सायना नेहवाल ऐसे बनीं स्टार प्लेयर, भारत का नाम किया रोशन
स्टार भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने एक के बाद एक कई खिताब अपने नाम कर यह साबित कर दिया है कि खेल अब पुरूषों की बपौती नहीं है। खेलों में महिलाएं भी बुलंदियों को छू सकती है। सायना ने महज 8 साल की उम्र में एक ऐसे खेल को अपनाया था, जब प्रकाश पादूकोण के अलावा दूर-दूर तक बैडमिंटन में अन्य कोई सितारा नजर नहीं आता था। इतना ही नहीं क्रिकेट के प्रति लोगों में इस कदर जूनून था कि वे किसी अन्य खेल के बारे में सोचते तक नहीं थे। लेकिन सायना नेहवाल कोर्ट में 16-16 घंटे पसीना बहाया करती थी। कई उतार-चढ़ाव के बाद बावजूद सायना ने हौसला नहीं खोया और सभी बाधाओं को पार किया।
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हरियाणा से हैदराबाद का सफर
हरियाणा के हिसार जिले में 17 मार्च 1990 में हरवीर सिंह नेहवाल और ऊषा रानी नेहवाल के घर बेटी साइना ने जन्म लिया। हिसार में स्कूलिंग के दौरान पिता हरवीर का ट्रांसफर हैदराबाद हो गया तो फैमिली भी शिफ्ट हो गई। साइना ने आगे की पढ़ाई हैदराबाद में पूरी की और बैडमिंटन खेलना शुरू किया। बैडमिंटन की स्टेट लेवल प्लेयर मां ने बेटी की रुचि बैडमिंटन में देख उसे प्रोत्साहित किया और खेल को करियर बनाने के लिए प्रेरणा दी।
पिता खर्च कर डालते थे आधी तनख्वाहः
सायना की प्रतिभा को सबसे पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ आंध्रप्रदेश के बैडमिंटन कोच पीएसएस ननी प्रसाद राव ने पहचाना था। उन्होंने सायान के पिता को सालाह दी थी कि वे बैडमिंटन में करियर बनाए। हालाकि उस वक्त एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए 8 साल की बच्ची पर आधी तनख्वाह खर्च करना मुश्किल था। वह भी तब जब क्रिकेट के प्रति भारतीयों की दीवानगी इस कदर थी कि वे अन्य खेल के बारे में सोचते भी नहीं थे। लेकिन सायना के पिता ने उन पर भरोसा जताया और उसका नतीजा आज पूरा देश देख रहा है।
24 अंतरराष्ट्रीय टाइटल्स जीते
मां की दुआओं और प्रेरणा से साइना नेहवाल बैडमिंटन की दुनिया में आ गईं। साइना ने स्टेट लेवल खेलते हुए नेशनल और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा गईं। 16 बरस की उम्र में वह रिकॉर्ड बना चुकी थीं। साइना ने अपने करियर में 24 अंतरराष्ट्रीया टाइटल्स जीते हैं। ओलंपिक गेम्स, कॉमवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स समेत कई अंतरराष्ष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह गोल्ड, ब्रांज और सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।
नंबर 1 बनने के साथ अवॉर्ड का अंबार
साइना नेहवाल 2009 में विश्व नंबर 2 प्लेयर बनीं और 2015 में वह विश्व की नंबर 1 बैडमिंटन प्लेयर बनने का गौरव हासिल किया। ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला प्लेयर बनीं। 2016 में भारत सरकार ने साइना को पद्म भूषण से सम्मानित किया। इससे पहले साइना को सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2003 में मिला नौकरी का प्रस्तावः
वर्ष 1999 के बाद से भारतीय खेल प्राधिकरण ने सायना को 700 रुपये का फेलोशिप देना शुरू किया। इसके अलावा उन्हें एक किट और टूर्नामेंटो में हिस्सा लेने के लिए द्वीतीय श्रेणी का टिकट उपलब्ध कराया जाने लगा। वर्ष 2003 में सायना को भारत पेट्रोलियम की ओर से नौकरी का प्रस्ताव मिला। उस समय सायना की उम्र 14 साल थी। सायना की सहूलियत के लिए उनके पिता ने अपने प्रोविडेंट फंड से छह बार असमय पैसा निकाला। उन्होंने इसके लिए पत्नी की बीमारा बहाना बनाया।
बैडमिंटन नहीं यह खेल था पहला प्यारः
सायना नेहवाल का पहला प्यार कराटे था। वो बचपन से ही कराटे चैंपियन बनना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने बकायदा कराटे का प्रशिक्षण लिया था। वे कराटे की ब्रांज बेल्ट भी है, हालाकि बाद में उन्होंने बैडमिंटन में फोकस करने के लिए कराटे को छोड़ दिया।
बैडमिंटन खेलने के फायदे- रखता है दिल को स्वस्थ
बैडमिंटन खेलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह खेल दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। बैडमिंटन खेलने से व्यक्ति के मसल्स मजबूत होते हैं और यह ब्लॉक्ड वॉल्स को भी खोलकर रक्त संचार को बेहतर करने में सहायता करता है। इस प्रकार यह दिल को स्वस्थ रखने में काफी मददगार खेल है।
बेहतर करता है मेटाबॉलिक रेट
बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जो व्यक्ति के पाचन को ठीक करने के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ और फिट रखने में भी सहायता करता है। अगर कोई व्यक्ति हर दिन बैडमिंटन खेले तो उसका मेटाबॉलिज्म बढ़ता है क्योंकि बैडमिंटन खेलते समय व्यक्ति के शरीर से पसीना बाहर निकलता है जिसके कारण शरीर से विषैले पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं। इस तरह बैडमिंटन कार्डियोपल्मोनरी फंक्शन को भी सुधारता है।
बैडमिंटन खेलने के फायदे- मजबूत करता है हड्डियों को
बैडमिंटन का खेल ऐसा खेल है जो व्यक्ति के शरीर की हड्डियों को मजबूत तो करता ही है साथ ही हड्डियों के घनत्व को भी बढ़ाने में अत्यधिक सहायक है। जब कोई व्यक्ति बैडमिंटन खेलता है तो उसके शरीर में उन कोशिकाओं का उत्पाद और निर्माण बढ़ता है जो हड्डियों के घनत्व लिए अत्यधिक आवश्यक है।
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कंट्रोल करता है वजन
अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन बैडमिंटन खेलता है तो इसके लिए उसे अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए यह एक बेहतरीन तरीका है अपने शरीर के वजन को कम करने का क्योंकि जब हर दिन कोई व्यक्ति बैडमिंटन खेलता है तो इसके द्वारा उसके शरीर से अनावश्यक वसा निकल जाती है जो शरीर के वजन को कम करने में सहायता करती है।
बैडमिंटन खेलने के फायदे- टोन करता है मसल्स
बैडमिंटन खेलने से शरीर के सभी हिस्से में मूवमेंट होती है जिसके कारण व्यक्ति के शरीर के मसल टोन होते हैं और शरीर को सुडौल बनाते हैं। इसलिए यह एक बहुत ही उत्तम तरीका है सारे शरीर के मसल्स को टोन करने का और शरीर को एक सही एवं अच्छे आकार में रखने का।