
दो बच्चों की नीति वाले प्रस्तावित ड्राफ्ट पर हंगामा, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में पहले से है लागू
यूपी के प्रस्तावित ड्राफ्ट से मिलता जुलता कानून अन्य राज्यों में है लागू। उल्लंघन करने वाले नहीं लड़ सकेंगे स्थानीय निकाय चुनाव। किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से कर दिया जाएगा वंचित।
उत्तर प्रदेश का प्रस्ताव के रूप में रखा गया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक चर्चाओं में है। जिसमें दो-बच्चों के बने हुए इस एक्ट का उल्लंघन करने वाले स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा। इस पर सरकार ने 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी है। लेकिन इस एक्ट को लेकर राजनीति तेज हो गई है।
राजनीतिक दल इसको लेकर बैठ चुके हैं कोई कह रहा है कि सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए तो कोई कह रहा है कि इसके लिए यह टाइमिंग सही नहीं है। जनसंख्या नियंत्रण बिल को चुनाव की वजह से लाया गया है, या फिर चुनाव की वजह से इस पर हंगामा हो रहा है, यह कहना तो अभी मुश्किल है। लेकिन उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों में सालों पहले इससे मिलता-जुलता कानून लागू है।
इन राज्यों में लागू है दो-बच्चों की नीति:
मध्य प्रदेश ने साल 2001 से ही दो बच्चों का कानून लागू कर दिया था। मध्य प्रदेश के सिविल सर्विस नियमों के अनुसार, अगर 26 जनवरी 2001 से पहले तीसरे बच्चे का जन्म हुआ है तो वह सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं हैं उच्च न्यायिक सेवाओं में भी यह नियम लागू कर दिया गया है।
उत्तराखंड में भी दो से ज्यादा बच्चे होने पर जिला पंचायत और ब्लॉक डिवेलपमेंट कमिटी का सदस्य बनने की अनुमति नहीं है।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के पंचायती राज कानून के अनुसार अगर किसी को 30 मई 1994 से पहले दो से ज्यादा बच्चे हुए हैं तो वह व्यक्ति स्थानीय चुनाव नहीं लड़ सकता।
राजस्थान में दो बच्चों से ज्यादा होने पर वह व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं जा सकता। इसके साथ राजस्थान के पंचायती राज एक्ट 1994 के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह (महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है) पंच या सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने का पात्र नहीं हो सकता है। अगर दोनों में से कोई एक बच्चा दिव्यांग है तो ही उसे इस कानून में छूट मिलती है।
महाराष्ट्र में भी अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह ग्राम पंचायत, नगर निगम जैसे चुनावों को नहीं लड़ सकता। महाराष्ट्र के सिविल सर्विस नियमों के अनुसार भी दो से ज्यादा बच्चे होने पर आपको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकेगी।
गुजरात में 2005 में इस कानून में कुछ बदलाव किया गया था। इसके बाद दो से ज्यादा बच्चे वालों को पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों लड़ने से वंचित कर दिया गया था।
ओडिशा की जिला परिषद ने इस एक्ट में 1992 में बदलाव किया था जिसके बाद से दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत या नगर निगम में न वह कोई चुनाव लड़ सकता है न ही कोई पोस्ट मिलती।
असम राज्य में जनसंख्या नीति पहले से लागू है. वहा पर साल 2019 में बीजेपी सरकार ने ही कानून बनाया था कि जिनको दो से ज्यादा बच्चे होंगे वह 1 जनवरी 2021 के बाद सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होंगे।
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