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Bada Mangal 2022: पहला बड़ा मंगल कल, जानें क्या है इसकी परंपरा…

लखनऊ में बड़े मंगल की परंपरा अलीगंज के हनुमान मंदिर से ही शुरू हुई चंद्रमा जेठ के पहले मंगल का मेला यहां की प्रधान परंपरा है।

लखनऊ: लखनऊ (luckcnow)में ज्येष्ठ माह(jyeshth0 का बड़ा महत्व है। इस बार जेष्ठ माह का पहला बड़ा मंगल(bada mangal) कल यानी 17 मई को पड़ रहा है। 17 मई यानी कल से शुरू होने वाला जयेष्ठ माह 14 जून तक चलेगा। इस बार खास बात यह है कि जेष्ठ मां का प्रारंभ मंगल से होकर मंगल से ही खत्म होगा। यानी इस बार जेष्ठ माह में 5 बड़े मंगल होंगे। पहला 17 मई, 24 मई 31 मई 7 जून और 14 जून को बड़े मंगल पढ़ रहे हैं। इस बार बड़े मंगल को शिवयोग, चंद्रमा मंगल की वृश्चिक राशि में और शनि का अनुराधा नक्षत्र का संयोग बन रहा है जो विशेष फलदाई है। पहले मंगलवार को नारद जयंती जबकि अंतिम मंगलवार को पूर्णिमा पड़ रही है इतना नहीं बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए पांच बड़े मंगल भी मिलेंगे। अब भक्तगण शनिवारी है पूजन जस्ट मां भी करने लगे हैं ऐसे में 2128 मई तथा 4 और 11 जून को शनिवारी यह ज्येष्ठ माह के पूजन किए जा सकेंगे।

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आपको बता दें कि जेष्ठ माह के हर मंगलवार को मंदिरों के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस माह में मंगलवार को हनुमान जी की पूजा व्रत करने से घर में सुख शांति आती है और मौजूद सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ माह मैं मंगल के दिन हुई थी इसलिए मंगलवार का बड़ा महत्व है।

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बड़े मंगल का इतिहास..

# लखनऊ में बड़ा मंगल की परंपरा करीब 400 वर्ष पुरानी है।

# राजधानी लखनऊ के अलीगंज में स्थित हनुमान मंदिर के स्थापना नवाब सुझाव उद दौला की बेगम और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी आलिया बेगम ने कराई थी।

# करीब एक दशक में मंदिर का निर्माण हुआ था कथानक है कि बेगम ने अपने सपनों में बजरंगबली आए थे वही बजरंगबली ने सपने में एक किले में प्रतिमा होने का हवाला दिया था जिसके चलते बेगम ने हनुमान मंदिर का निर्माण कराया था।

# बड़ी बेगम ने टीले को खुद वाया और बजरंग बली की प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया गोमती पर प्रतिमा स्थापित करने की मंशा के विपरीत हाथी अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के आगे नहीं बढ़ सका और इसी के चलते उत्सव के साथ वहीं पर मंदिर की स्थापना की गई।

# मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है।

# लखनऊ में बड़े मंगल की परंपरा अलीगंज के हनुमान मंदिर से ही शुरू हुई चंद्रमा जेठ के पहले मंगल का मेला यहां की प्रधान परंपरा है।

बड़े मंगल पर यहां मेला लगता है।

स्थापना काल के 3 वर्षों के बाद फैली महामारी को दूर करने के लिए बेगम ने बजरंगबली का गुणगान किया तो महामारी समाप्त हो गई।

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