
टिकैत के आंसुओं की जीत, कृषि कानून वापसी का ऐलान
राजनीतिक दलों पर भारी पड़े किसान संगठन
मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आज तीनों कृषि कानून को वापस लेने का एलान कर दिया है। इसके चलते देशभर के किसान नेताओं और राजनीतिक दलों ने खुशी जताई है। वही किसान इसे हक की जीत बता रहे हैं। वही आंदोलन के मुखिया व भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इन्हें आंसुओं की जीत बताई है। कृष कानूनों को वापस लेने कलाम के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि राकेश टिकैत के आंसुओं का और लगातार चल रही महा पंचायतों का सबसे बड़ा योगदान रहा है क्योंकि इन महा पंचायतों में ना तो केवल किसानों का सैलाब उमड़ा बल्कि बदलते सियासी समीकरणों की ओर भी ध्यान खींचा।
गौरतलब है कि 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के बाद किसान आंदोलन फीका पड़ गया था। लेकिन एक टीवी चैनल में इंटरव्यू के दौरान राकेश टिकैत रो पड़े थे जिससे आंदोलन को नई ताकत मिली किसानों में दोबारा दमखम भर गया और वहीं पर राकेश टिकैत की बॉर्डर पर पहुंचने की अपील के बाद रातों-रात किसान अपने घरों से बॉर्डर के लिए कूच कर गए । इसके तुरंत बाद महा पंचायतों का दौर शुरू हुआ और इन महा पंचायतों के दौर से किसानों का बड़ा से लाभ मिलना शुरू हुआ वही महा पंचायतों को किसानों के साथ प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा था जिसके चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बदलती राजनीति के रूप में भी देखा जाने लगा।
राजनीतिक दलों पर भारी पड़े किसान संगठन
बता दें कि पहली बार बिजनौर में हुई महापंचायत के बाद जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दलों ने जमीन बैठ किसान संगठनों के नेता मंच में खूब दहाड़े। लेकिन इस महापंचायत में नेताओं की राजनीति चमकाने की कोशिश पर पानी फिर गया जिसके बाद उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा।