
Start-Up
स्टार्टअप: मांस खाने का ‘अपराध-मुक्त’ विकल्प है ‘द ग्रीन मीट’
खाने के भविष्य पर चर्चा में आया आइडिया
साल 2021 में उन्नीकृष्णन और धीरज ने जब अपने उद्यम ‘द ग्रीन मीट’ को लॉन्च किया। ताकि मांस खाने वालों को एक ‘अपराध-मुक्त’ विकल्प दिया जा सके। इस विकल्प के मुताबिक, नॉन-वेजेटेरियन व्यक्ति पौधों के माध्यम से तैयार हुए मांस का स्वाद लेना जारी रख सकते थे।
खाने के भविष्य पर चर्चा में आया आइडिया
दरअसल उन्नीकृष्णन पीजी और धीरज मोहन आईआईएम कोझीकोड में एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे। दोनों अक्सर खाने के भविष्य को लेकर चर्चा करते थे। हांलाकि धीरज नॉन वेजेटेरियन व्यक्ति थे। जबकि उन्नीकृष्णन मांस बिल्कुल नहीं खाते थे। तभी दोनों के मन में नॉनवेज न खाने पर पोषण की कमी को लेकर चिंता जाहिर की। और यहीं से ‘द ग्रीन मीट’ का ख्याल आया।
दोनों दोस्तों ने संभाली जिम्मेदारी
उन्नीकृष्णन द ग्रीन मीट में सीईओ और सह-संस्थापक हैं। और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और उद्यमिता में माहिर हैं। जबकि धीरज द ग्रीन मीट के सीओओ और सह-संस्थापक हैं, जो मैनुफेक्चुरिंग के लिए औद्योगिक स्वचालन और प्रक्रिया नियंत्रण में माहिर हैं। उन्नीकृष्णन जहां स्वादिष्ट व्यंजनों को पसंद करते हैं, वहीं धीरज दिल से खाने के शौकीन हैं।
भारतीय शैली से पकाते हैं खाना
बिजनेस-टू-कंज्यूमर स्टार्टअप ने उत्पाद और टेक्नालजी के अनुसंधान और विकास के लिए केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएफटीआरआई), मैसूर के साथ भागीदारी की। द ग्रीन मीट की खासियत यह है कि यह खाना पकाने की भारतीय शैली के लिए एकदम सही है। द ग्रीन मीट का संचालन ग्रीनोवेटिव फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है। जो एक प्रेजर्वेटिव मुक्त और 100 प्रतिशत प्लांट-बेस्ड मीट विकल्प बनाने के लिए एक कुशल बनावट तकनीक का उपयोग करती है। निर्माण प्रक्रिया इंग्रीडिएंट के चयन और निर्माण के साथ ही प्रोटीन कंसंट्रेशन और मिश्रण के साथ शुरू होती है। इसके बाद थर्मो-मैकेनिकल प्रक्रिया के बाद प्लांट-बेस्ड मीट उत्पाद को कार्यात्मक बनाने और उन्हें पशु मांस के बराबर रूप में परिवर्तित करने पर काम होता है।
प्लांट-बेस्ड मीट में मिलेगा प्रोटीन और पोषक तत्व
कंपनी का कहना है कि, उसके प्लांट-बेस्ड मीट में जानवरों के मांस के समान प्रोटीन और पोषक तत्व होते है। और फिर भी इसमें कोई ट्रांस-वसा, कोई कोलेस्ट्रॉल, कोई एंटीबायोटिक्स और कोई हार्मोन नहीं होता है। बल्कि इसमें स्वस्थ आहार फाइबर होते हैं। स्टार्टअप पूर्व-राजस्व चरण में है और आईआईएम-कोझिकोड और KRIBS-बायोनेस्ट में इनक्यूबेट किया जा रहा है।
भविष्य की है तैयारी
मौजूदा समय में वैकल्पिक मीट तैयार कर रहे इस स्टार्टअप का लक्ष्य अपने पहले चरण के लिए अपने गृह राज्य केरल पर ध्यान केंद्रित करना है। दूसरे चरण में इसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर विस्तार करते हुए पूरे दक्षिण भारतीय बाजार को लक्षित करना है। इसके साथ ही साल 2025 तक, द ग्रीन मीट तीसरे चरण में प्रवेश करना चाहता है। जहां यह पूरे भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। साथ ही चुनिंदा विदेशी बाजारों में भी प्रवेश करना चाहता है। कंपनी नकदी प्रवाह को सकारात्मक बनाने की उम्मीद कर रही है। जिसको लेकर वर्तमान में विकास के तहत प्रक्रिया और टेक्नालजी के लिए पेटेंट आवेदन कर चुकी है।
मांस खाने का अपराधबोध होगा खत्म
मांस खाने के अपराधबोध और जीवन के एक स्थायी तरीके की ओर बढ़ती चिंताओं के साथ प्लांट-बेस्ड मीट एक मजबूत छाप बनाने की ओर बढ़ रहा है। इनोवेटिव तकनीकी के साथ आगे बढ़ते हुए द ग्रीन मीट बाज़ार में अपनी खास जगह बनाने की ओर तेजी से अपनी जगह भी बना रहा है।