
बाल स्वच्छता अभियान, जानिए क्या है यह अभियान ?
भारत में लोगों को स्वच्छता से रूबरू करवाने के लिए पहले भी कई बार अभियान चलाए गए हैं। भारत का सर्व प्रचलित स्वच्छ भारत अभियान ( baal svachchhata abhiyaan ) भी देश को स्वच्छता के बारे में बताने के लिए ही था।कई जगहों पर शौचालय का भी अभाव है। इस बात को जानकर हैरानी होगी कि गांव में तो शौचालय का अभाव है ही लेकिन साथ ही साथ कई शहरों में भी शौचालय नहीं बने हुए हैं। साल 2011 की गणना के अनुसार 62 करोड़ 20 लाख की आबादी शौच के लिए बाहर जाने पर मजबूर थी।

देश में साफ़-सफ़ाई की कमी एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि इसी से गम्भीर बीमारियाँ फैलती हैं। स्वच्छता की कमी की वजह से देश में सबसे ज्यादा असर बाल बच्चों पर होता है। इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसी योजना की शुरुआत की है जिसमें बाल बच्चों पर ही मुख्य ध्यान केंद्रित किया गया है। इस योजना का नाम बाल स्वच्छता योजना है। जैसा कि इस योजना के नाम से पता चलता है कि इसमें बच्चों को स्वच्छता के बारे में बताया जाएगा। आज हम आपको बाल स्वच्छता योजना के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं और यह भी बताने जा रहे हैं कि कैसे आपको इस योजना से फायदा होगा।
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क्या है बाल स्वच्छता मिशन?
भारत देश में हमेशा से ही कई स्वच्छता मिशन चलाए जाते रहे हैं। इन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वच्छता फैलाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि गंदगी फैलने की वजह से देश में कई जगहों पर लोगों को बीमारियों से ग्रस्त रहना पड़ता है खासतौर पर बाल बच्चों को। इसी वजह से कई लोगों पर नकारात्मक प्रभाव भी पढ़ते हैं।
लोगों को इसी से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और नए मिशन की शुरुआत की जिसका नाम बाल स्वच्छता मिशन है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन बाल दिवस पर 14 नवम्बर को बाल दिवस के अवसर पर “बाल स्वच्छता मिशन” की नींव रखी गई।इस मिशन के दौरान बच्चों को स्वच्छता एवं साफ-सफाई के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसकी मदद से बच्चे भी स्वच्छता के बारे में जान पाएंगे और बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
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बाल स्वच्छता मिशन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया मिशन है। यह मिशन भी भारत में शुरू किए गए बहुत प्रचलित स्वच्छ भारत अभियान का एक हिस्सा है। इस अभियान को केन्द्रीय मंत्री मेनका गाँधी ने ‘राष्ट्रीय बाल स्वच्छता अभियान’ को भूतपूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जन्मतिथि पर लॉन्च किया गया।इस मिशन के दौरान खास तौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों को स्वच्छता से अवगत कराया जाएगा।
क्या है इसकी आवश्यकता?
हर देश में बच्चों के स्वास्थ्य और उनके शारीरिक,मानसिक विकास के लिए स्वच्छता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है । दुर्भाग्यवश भारत में 14 साल की उम्र समूह के बच्चों में से 20 फीसदी से अधिक बच्चे असुरक्षित पानी, अपर्याप्त स्वच्छता या अपर्याप्त सफाई के कारण या तो बीमार रहते हैं या फिर मौत का शिकार हो जाते हैं। इसका साफ मतलब यह है कि भारत में अस्वच्छ वातावरण की वजह से कई बच्चों की मौत हो जाती है।इसी तरह से सफाई के अभाव के कारण डायरिया से होने वाली मौतों में 90 फीसदी मौतें पांच साल से कम उम्र के बच्चों की होती हैं।
एक सर्वे के अनुसार भारत में 47% बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषण का शिकार होने की कई वजहों में से एक वजह गंदगी भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि गंदगी होने की वजह से बच्चों के पोषक तत्व उनके शरीर से इंफेक्शन की वजह से बाहर निकल जाते हैं और उन्हें कुपोषित बनाते हैं।
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यही नहीं अस्वच्छ वातावरण की वजह से बच्चों का विकास भी ढंग से नहीं हो पाता है । यही वजह है कि छोटे से छोटे बच्चे को स्वच्छता के बारे में हम बचपन से ही सिखाएं।
क्या हैं इसकी मुख्य थीम?
बाल स्वच्छता मिशन को पूरा करने के लिए इसे कुछ थीम में बांटा गया है ।यह कार्यक्रम सभी स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों द्वारा कई कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से मनाया जाता है। इसी के लिए इसके कुछ थीम रखी गई है –
1.स्वच्छ आंगनवाड़ी
2.स्वच्छ परिवेश ( खेल के मैदान)
3.स्वयं की स्वच्छता (व्यक्तिगत स्वच्छता अथवा बाल स्वाथ्य)
4.स्वच्छ भोजन
5.स्वच्छ पेय जल
6.स्वच्छ शौचालय
क्या है योजना के मुख्य उद्देश्य और क्या होता है मिशन में?
1.इस मिशन से बच्चों में स्वच्छता की और जागरूकता फैलेगी और वे स्वच्छता के बारे में कई चीजें सीखेंगे।
2.इससे बच्चों में अपने आसपास सफाई रखने की आदत बनेगी। ऐसी आदत का संचार होने से पूरे देश में स्वच्छता का व्यवहार बनेगा। क्योंकि हमारे देश के बच्चे ही हमारे देश का भविष्य है तो भविष्य में जाकर भी हमारा देश और ज्यादा स्वच्छ रहेगा।
3.बच्चों के माध्यम से लोगों में भी स्वच्छता की ओर ध्यान केन्द्रित होगा। भारत में बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है और इसी वजह से उनके मासूम बातें मानने से कोई मना नहीं करता। जब लोग बच्चों को स्वच्छता अपनाते हुए देखेंगे तो वे खुद भी इस के पद पर चलेंगे। इसकी मदद से वे भी अपने आसपास सफाई रख सकेंगे।
- बच्चों के आसपास सफाई रहने की वजह से बीमारियां कम फैलेंगी और बच्चे अधिक स्वस्थ रहेंगे। इस बात को हर कोई जानता है कि गंदगी सीधे बीमारियों से जुड़ी हुई है। जब बच्चे स्वच्छ रहेंगे तो वह बीमारी से भी दूर रहेंगे। स्वच्छ भोजन, स्वच्छ पेय जल और स्वच्छ शौचालय जैसी आदत बच्चों में बचपन से बनेगी तो उन्हें आगे जाकर बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस मिशन के अंदर बच्चों के अंदर स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। जागरूकता को फैलाने के लिए कई गतिविधियाँ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन प्रतियोगिता, स्वच्छता पर चर्चा, समूह चर्चा, चित्रकारी, चार्ट बनाना, स्वच्छता प्रदर्शनी, चित्रकारी प्रतियोगिता, अपने आस-पास के क्षेत्रों की साफ-सफाई, पर्यावरणीय स्वच्छता क्रिया-कलाप, व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान पर पोस्टर बनाना ,आदि की जाती हैं।इस मिशन में सक्रिय भागीदारी के द्वारा सभी स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के अंदर जागरूकता फैलाते हैं।
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कितना हुआ काम?
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2013-14 में 80.57 प्रतिशत लड़कियों के स्कूलों में उनके लिए अलग शौचालय बने हुए थे। जबकि 2012-13 में यह संख्या मात्र 69 प्रतिशत थी। वैसे तो यह काम बहुत ही अच्छा है लेकिन फिर भी स्वच्छता का मतलब मात्र शौचालय बनवाना नहीं है। अभी भी कई ऐसे स्कूल है जहां पर शौचालय तो बना हुआ है लेकिन वहां पर जल की सुविधा नहीं है। इसी के साथ साथ कई जगहों पर स्वच्छता के इस मिशन को मात्र एक कार्यक्रम बना दिया गया है जिसकी वजह से ठीक तरीके से इसका चलन नहीं हो पा रहा है। फिलहाल तो भारत देश में अभी भी स्वच्छता के बारे में ज्यादा जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।