
जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना : “माँ” शब्द सुनते ही सभी के मन में बस एक चीज याद आती है वह है ढेर सारा प्यार। माँ एक ऐसा प्राणी है जो कि अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है और उसे अपनी जान खतरे में डाल कर एक नया जीवन प्रदान करती है। हमको और आपको जो आज यह जीवन मिला है वह अगर संभव है तो सिर्फ हमारी माता की वजह से। लेकिन हमारी वजह से उनका अपनी जान को खतरे में डालना उनका कर्तव्य नहीं बल्कि उनका प्यार है और इसीलिए हमारे लिए यह और भी अधिक आवश्यक हो जाता है कि हम उनकी सुरक्षा करें और उनकी सेहत का ध्यान रखें।
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भारत देश में कई बार ऐसा होता है कि एक मां बच्चे को जन्म देते वक्त अपना दम तोड़ देती है और ऐसा कई वजहों से होता है। इसी मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए हमारी सरकार कार्यरत है। सरकार ने इस दर को कम करने के लिए कई योजनाएं बनाई है जिससे कि देश भर की स्त्रियां लाभान्वित हों। आज हम आपको ऐसी ही एक योजना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम है जननी सुरक्षा योजना।

क्या है योजना?
जननी सुरक्षा योजना एक ऐसी योजना है जो कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है। यह योजना मुख्य तौर पर माताओं और नवजात शिशुओं पर केंद्रित रहती है। इस योजना में मुख्य तौर पर नवजात शिशुओं और माताओं के सेहत का खास तौर पर ख्याल रखा जाता है ताकि वह मातृ मृत्यु दर को कम कर सके। इस योजना से गरीब परिवार की महिलाएं भी स्वस्थ्य तरीके से प्रसव कर सकते हैं।
देश में हर साल गर्भावस्था के दौरान होने वाली दिक्कतों की वजह से 56,000 से अधिक महिलाओं मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने जननी सुरक्षा योजना ( Janani Suraksha Yojana) की शुरुआत की है। जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत काम करती है। इस योजना की मदद से सरकार गरीब परिवार की महिलाओं की मदद करती है और साथ ही साथ जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
क्या होता है फायदा?
इस योजना के अंतर्गत सरकार जच्चा और बच्चा के लिए काफी काम करती है। गरीब परिवारों की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाता है ताकि वह अपना ख्याल रख सके। इस योजना के तहत सबसे पहले गर्भवती महिलाओं को ₹6000 की आर्थिक मदद दी जाती है। यह पैसा सरकार सीधे लाभान्वित के अकाउंट में जमा करवाती है।इसी के साथ ही गर्भवतियों की सारी जांच और बच्चे की डिलीवरी भी नि:शुल्क करायी जाती है।
निशुल्क डिलीवरी के साथ-साथ बच्चे को 5 साल तक मुफ्त टीकाकरण भी करवाया जाता है जिसकी जानकारी माता-पिता तक भेजी जाती है। गर्भवती महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत कैटेगरी में बांटा गया है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं को 1,400 रुपये और शहरी क्षेत्र में एक हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। इसी के साथ गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पांच हजार रुपये और मिलते हैं।
क्या है आवश्यकता?
भारत देश में मैटरनल डेथ का आंकड़ा काफी अधिक है।मैटरनल डेथ यानी की मातृ मृत्यु दर के ज्यादा होने की कई वजहें हैं। जब किसी महिला की मृत्यु प्रसव के वक्त, गर्भावस्था के वक्त या फिर प्रसव के 42 दिनों के भीतर ही मृत्यु हो जाती है तो वह मृत्यु मातृ मृत्यु यानी की मैटरनल डेथ (Maternal Deaths) में आती है। भारत देश में यह आंकड़ा काफी अधिक है क्योंकि कई ऐसी बीमारियां होती है जो कि स्त्री को गर्भावस्था या गर्भधारण के समय हो जाती है जिसके बाद उसका ढंग से ख्याल नहीं रखा जाता। सही पोषण ना मिलने के चलते उसे स्त्री की मृत्यु हो जाती है।
मातृ मृत्यु के कई कारण हो सकते हैं–
संक्रमण–
महिलाओं में असुरक्षित प्रसव की वजह से संक्रमण फैल जाता है जिसके कारण मैटरनल डेथ में बढ़ोतरी होती है। भारत देश में ही वैसे भी स्वच्छता की जागरूकता की बहुत आवश्यकता है और यहां भी स्वच्छता कम होने की वजह से ही मैटरनल डेथ बढ़ जाती है।
रक्तस्राव–
प्रसव के बाद लगातार खून के बहने की वजह से मैटरनल डेथ होती हैं और यह मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है।
एनीमिया–
सही पोषण ना मिलने की वजह से कई महिलाओं में खून की कमी आम बात है और यही खून की कमी गर्भावस्था में भी महिला के सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक हो जाती है जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो सकती है।
यह तीन कुछ मुख्य बीमारियां हैं जिसकी वजह से महिला की मृत्यु दर बढ़ जाता है लेकिन इसी के साथ-साथ और भी कई अधिक बीमारियां है। महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर, यूरिन में प्रोटीन, अचानक वजन के बढ़ना,थायराइड, हार्ट की बीमारियां,डायबिटीज, हेपेटाइटिस आदि बहुत खतरनाक हो सकती है
भारत देश में मैटरनल मोर्टालिटी रेशों ( Maternal Mortality Ratio) देखा जाए तो साल 2016 से 18 के बीच यह और गिर गया है। झा एक तरफ यह दर साल 2015 से 17 के बीच 122 थी वही साल 2016 से 2018 के बीच यह दर और गिरकर 113 पर आ गई । इस बात से यह साफ जाहिर होता है कि देश को ऐसी योजनाओं की कितनी आवश्यकता है।
क्या है “आशा” का रोल?
इस योजना के फलने फूलने में सबसे ज्यादा हाथ है तो वह है “आशा” (Accredited Social Health Activist) का।“आशा” मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक संस्था है ।इस योजना के कार्यान्वित करने और सफल करने में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।वे ग्रामीण जनता एवं स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों के बीच एक कड़ी की तरह काम करती हैं । ये सरकारी सेविका नहीं होती हैं।यह ऐसा महिला समुदाय या कहा जाए स्वयंसेविका है जो अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और उसके लाभ के लिए कार्य करती हैं।
आशा कार्यकर्ताएं ही गर्भवती महिलाओं की पहचान करती हैं।यहां तक की शुरू से लेकर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने और उन्हें जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने तक का सारा काम आशा की कार्यकर्ता ही पूरी करती हैं।
कैसे कर सकते हैं आवेदन?
जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana) में आवेदन करने के लिए गर्भवती महिला को किसी सरकारी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। अस्पताल में रजिस्ट्रेशन करवाते वक्त आपको कुछ जरूरी दस्तावेज भी देने पड़ते हैं। यह दस्तावेज है –
आधार कार्ड (Aadhar Card)
वोटर आईडी कार्ड (Voter ID)
डिलीवरी सर्टिफिकेट (Delivery Certificate)
महिला का बैंक अकाउंट नंबर(Bank Account Number)
इन सभी दस्तावेजों के साथ आपको रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए अस्पताल जाना होगा।
इसी के साथ 2021 में जननी सुरक्षा योजना का लाभ उठाने के लिए आप ऑनलाइन फॉर्म भी भर सकते हैं। इसके लिए आपको उसकी ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर वहां से एप्लीकेशन फॉर्म को डाउनलोड करना होगा। आवेदन फॉर्म को डाउनलोड करने के बाद आपको फॉर्म में पूछी गयी जानकारी भरनी होगी।
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आवेदन फॉर्म को भरने के बाद आपको इसमें जरूरी दस्तावेज ( जो कि ऊपर दिए गए हैं ) उनको भी अटैच करना होगा। इसके बाद आपको यह फॉर्म नजदीकी आंगनवाड़ी में या फिर महिला स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जमा करवाना होगा।
कैसा हुआ काम?
कोई भी योजना पूरी तरीके से फलीभूत नहीं हो पाती है और यही आलम जननी सुरक्षा योजना के साथ भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी कई खबर सामने आए हैं जिसमें घरेलू प्रसव करने की वजह से कई औरतों की मौत हो गई।मौतें कैसे और क्यों हो रही इसका भी जांच समय पर नहीं की जा रही है जिससे की सिस्टम में हो रही ढिलाई साफ नजर आ रही है। कहीं ना कहीं किसी चीज पर कमी जरूर हो रही है जिसकी वजह से आज भी कई स्त्रियों की मौत हो जाती है। बहराल काम तो जोरों शोरों से शुरू हुआ था लेकिन इसी के साथ कई चुनौतियां भी साथ में आई है। अब सरकार इन चुनौतियों का कैसे सामना करती है यह तो वक्त और आंकड़े खुद ही बतलाएंगे।