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उत्तराखंड : कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित, प्रशासन ने गंगाजल लेने पहुंचे 100 से अधिक यात्री लौटाए

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा प्रतिबंधित होने के बावजूद भी गंगाजल लेने के लिए यात्रियों का आना लगातार अभी भी जारी है। हरिद्वार में गुरुवार को सुबह 10 बजे तक 100 से अधिक कांवड़ लेने के लिए आए लोगों व अन्य यात्रियों को वहाँ से वापस लौटाया गया।

इन यात्रियों को GRP ने शटल बसों व वापसी की ट्रेनों से टिकट कराने के बाद वापस भेजा। रेलवे स्टेशन के निकास द्वार पर तैनात की गई पुलिस टीमें यात्रियों की RTPCR रिपोर्ट देखने के बाद ही उन्हें स्टेशन से बाहर भेज रही हैं। जिन यात्रियों के पास रिपोर्ट नहीं है। उनकी जांच भी करवाई जा रही है।

वहीं जो यात्री जांच करवाने के मना कर रहे हैं। उनकों वापस भेजा जा रहा है। कांवड़ियों की पहचान समूह के माध्यम से कराई जा रही है। कांवड़ लेने के लिए युवा समहू में आते हैं, ऐसे में जिस भी ग्रुप में चार से पांच युवा दिख रहे हैं। उनसे भी पूछताछ की जा रही है।

वहीं देहरादून, ऋषिकेश से आने वाले यात्रियों की स्थानीय ID देखकर स्टेशन परिसर से बाहर जाने दिया जा रहा है। ASP जीआरपी मनोज कात्याल ने बताया कि रेलवे स्टेशन के सभी निकास द्वारों पर अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की गई है।

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कांवड़ यात्रा रद्द होने से व्यापारी ही नहीं, बल्कि कांवड़ बनाने वाले कारीगरों के रोजगार पर भी चोट पड़ी है। ज्वालापुर क्षेत्र का एक बड़ा तबका कांवड़ बनाता है। कांवड़ यात्रा लगातार दूसरे साल प्रतिबंधित होने से कारीगरों को परिवार का पालन पोषण करने के लिए मजदूरी का सहारा लेना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है।

इसमें परिवार की महिलाएं, बच्चों समेत पूरे परिवार के लोगों काम मिल जाता था। इन लोगों का कहना है कि कोरोना काल में पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में रोजाना मजदूरी भी नहीं मिलने से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।

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