नई दिल्ली : नए साल के पहले हफ्ते में छह जनवरी को दिल्ली को नए संयुक्त नगर निगम (MCD) का पहला मेयर मिल जाएगा। नगर निगम के नियमों के अनुसार, पहली मेयर एक महिला होंगी, जिनका चुनाव बहुमत के जरिए नवनियुक्त पार्षद करेंगे। इसके पहले दो जनवरी तक मेयर पद के लिए नामांकन किया जा सकेगा। क्योंकि, चुनाव के अंतिम दिन तक नामांकन वापस लिए जाने की सुविधा दी जाती है, इसलिए नए मेयर का चेहरा छह जनवरी को ही तय हो पाएगा।
नगर निगम के मामलों के विशेषज्ञ जगदीश ममगाईं के मुताबिक, अब मेयर का कार्यकाल जनवरी से दिसंबर तक का होगा। मेयर का चुनाव एक साल के लिए होता है और ऐसे में हर साल के पहले माह यानी जनवरी में दिल्ली को नया मेयर मिल जाएगा। अभी तक दिल्ली के मेयर का कार्यकाल अप्रैल से मार्च तक का होता आया था, लेकिन नगर निगम के पुनर्सीमन में चुनाव में देरी होने की वजह से इसमें पहली बार बदलाव आया है।
ये भी पढ़े :- यूपी: दीपिका पादुकोण की जगह CM योगी की फोटो लगाने पर FIR
एक साल का होगा कार्यकाल
नियमों के अनुसार, नगर निगम का चुनाव पांच साल के लिए होता है। विधानसभा या लोकसभा चुनाव के बाद यह नियम होता है कि राज्यपाल या राष्ट्रपति सबसे अधिक सीटों वाले राजनीतिक दल को CM या PM पद पर दावा करने यानी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। नगर निगम में ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता। यहां मेयर का चुनाव बहुमत के जरिए किया जाता है। सभी नवनियुक्त पार्षद अपने बीच से मेयर का चुनाव बहुमत से करते हैं। ऐसे में किसी भी छोटे दल का पार्षद या स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर जीतकर आया पार्षद भी मेयर पद पर दावेदारी करने के योग्य होता है।
भाजपा ने मेयर पद के लिए नहीं जताई इच्छा
अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने मेयर पद पर चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं जाहिर की है और ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार मेयर का चुनाव बिना मतदान के ही निर्विरोध संपन्न हो सकता है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि उन्हें जनता ने विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है और वे अपने कर्तव्य को निभाएंगे। आम आदमी पार्टी के सबसे अधिक पार्षद चुनाव जीतकर आए हैं और इसलिए उनका मेयर बनने की पूरी संभावना है।