Chhattisgarh: मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रशासन एक्शन मोड में
Chhattisgarh: बरसात के मौसम में हैजा, पीलिया का प्रकोप कई क्षेत्रों में देखने को मिलता है। राजधानी रायपुर जिले में आरंग, अभनपुर, नयापारा और रायपुर शहर की पुरानी बस्ती, खपराभट्ठी क्षेत्र फाइलेरिया रोग के लिए संवेदनशील माना जाता है।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में इसी को देखते हुए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन और कृमि मुक्ति दिवस के लिए 19 से 24 जुलाई तक विशेष अभियान चलाया जाएगा।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मयंक चतुर्वेदी ने विगत दिनों रेडक्रास सभाकक्ष राजधानी रायपुर में अंतर्विभागीय जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक रायपुर ली। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, नगर निगम, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, एनजीओ के प्रतिनिधि, मितानिन, समन्वयक मौजूद रहें।
यह एक परजीवी द्वारा होने वाला रोग है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. विमल किशोर राय ने MDA प्रोग्राम एवं लिम्फेटिक फाइलेरिसिस के बारे में बताया कि यह एक परजीवी द्वारा होने वाला रोग है। यह लिम्फेटिक फाइलेरिएसिस वाउचेरेरिया बैंक्रपटाई और बुरजिया मलाई नामक निमेटोड के कारण होता है। मेल और फीमेल परजीवी मनुष्य के लिम्फनोड में रहते हैं, जहां पर मादा हजारों की संख्या में माइक्रोफाइलेरिया उत्पन्न करती हैं।
इस तरह के दवाई खाने की तैयारी
अभियान के तहत दवा खाने योग्य जनसंख्या को आयु के अनुसार, डीईसी और अल्बेंडाजाल की दवाई खिलाई जाएगी। आयु के अनुसार दो से पांच वर्ष के बच्चों को DIC की एक टेबलेट, छह से 14 वर्ष बच्चों को दो टेबलेट और 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को तीन टेबलेट और इन सभी आयु वर्ग के लोगों को अल्बेंडाजाल की एक-एक टेबलेट दी जाएगी।
वहीं, यह टेबलेट गर्भवती महिला, 2 साल से छोटे बच्चों और अत्यंत वृद्ध व्यक्ति, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें नहीं दी जाएगी। रायपुर जिले में दवा खाने योग्य जनसंख्या 2,41,826 का लक्ष्य रखा गया हैं। इसके लिए 8,124 टीम लगाई गई है।
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