
उत्तराखंड में भी ब्लैक फंगस का कहर, देहरादून में हुई पुष्टि
देहरादून में भी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। शुक्रवार को शहर के बड़े निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस के एक मरीज की पुष्टि हुई है। दूसरे मरीज को अभी संदिग्ध माना जा रहा है। इसी तरह एक सरकारी अस्पताल में भी ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज भर्ती हुआ है। कुछ देर में अस्पताल प्रशासन द्वारा अधिकारिक बयान जारी किया जाएगा, जिसके बाद अस्पताल का नाम और मरीज के बारे में असल स्थिति से अवगत कराया जाएगा। कोविड संक्रमण को मात देने वालों के लिए अब एक नया दुश्मन पैदा हो गया है। काला फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) स्वस्थ हो चुके कोविड संक्रमितों की आंखों की रोशनी छीन रहा है।

कोविड संक्रमण को मात देने वालों के लिए अब एक नया दुश्मन पैदा हो गया है। काला फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) स्वस्थ हो चुके कोविड संक्रमितों की आंखों की रोशनी छीन रहा है।
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कोविड संक्रमण के पहले नौ दिन बेहद महत्वपूर्ण
यही नहीं ब्लैक फंगस आंखों के साथ त्चचा, नाक, दांतों को भी नुकसान पहुंचाता हैं। नाक के जरिए फेफड़ों और मस्तिष्क में पहुंचकर ब्लैक फंगस लोगों की जान भी ले रहा है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजे नेगी ने बताया कि कोविड संक्रमण के पहले नौ दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते मरीज काले फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंखों के साथ यह फंगस त्वचा, नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क के लिए बेहद खतरनाक होता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में कोविड मरीज को स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाएं दी जाती है।
लंबे समय तक इन दवाओं के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है। डा. राजे नेगी ने बताया कि अगर संक्रमण नाक के रास्ते फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो भी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। उन्होंने बताया फिलहाल महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, मध्यप्रदेश और दिल्ली में फंगस के मामले सामने आए हैं। ब्लैक फंगस के चलते कई लोगों की मौत हुई है।