
क्या कोरोना वायरस काल में भी चल रही है राजनीतिक पैंतरेबाजी ?
देश में संक्रमण के मामले बीते महीने काफी कोहराम मचा ते हुए नजर आए संक्रमण के मामलों ने यह हाल कर दिया था कि आंकड़े देख कर ही देश भारत के लिए दुआएं मांग रहे थे लाखों लोगों ने अपनी जान गवा दी राजनीतिज्ञ महामारी का मिलजुल कर सामना करने की स्थान पर अपनी अपनी राजनीतिक पैंतरेबाजी करते नजर आ रहे हैं अपने देश में अगर कोरोना वायरस की स्थिति को देखा जाए तो भले ही आंकड़े दिन पर दिन घिरते नजर आ रहे हैं लेकिन अभी पूरी तरह से कोरोनावायरस संक्रमण से देश को छुटकारा नहीं मिला है.
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दूसरी लहर भी पूरी तरह नहीं पीती है तीसरी लहर के आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं ऐसे में इस बात को बखूबी समझ सकते हैं कि देश के हालात क्या थे और क्या है लॉकडाउन लगाने से मामलों में वृद्धि पर रोक लगी है लेकिन लॉकडाउन खुलने पर मामले नहीं बनेंगे इस बात पर कुछ नहीं कहा जा सकता है और बिना लॉक डाउन खुले एक भी काम संभव नहीं है क्योंकि लोगों के रोजगार ठप हो रहे हैं इसके साथ-साथ भारत की और राज्यों की अर्थव्यवस्था भी गिरती हुई दिख रही है.
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लेकिन भारत के अंदर कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति का जिम्मेदार किसको ठहराया जाए? आखिर लाखों संक्रमण मामलों का जिम्मेदार कौन है? भारत की केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार पक्ष की पार्टी हो या विपक्ष सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में अपनी उर्जा लगा रहे हैं वक्त की बर्बादी कर रहे हैं इस बात की चिंता बहुत कम राजनेताओं को देखने को मिली कि देश में इतनी बड़ी आबादी को इस विकराल रूप रखने से कैसे संकट से बचाया जाए.
क्या राजनीति गलत है?
देखा जाए तो राजनीति बिल्कुल भी गलत नहीं है लेकिन महामारी के दौर में जब लाखों लोग अपनी जान गवा रहे हो ऐसे में सारी राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होकर देश के लिए काम करना चाहिए ऐसी स्थिति में राजनीति ज्यादा वक्त तक साथ नहीं देती है लेकिन यह भी ठीक है कि चुनावी जीत हासिल करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह चुनाव ही है जो इन राजनैतिक दलों और राजनेताओं को संजीवनी प्रदान करता है लेकिन आखिर क्या चुनाव जीतना इतना जरूरी है कि सामान्य मानव के जीवन का भी कोई महत्व ना बचे ?
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चाहे कोई भी बड़ा राजनेता क्यों ना हो या फिर कोई भी बड़ी राजनीतिक पार्टी क्यों ना हो यह बात ध्यान में रखनी होगी कि चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है लेकिन जन संरक्षण के स्वास्थ्य और उनके जीवन की सुरक्षा चुनाव से भी बढ़कर है और यह भी एक चतुर राजनीतिज्ञ को समझना और पर रखना होगा कि वे चाहे कितने भी चला क्यों ना हो जनता उनके राजनीतिक पैतरों को काफी अच्छे से समझती है। हम कई सारे चुनाव एवं उपचुनाव मे इस बात की बानगी पूर्व मे भी देख चुके हैं और आने वाले चुनाओं और उपचुनाओं के नतीजों में भी इसे देखेंगे ।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण की जो स्थिति है क्या उसमें राजनीतिक जुमलेबाजी और आरोप प्रतिरूप पक्ष विपक्ष में कोरोना वायरस संक्रमण को काबू कर पाएंगे ? यह बात हर राजनीतिक पार्टी और नेताओं को समझना चाहिए। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर भले ही हल्की पड़ने लगी हो लेकिन अभी भी देश से संकट टला नहीं है कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर भी पूरी तरह से नहीं गई है इतना ही नहीं देश में बड़े बड़ी किल्लत हो के बाद अब वैक्सीन की किल्लत भी देखने को मिल रही है।
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हालांकि दावे किए जा रहे हैं कि जून-जुलाई के बाद से वैक्सीन के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी की जाएगी और जल्द से जल्द देश के हर नागरिक को कोरोना का टीका लगाने का प्रयास किया जाएगा ताकि संक्रमण से बचा जा सके । देश को इस वक्त जरूरत है तो राजनीति की नहीं बल्कि राजनेताओं के प्रयास की ताकि देश जल्द से जल्द कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट से मुक्त हो जाए और भारत का हर नागरिक बिना मास्क के खुली हवा में सांस ले सके।