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लखनऊ छोड़ UP के अन्‍य सभी जिलों में बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्कार, 16 मार्च से 72 घंटे की हड़ताल

बिजलीकर्मियों के कार्य बहिष्‍कार को लेकर सरकार ने भी उठाए सख्त कदम

लखनऊ: प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के बीच तीन दिसंबर को हुए लिखित समझौते का क्रियान्‍वयन न होने से नाराज बिजलीकर्मियों ने इसे लागू करने की मांग को लेकर मंगलवार से आंदोलन शुरू कर दिया है। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने 15 मार्च यानी आज कार्य बहिष्कार और 16 मार्च की रात से 72 घंटे की हड़ताल की घोषणा की है।

सरकार ने भी उठाया ये कदम

संघर्ष समिति ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ समेत सभी जिलों में मशाल जुलूस भी निकाला। हालांकि, पुलिस ने उनके जुलूस को पावर कार्पोरेशन के फील्ड हॉस्टल के बाहर नहीं जाने दिया। वहीं, सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। बिजलीकर्मियों की छुट्टियां निरस्‍त कर दी गई हैं और कंट्रोल रूम एक्टिव कर दिए गए हैं।

मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने मंगलवार को पुलिस अधिकारियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पूरे प्रदेश की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्‍य में किसी भी प्रकार का माहौल न बिगड़े। पहले संघर्ष समिति से संवाद कर लिया जाए। अगर वह कार्य में बाधा उत्पन्न करें तो सख्त कार्रवाई की जाए।

डीजीपी ने भी दिए सख्‍त निर्देश

मुख्य सचिव ने कहा कि इस हड़ताल में कई संगठन एवं संविदाकर्मी हिस्‍सा नहीं ले रहे हैं और ऐसे में उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाए। डीजीपी डीएस चौहान ने कहा कि सभी बड़े शहरों में ट्रैफिक की अव्यवस्था न हो और किसी भी जिले में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे, इसका पूरा ख्‍याल रखा जाए।

लखनऊ को छोड़ अन्‍य जिलों में कार्य बहिष्‍कार

उधर, पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्‍होंने कहा कि विभागीय क्षति या जोर जबरदस्ती करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। इसके अलावा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि बार-बार आश्वासन के बाद भी बिजलीकर्मियों की मांग पूरी नहीं की गई। ऐसे में शीतलाष्टमी के पर्व को देखते हुए लखनऊ में 15 मार्च का कार्य बहिष्कार स्थगित कर दिया गया है, जबकि अन्य जिलों में कार्य बहिष्कार होगा।

बिजलीकर्मियों की मांगें

कार्यरत एवं सेवानिवृत्त बिजलीकर्मियों के घरों पर मीटर न लगाये जायें।

विद्युत उत्पादन एवं पारेषण की निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द की जाये।

ओबरा एवं अनपरा में 800-800 मेगावाट क्षमता की दो-दो इकाइयों के निर्माण, परिचालन एवं अनुरक्षण का कार्य एनटीपीसी या किसी अन्य इकाई के बजाय उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दी जाए।

बिजलीकर्मियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाये। तेलंगाना व राजस्थान की तरह संविदाकर्मियों को नियमित किया जाये।

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