पिता से आगे होते हैं आज के टाइम पर एक छोटे से बच्चे को भी अगर आप हाथ में फोन थमा देते हैं तो वह उस पूरे फोन को खंगाल डालता है जो शायद बड़े बुजुर्ग भी करने में थोड़ा हिचकी चाहते होंगे।
आज से कुछ वर्ष पहले के युवा टेलीविजन और मनोरंजन के पारंपरिक साधनों से अपना मन बहलाते थे लेकिन अब यह सारे साधन एक स्मार्टफोन के अंदर समा गए हैं। हमारे देश की युवा पीढ़ी अपने दिन का एक तिहाई वक्त अपने स्मार्टफोन ( Youth spends ) पर बिताते है आज के युवाओं पर स्मार्टफोन का हो रहा असर जानने के लिए स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी विवो ने साइबरमीडिया रिसर्च के साथ एक स्टडी की है शोध में जो पाया गया वह काफी असमंजस में डालने वाला नतीजा था।
क्या रहा था नतीजा ?
दरअसल इस पूरे रिसर्च को स्मार्टफोन एंड देयर इंपैक्ट ऑन ह्यूमन रिलेशनशिप का नाम दिया गया था इसमें यह पाया गया है कि अशोक भारती अपने कामकाज के समय का एक तेरा ही हिस्सा फोन पर बिताते हैं। जिसमें रात का समय भी शामिल होता है। इसका अर्थ आप यह समझ सकते हैं कि साल में अट्ठारह सौ घंटे युवा स्मार्ट फोन पर बता रहे हैं साथ ही एक तिहाई लोग अपना फोन चेक किए बिना परिवार या दोस्त से 5 मिनट भी बात नहीं कर सकते है।
यह नतीजे इसलिए असमंजस में डालने वाले थे क्योंकि यह दिखाते हैं कि हमारा युवा जिनसे देश को आगे बढ़ना है वह किस तरीके से अपने आप को एक यंत्र में समाते जा रहे हैं। इस स्टडी में यह भी पाया गया है कि 75% लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे एडल्ट होने से पहले ही स्मार्टफोन रखते हैं इनमें से 41 फीसद लोगों ने इस बात को भी माना है कि वह हाईस्कूल पास करने से पहले ही स्मार्टफोन के आदी हो चुके थे। जानकारों का कहना है कि धीमे धीमे यह वक्त और आगे चला जाएगा छोटी उम्र से ही लोग स्मार्टफोन रखना शुरू कर देंगे।
वीवो इंडिया एक जानी-मानी मोबाइल निर्माता कंपनी है जो भारत के अंदर कई प्रकार के फोन ग्राहकों को उपलब्ध कराती है विवो इंडिया के ब्रांड रणनीति देने शक निपुण मौर्य ने कहा कि इंटरनेट के दौर में पैदा होने वाले युवा पीढ़ी डिजिटल ग्रुप में काफी सक्रिय हो चुकी है उनका कहना है कि समाज में मानव से जुड़े तमाम संबंधी बातचीत और भावनाओं में बुनियादी बदलाव आ रहे हैं इसकी नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।
वही की गई इस स्टडी पर सीएमआरके इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप के प्रमुख राम ने बताया कि स्मार्टफोन की बिक्री में जोरदार वृद्धि से लोग सिर्फ अपने परिजनों से बात करने के लिए नहीं करते हैं बल्कि वह कई प्रकार से फोन का इस्तेमाल करने लगे हैं वह हर तरीके के इस्तेमाल को लेकर सक्रिय हो चुके हैं वे खुलकर इजहार कर रहे हैं, युवा मनोरंजन निवेश का प्रयोग कर रहा है।
युवाओं को अच्छे से पता है दुष्परिणाम
पूरी स्टडी की खास बात यह है कि सर्वे के दौरान यह पाया गया है कि हमारे युवाओं को इस बात की पूरी जानकारी है कि स्मार्टफोन के दुष्परिणाम क्या होते हैं उन्हें दुष्परिणामों के बारे में अच्छे से पता है 73 फीसद लोगों ने माना कि यदि स्मार्टफोन के साथ उनका जुड़ाव इसी तरह बढ़ता रहा तो इसका असर उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर जरूर पड़ेगा।
इतना ही नहीं युवाओं ने इस बात को भी कबूला है कि उन्हें पता है कि स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया और अपनी सोशल लाइफ के बीच अच्छा संतुलन कैसे बनाए रखना चाहिए सर्वे में शामिल 5 में से 3 लोगों ने कहा कि असली जीवन से स्मार्टफोन को दूर रखने की बहुत आवश्यकता है।