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सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, एनडीए की परीक्षा में लड़कियां भी ले सकती हैं हिस्सा

देश की सुरक्षा का हक सभी को बराबरी से होना चाहिए। चाहे वह किसी धर्म और वर्ग का हो। चाहे वह महिला हो या पुरुष। साथ ही शिक्षा पर भी लोगों का समान अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी पर आज अपना फैसला सुनाया है। अब नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में लड़कियां भी शिक्षा ग्रहण कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए में लड़कियों की पढ़ाई को मंजूरी दे दी है।

मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की। बता दें कि आने वाली पांच सितंबर को एनडीए की प्रवेश परीक्षा होनी है। लड़कियों को अब तक नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में शामिल होने की नहीं इजाजत नहीं थी। वहीं एनडीए में दाखिले पर फैसला बाद में होगा। अभी सिर्फ पढ़ाई पर ही मंजूरी मिली है।

वकील कुश कालरा याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि महिलाओं को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति है। उनके लिए न्यूनतम आयु भी 21 साल रखी गई है। जबकि लड़कों को 12वीं के बाद ही एनडीए में शामिल होने दिया जाता है। ऐसे तो शुरुआत में ही महिलाओं के पुरुषों की तुलना में बेहतर पद पर पहुंचने की संभावना कम हो जाती है।

यह समानता के अधिकार का हनन है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले पर अपना रुख साफ करने के लिए कहा था। याचिका के मुताबिक, सेना में युवा अधिकारियों की नियुक्ति करने वाले नेशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी में सिर्फ लड़कों को ही दाखिला मिलता है।

ऐसा करना उन योग्य लड़कियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती हैं। जिस तरह कोर्ट ने सेवारत महिला सैन्य अधिकारियों को पुरुषों से बराबरी का अधिकार दिया है। वैसा ही उन लड़कियों को भी दिया जाए जो सेना में शामिल होने की इच्छा रखती हैं।

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