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तपस पद यात्रा: करौली शंकर महादेव ने दिया नशा मुक्त-शोक मुक्त व रोग मुक्त का संदेश

हजारों भक्तों के करौली शंकर महादेव ने स्वंय किया यात्रा में प्रतिभाग

तपस पद यात्रा:  ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हुए करौली शंकर महादेव

कानपुर: पिपरगंवा ग्राम करौली स्थित लव कुश आश्रम के करौली धाम के शंकर महादेव के नाम से विश्व विख्यात गुरुजी (संतोष सिंह भदोरिया) पिछले तीं वर्षों से अपने दैनिक आध्यात्मिक कार्यों व सनातन धर्म की दिशा में वैदिक रीति रिवाज से देश-विदेश के जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के तहत देश-विदेश में अक्सर खास चर्चा का विषय बने रहते हैं। पिछले वर्ष भी असाध्य रोगियों को वैदिक रीति नीति से मात्र एक ही दिन में चंगा करने को लेकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टी-वी चैनलों में करौली सरकार के शंकर महादेव गुरुजी काफी सुर्खियों में रह चुके हैं। इसी कड़ी में उन्होने तपस यात्रा के जरिये अपने रास्ते को तैयार करते हुए पूरे भारत को नशा मुक्त, रोग मुक्त, शोक मुक्त भारत का संदेश देने का लक्ष्य तय किया है। जिसके तहत उन्होंने कठिन व जटिल तपस्या यात्रा व दंडवत यात्रा करने का कम पिछले कई महीने से जारी कर रखा है।

इसी संकल्प के तहत अब स्वयं करौली शंकर महादेव अपनी तपस्थली के आसन से उठकर स्वयं “लव कुश आश्रम” करौली सरकार धाम से पैदल चलकर कानपुर के सरसैया घाट तक शोक मुक्त-रोग मुक्त- नशा मुक्त भारत के संकल्प को लेकर पदयात्रा करने का बीड़ा उठाया। करौली सरकार के शंकर महादेव “गुरु जी” के समर्थन में पूरे देश में “शंकर सेना” निरंतर “गुरु जी” के निर्धारित लक्ष्य को लेकर दिन रात शंकर सेना के सदस्य समर्पित रहते हैं। शंकर सेना उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुबोध चोपड़ा ने बताया कि आरोप-प्रत्यारोप से हमारे गुरु जी के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता।

तपस पद यात्रा:  ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हुए करौली शंकर महादेव, हजारों भक्तों ने किया प्रतिभाग

सतयुग और द्वापर में भी श्रिषी मुनियों पर लगे आरोप

उन्होने कहा, आज तो कलयुग है, सतयुग और द्वापर तक में तमाम श्रिषी मुनियों पर भी आरोप-प्रत्यारोप रूप लगे। उदाहरण के तौर पर डाकू अंगुलीमाल जो कि बाद में ऋषि वाल्मीकि के रूप में रामायण की रचना की। वहीं कालिदास जिन्हें महामूर्ख का दर्जा दिया जाता था उन्होंने पूरे विश्व को एक “महाकाव्य” लिखकर बता दिया कि व्यक्ति के अतीत को नहीं वर्तमान को देखो अतीत देखने वाले सिर्फ अपने कुंठा को दूर करने का काम करते हैं, क्योंकि वह अपने जीवन से कुंठित रहते हैं और उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को जो कि निस्वार्थ समाज के लिए उतरा हो, उसके प्रति ऐसे लोगों के मन में आत्मग्लानि पैदा होने लगती है और वह आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगते हैं।

“तपस यात्रा” के विषय पर बताया कि यह “तपस यात्रा” खास करके उन लोगों की है या उनके प्रति है जो आज भले चंगे होकर गुरु जी के आश्रम से मुक्त हुए हैं और जो आज गुरु जी की शरण में है वह इस तपस यात्रा में अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए सतत प्रयास रत हैं। इसी “तपस यात्रा” के गर्भ में करौली सरकार के शंकर महादेव ने एक संकल्प उठाया है कि भारत एक सनातन देश है और यहां सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है और यह “तपस यात्रा” सिर्फ और सिर्फ भारत देश की सनातनी गौरव को पूरे विश्व में फैलने का संदेश देने का कार्य है। जिस संकल्प के तहत करौली सरकार के शंकर महादेव “गुरु जी” ने यह संकल्प लिया है उनके प्रति सदभाव पूर्वक “शंकर सेना” करौली सरकार शंकर महादेव “गुरु जी” के साथ हमेशा कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए वचनबद्ध है।

तपस पद यात्रा:  ऐतिहासिक यात्रा में शामिल हुए करौली शंकर महादेव

तपस यात्रा के विषय पर बताया कि करौली आश्रम से चलकर सरसैया घाट पर यह “तपस यात्रा” समाप्त हुई। जहां रात 8 और 9 के बीच में गंगा मैया को विशाल चुनरी पहनाकर दीपदान करते हुए मां गंगा की महाआरती हुई। प्रातः काल परम पूज्य शंकर महादेव “गुरुजी” द्वारा गंगा आचमन व रुद्राभिषेक का कार्यक्रम होगा। इस बीच मौजूद वहां हजारों भक्त जलपान हुआ भोजन इत्यादि करते रहेंगे प्रातः रुद्राभिषेक के उपरांत आरती व प्रसाद वितरण होगा और गुरुजी भक्तगणों को शुभ आशीर्वाद देकर वापस करौली आश्रम रवाना हो जाएंगे।

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