जानें 7 गोल्ड मेडल जीतने वाली मैरी कॉम कैसे बनी अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज
मैरी कॉम एक ऐसा नाम जिसने 10 राष्ट्रीय और न जाने कितने ही गोल्ड मेडल जीतकर तिरंगे की शान और सभी भारतीयों के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया. मैरी कॉम ने मुक्केबाजी (Boxing) की दुनिया में 18 साल की उम्र में ही एंट्री कर ली थी. मैरी कॉम ने अपने कठिन परिश्रम से भारत का परचम पूरे विश्व में लहराया. बॉक्सिंग करियर में मैरी कॉम के सामने कई चुनौतियां आई. एक वक्त तो ऐसा आया जब उन्हें अपने परिवार के खिलाफ जाना पड़ा था. आज हम आपको मैरी कॉम के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों को बताने वाले है. मैरी कॉम के बारे में हर भारतीय को जानकर गर्व होगा.
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मैरी कॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है. मैरी का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के कन्गथेइ नामक स्थान पर हुआ था. उनके पिता एक किसान है. मैरी ने साल 2005 में करुंग ओंखोलर से शादी कर ली. मैरी अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं. इसलिए परिवार में उनपर काफी जिम्मेदारियां भी रही हैं. इस लिए मैरी बॉक्सिंग में आने से पहले अक्सर अपने पिता का हाथ बटाने के लिए किसानी का काम भी किया करती थी. मैरी ने बचपन में ही एथलीट बनने का सपना देख लिया था. वह अपने स्कूल व कॉलेज में होने वाले सभी खेलों में हिस्सा लिया करती थीं. मैरी ने साल 2005 में अपने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था.
मैरी कॉम के रिकॉर्ड्स
मैरी काम अब तक 10 राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं. साथ ही मैरी कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुकी है. राष्ट्रीय पुरस्कारों की बात करें तो साल 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके बाद साल 2006 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया. इसके बाद साल 2009 में उन्हें सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. वहीं अगर उनके रिकॉर्ड्स की बात करेंतो साल 2000 में मैरी कॉम ने महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने साल 2001 में अमेरिका में आयोजित महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप AIBA में सिल्वर मेडल जीता.
इसके बाद साल 2002 में AIBA का आयोजन तुर्की में किया गया. यहां उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. साल 2003 में एशियन वीमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. साल 2005 में ताइवान में उन्होंने एशियन वीमेन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. साल 2006 में वीनस वीमेन बॉक्स कप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का तिरंगा पूरी दुनिया में लहरा दिया. मैरी के पास 37 साल के उम्र में विश्व चैंपियनशिप के सात गोल्ड मेडल होने का रिकॉर्ड भी है. मैरी कॉम ओलंपिक में कांस्य पदक या ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली और इकलौती भारतीय महिला बॉक्सर हैं. उनके पास एशियन और कॉमनवेल्थ गोल्ड भी है. मैरी कॉम अबतक कुल 7 गोल्ड मेडल अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग मैचों में जीत चुकी हैं साथ ही 10 राष्ट्रीय पुरस्कारों ने मैरी कॉम को सबसे उपर लाकर खड़ा कर दिया है.
एक बार बॉक्सिंग रिंग में उतरने का फैसला करने के बाद मैरी कॉम ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक महिला होने के नाते उनका सफ़र और भी मुश्किल था पर उनका हौसला भी फौलाद का बना है – एक बार जो ठान लिया वो कर के दिखाना है! राष्ट्रिय बॉक्सिंग चैंपियनशिप के अलावा मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज़ हैं जिन्होंने अपनी सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है। एशियन महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में उन्होंने 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, महिला विश्व वयस्क मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भी उन्होंने 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, एशियाई खेलों में मैरी ने 2 रजत और 1 स्वर्ण पदक जीता है। 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीत कर उन्होंने देश का नाम ऊँचा किया। इसके अलावा मैरी ने इंडोर एशियन खेलों और एशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता है।
1 अक्टूबर 2014 को मैरी ने इन्चिओन, दक्षिण कोरिया, एशियन खेलों में स्वर्ण जीत कर नया इतिहास रचा। वह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज़ बनीं।
सन् 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतने वाली मैरी कॉम अब तक 10 राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी हैं। मुक्केबाजी में देश को गौरवान्वित करने वाली मैरी को भारत सरकार ने वर्ष 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2006 में पद्मश्री और 2009 में उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
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राष्ट्रिय प्रतियोगिताओं में उपलब्धियां
- पहले राष्ट्रिय महिला बॉक्सिंग प्रतियोगिता, 2001, में स्वर्ण
- द ईस्ट ओपन बॉक्सिंग प्रतियोगिता, बंगाल, 2001
- द्वितीय सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, नई दिल्ली, 2001
- 32वें राष्ट्रिय खेल, हैदराबाद
- तृतीय सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, आइजोल, 2003
- चतुर्थ सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, असम, 2004
- पंचम सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, केरल, 2004
- छठी सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, जमशेदपुर, 2005
- दसवीं सीनियर विश्व महिला प्रतियोगिता, जमशेदपुर, 2009: क्वार्टरफाइनल में हार गयीं
पुरस्कार और सम्मान
- पद्म भूषण (खेल), 2013
- अर्जुन पुरस्कार (बॉक्सिंग), 2003
- पद्म श्री (खेल), 2010
- राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए मनोनित किया गया, 2007
- लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – पीपल ऑफ़ द इयर, 2007
- सीएनएन-आईबीएन – रिलायंस इंडस्ट्रीज रियल हीरोज अवार्ड्, 2008
- पेप्सी-एमटीवी यूथ आइकॉन 2008
- ऑल इंडिया बॉक्सिंग एसोसिएशन (एआईबीए) द्वारा ‘मैग्निफिसेंट मैरी’ का संबोधन, 2008
- राजीव गाँधी खेल रत्न, 2009
- इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन द्वारा ‘महिला बॉक्सिंग की एम्बेसडर’ घोषित, 2009
- सहारा स्पोर्ट्स अवार्ड: स्पोर्ट्सविमेन ऑफ़ द इयर, 2010
सुपर फाइट लीग (एस.एफ.एल.)
मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स रियलिटी शो सुपर फाइट लीग (एस.एफ.एल.) ने मैरी की उपलब्धियों और लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें अपने शो का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया।