
केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधार को बढ़ाने के लिए उठाया महत्वपूर्ण कदम
पुराने मामलों पर कर यानी रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले के पिछले एक दशक से चल रहे विवाद को विराम देकर मोदी सरकार ने फिर दिखाया है कि बड़े आर्थिक सुधारवादी कदम उठाने का राजनीतिक माद्दा वह खूब रखती है।
नई दिल्ली : रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले के पिछले एक दशक से चल रहे विवाद को मोदी सरकार ने विराम देकर फिर दिखाया है कि वो बड़े आर्थिक सुधारवादी कदम उठाने से कभी पीछे नहीं हटेगी। पिछले कई दिनों से विपक्ष की लामबंदी के बीच सरकार ने आर्थिक सुधारों को और बढ़ाया है।
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में जो कानूनी संशोधन प्रस्तावित किया गया है, उसे विपक्षी दल निश्चित तौर पर सरकार को घेरने के लिए इस्तेमाल करेगा, लेकिन यह फैसला इसलिए किया गया है कि कोरोना के बाद बदले माहौल में जब वैश्विक कंपनियां निवेश के लिए भारत की तरफ देखें तो उनके सामने टैक्स को लेकर कोई दिक्क्त या परेशानी न हो।
मीडिया से वार्ता में केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि आने वाले दिनों में सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों और इकोनामी को मजबूत बनाने को लेकर कुछ और बड़े फैसले किए जाएंगे।
विदेशी निवेश को आकर्षित करने को लेकर भारत अभी बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर है। अभी दो दिन पहले ही संसद ने सरकार की तरफ से प्रस्तावित संसोधित विधेयक द जनरल इंश्योरेंस बिजनेस विधेयक, 2021 को मंजूरी दी है, जो अब साधारण बीमा कंपनियों में सरकार को अपनी हिस्सेदारी 51 फीसद से भी नीचे ले जाने की इजाजत देती है।
विदेशी निवेश की छूट बड़ा कदम
इस बार की अपने आम बजट 2021-22 में केंद्र सरकार ने दो सरकारी बैंकों के साथ एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का एलान किया था। अभी तक के कानून के मुताबिक साधारण बीमा कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसद से नीचे नहीं की जा सकती थी। इसके कुछ ही दिन पहले कैबिनेट ने सरकारी क्षेत्र की तेल व गैस कंपनियों में सौ फीसद विदेशी निवेश की छूट देने का फैसला किया है। यह फैसला पहली बार देश की किसी सरकारी कंपनी को पूरी तरह से विदेशी कंपनी को बेचने का रास्ता साफ करेगा।
कोरोना महामारी के बाद दुनिया में नई वैश्विक सप्लाई व्यवस्था बनने की संभावना है। इसके तहत कई बड़ी विदेशी कंपनियां मौजूदा देशों को छोड़कर अन्य आकर्षक निवेश स्थलों की खोज करेंगी। अपने विशाल बाजार व प्रशिक्षित श्रम की वजह से भारत इन कंपनियों का पसंदीदा स्थल बन सकता है। कंपनियों के समक्ष यहां कर व्यवस्था में अनिश्चितता का सवाल नहीं होना चाहिए।
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