
कोरोना ने तोड़ी कमर फिर भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं स्टार्टअप करने वाले लोग
स्टार्टअप करने वाले लोगों के लिए पिछले दो सालों से कोविड महामारी के चलते खुद को स्थापित करना बड़ी चुनौती बन गई है।
स्टार्टअप करने वाले लोगों के लिए पिछले दो सालों से कोविड महामारी के चलते खुद को स्थापित करना बड़ी चुनौती बन गई है। लेकिन इस चुनौती का सामना कर रहे स्टार्टअप अपने नवाचार विचारों को कारोबार में बदलने के लिए हिम्मत नहीं हार रहे हैं। स्टार्टअप टास्क फोर्स की बैठक में प्रदेश के छह और स्टार्टअप को मान्यता दे दी गई है। अब प्रदेश में स्टार्टअप का आंकड़ा 100 पहुंच गया है।
उत्तराखंड में हेल्थ केयर, एग्रो फूड प्रोसेसिंग, आईटी, शिक्षा, पर्यटन के साथ विनिर्माण सेक्टर में बिजनेस के लिए स्टार्टअप आगे आ रहे हैं। महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा की अध्यक्षता में स्टार्टअप टास्क फोर्स की बैठक में 10 नवाचार आइडिया का प्रस्तुतीकरण किया गया, जिनमें से छह स्टार्टअप को सरकार ने मान्यता दे दी है। हेल्थ केयर सेक्टर में स्टार्टअप ने सैनिटाइजेशन, वेंटिलेटर और कोविड जांच में कार्य किया। बता दें कि मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
इस संबंध में उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने कहा कि हर साल नवाचार विचारों की पहचान कर उन्हें बिजनेस के रूप में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभाग स्टार्टअप को सरकार की तरफ से वित्तीय सहयोग दिलवाने के साथ ही निजी निवेशकों से फंड उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है।
स्टार्टअप वैली कल्चर एक्सपोर्ट कंपनी को सरकार ने मान्यता दे दी है। इस कंपनी के स्टार्टअप रॉबिन नागर व शिखा प्रकाश का कहना है कि उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों के लिए मार्केटिंग प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। प्रदेश में ऐसे उत्पाद हैं जो सेहत के लिए काफी फायेदमंद हैं।
उत्तरकाशी व अन्य जनपदों से घराट से पीसे हुए आटे की दिल्ली, मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों में मार्केटिंग की जा रही है। घराट के आटे का 50 किलो से काम शुरू किया था। अब छह सौ किलो तक आटा ग्रीन कैफे व अन्य बड़े स्टोर के माध्यम से बेच रहे हैं। इसी तरह हल्दी, शहद व अन्य उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है।