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”न्याय प्रणाली को सुगम बनाना हमारा लक्ष्य”- पीएम मोदी

दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी ने विज्ञान भवन(Vigyan Bhawan) में आयोजित पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सम्मेलन(All India District Legal Services Authority Conference) के उद्घाटन सत्र में शिरकत की। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण भी मौजूद रहे।

उद्घाटन कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि, ये समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। अगले 25 सालों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृतयात्रा में व्यापार करने में, जीवन में आसानी के साथ-साथ न्याय की आसानी भी उतनी ही जरूरी हैं। किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी न्याय वितरण प्रणाली भी है। इसमें एक अहम योगदान न्यायिक अवसंरचना का भी होता है।

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बीते पिछले 8 सालों में देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। इसे आधुनिक बनाने के लिए 9,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। क्योंकि अब से ई-कोर्ट मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू की जा रही हैं। यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके।

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पीएम मोदी ने कहा कि एक आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हो, अपने कर्तव्यों से परिचित हो। उसे अपने संविधान, और संवैधानिक संरचनाओं की जानकारी हो, नियम और समाधान की जानकारी हो। इसमें भी टेक्नोलॉजी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

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