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उत्तराखंड: कोरोना कहर में केवल प्रदेश भर में चलेंगी रोडवेज बसें

उत्तराखंड रोडवेज की बस सेवा सभी राज्यों के लिए बंद कर दी गई है। लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण और दूसरे राज्यों की बंदिशों के चलते यह फैसला लिया गया है। अब केवल प्रदेश के भीतर ही बसों का संचालन किया जाएगा। दरअसल, पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाली बसों का संचालन बंद कर दिया था।

इस वजह से उत्तराखंड रोडवेज की यूपी और यहां से होकर दूसरे राज्यों में जाने वाली बसें बंद कर दी गई थीं। परिवहन निगम ने केवल चंडीगढ़ के लिए ही बस सेवा सुचारु रखी थी। अब कोरोना संक्रमण के चलते सभी राज्यों के लिए बस सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई है।

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परिवहन निगम की कई सौ बसों के पहिये पूरी तरह से थम चुके हैं। निगम प्रबंधन के मुताबिक, अब केवल प्रदेश के भीतर ही यात्रियों की उपलब्धता के आधार पर बसों का संचालन किया जाएगा। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन एवं तकनीकी दीपक जैन ने बताया कि फिलहाल प्रदेश के जिस जिले के लिए यात्री होंगे, केवल वहीं की बसें चलेंगी।

कोरोना की दूसरी लहर से लड़खड़ाया निगम, राहत की दरकार
कोरोना के पहले लॉकडाउन और अब दूसरी लहर में परिवहन निगम पूरी तरह से लड़खड़ा गया है। निगम की बसों का संचालन तो ठप हो गया है, लेकिन खर्च का मीटर हर महीने तेजी से चल रहा है। अब तक निगम करीब 300 करोड़ रुपये की देनदारियों के बोझ में दब चुका है। अब हांफते निगम को सरकार से राहत की ऑक्सीजन की दरकार है।

उत्तराखंड परिवहन निगम से करीब सात हजार कर्मचारियों का परिवार जुड़ा है। हर महीने करीब 25 करोड़ रुपये वेतन, किराया, डीजल आदि सभी खर्च आते हैं। लॉकडाउन अवधि में भारी नुकसान होने के बाद इस बार कोरोना कर्फ्यू ने निगम की आय चौपट कर दी है। सभी राज्यों के लिए बस संचालन पूरी तरह से बंद हो चुका है। राज्य के भीतर भी औपचारिक तौर पर ही निगम की बसें चल रही हैं।

ऐसे में मार्च 2020 से अब तक निगम करीब 300 करोड़ की देनदारियों के बोझ में दब चुका है। हालात यह हैं कि जो कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उन्हें पैसा नहीं दिया जा रहा है। जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें आखिरी वेतन दिसंबर का मिला था। चार महीने से वेतन नहीं मिला है। निगम ने जो 300 बसें टाटा और अशोक लिलैंड कंपनी से खरीदीं थीं, उनका कर्ज भी नहीं चुका पा रहा है।

बताया जा रहा है कि अनलॉक शुरू होने के बाद रोडवेज बसों का जो संचालन हुआ था, उससे बमुश्किल कुछ डीजल जैसे खर्च पूरे हो पाए थे। इसके बाद सरकार से जो भी पैसा बतौर प्रतिपूर्ति मिला है, उससे भी निगम कुछ वेतन दे पाया था। अब निगम की कमाई सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। निगम के महाप्रबंधक संचालन एवं तकनीकी दीपक जैन का कहना है कि फिलहाल बस संचालन प्रभावित होने की वजह से निगम की आय भी घट गई है। आने वाले समय में वह कुछ बेहतर की उम्मीद कर रहे हैं।

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उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि निगम जिस हालात में पहुंच चुका है, वहां जब तक सरकार मदद नहीं देगी, तब तक निगम को कोई राहत की उम्मीद बेमानी है। अभी यह भी कहना मुश्किल है कि कितने समय तक निगम की बसों का संचालन सुचारु हो पाएगा। उन्होंने मांग की कि प्रदेश सरकार कम से कम 500 करोड़ रुपये का राहत पैकेज निगम को दे। भले ही इसके बदले में वह निगम की अनुपयोगी जमीनों को ले ले। वह जमीनें सरकार जनता के दूसरे कामों के लिए उपयोग में ला सकती है।

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