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क्या भटक रहे युवाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाना बिल्कुल भी जरूरी नहीं ?
समाज के प्रति हमारी कुछ अहम जिम्मेदारियां होती हैं जिनको निभाना हमारा कर्तव्य होता है लेकिन भारत का भटकता युवा अपनी इन जिम्मेदारियों को भूलता नजर आ रहा है हर व्यक्ति समाज परिवार दोस्तों साथ ही अपने परिवार के प्रति कुछ न कुछ दायित्व जरूर रखता है इसको निभाने के लिए हर इंसान को गंभीर होना चाहिए खासकर युवाओं को क्योंकि युवाओं से ही देश आगे बढ़ता है और युवा देश से आगे बढ़ता है।
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आप सोच रहे होंगे कि आखिर किस तरह की जिम्मेदारियां होती है, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना जरूरतमंदों की मदद करना यह सब नैतिक जिम्मेदारियां होती है जिन्हें पूरा करना हमारा कर्तव्य होता है। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना घर के सदस्यों का काम होता है युवा को अच्छी बुरी चीजों को में भेज समझाना भी परिवार का ही काम होता है।
हमारे देश की आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता के रंग में अपने संस्कारों को अपनी नैतिक ( morality ) भावनाओं को भूलता नजर आ रहा है। ऐसे में हमारा यह फर्ज बनता है कि हम अपने देश के युवाओं को सही रास्ता दिखाएं उनका मार्गदर्शन करना हमारी प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि आने वाला कल और बेहतर हो सके जहां पर बच्चे गलत करते हैं उन्हें रोकना चाहिए।
हमारे पूर्वजों ने मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी बताया है संसार में मानव परमात्मा की प्रमुख व खूबसूरती कलाकृति होती है मानव होने के नाते हम कुछ ऐसी मानवीय संवेदना, आवश्यकताओं अपेक्षाओं व धारणाओं के सूत्र में बंधे हुए होते हैं जिसका कोई कानूनी शास्त्रीय धार्मिक या जाति प्रतिबंध ना होते हुए भी हमारे निजी सामाजिक परिवारिक और राष्ट्र जीवन से सीधा सरोकार होता है।
आज के युवाओं को गलत दिशा में जाने से रोकना काफी मुश्किल काम हो चुका है लेकिन अगर ऐसा ना किया गया तो देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है कहते हैं कि मकान की नींव कमजोर हो तो मकान के गिरने का खतरा ज्यादा रहता है अगर मकान में इंसानियत और संस्कार तथा समाज के प्रति जिम्मेदारियां नहीं होती है तो मकान का जीवन लाचार साथ ही साथ बेकार हो जाता है।
हम बच्चों के संस्कार व समाज के प्रति ज्ञान देते हैं बच्चों को सर्वागीण विकास करके समाज व राष्ट्र के लिए भाभी नागरिकों का निर्माण करना हमारा दायित्व होता है लेकिन अक्सर ऐसा नहीं हो पाता है बच्चों को जब चारों तरफ से ज्ञान मिलने लगता है तो है सारी बातों के बीच में परेशान हो जाते हैं और गलत रास्ते पर ही अपना कदम आगे बढ़ा देते हैं क्योंकि गलत रास्ता ज्यादा बढ़ावा देता है।
आज के समय में बढ़ती तकनीकी कारण युवा अपना दिनभर मोबाइल लैपटॉप व इंटरनेट की सेवाओं में बिता देता है जिसके कारण उनकी सामाजिक व पारिवारिक दूरी बनने लगती है इसी समस्या के कारण युवाओं में डिप्रेशन व मानसिक तनाव जैसी बीमारियों का जन्म होने लगता है। कुछ युवा इन्हीं परेशानियों के चलते एक गलत कदम उठा लेते हैं जो उनके भविष्य के साथ-साथ उनके परिवार और भविष्य के लिए भी काफी मुश्किल भरा होता है।