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जानें क्या है कबड्डी का इतिहास, ये हैं कबड्डी के नियम और फायदे 

कबड्डी एक ऐसा खेल है, जिसमे कई खेलें मिश्रित हैं. इसमें रेसलिंग, रग्बी आदि खेलों का मिश्रण देखने मिलता है. इसका मुकाबला दो दलों के बीच होता. ये जहाँ एक तरफ बहुत ही ज़बरदस्त खेल है वहीँ दूसरी तरफ़ कई कसरतों का मेल भी है. समय के साथ इस खेल का बहुत विकास हुआ है. आज ये ज़िला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेला जा रहा है. बहुत बड़े पैमाने पर खेले जाने की वजह से कई नौजवान कबड्डी में दिलचस्पी  भी लेने लगे हैं, और अपने क्षेत्र के कबड्डी क्लब से जुड़कर कबड्डी के ज़रिये अपना भविष्य और अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगे है.

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इस खेल को विभिन्न जगहों में विभिन्न नाम से जाना जाता है. जैसे तमिलनाडु में कबड्डी को चादूकट्टू, बंगलादेश में हद्दू, मालद्वीप में भवतिक, पंजाब में कुड्डी, पूर्वी भारत में हू तू तू, आंध्र प्रदेश में चेडूगुडू के नाम से जाना जाता है. कबड्डी शब्द मूलतः एक तमिल शब्द ‘काई- पीडी’ शब्द से बना है जिसका मतलब है हाथ थामे रहना, तमिल शब्द से निकलने वाला शब्द कबड्डी उत्तर भारत में बहुत मशहूर है.

KOLKATA, WEST BENGAL, INDIA – 2017/09/02: Bengal Worriers (blue jersey) and UP Yoddha (brown jersey) players in action during the Pro Kabaddi League match on September 2, 2017 in Kolkata. (Photo by Saikat Paul/Pacific Press/LightRocket via Getty Images)

कबड्डी का इतिहास की शुरुआत 5000 से 7000 के पूर्व भारत में हुई थी ! इसकी शुरुआत का सटीक जानकारी तो नही पर माना जाता है कि दक्षिण भारत में इसकी शुरुआत हुई थी ! क्योंकि कबड्डी का शाब्दिक अर्थ काई पीडी से मिलकर बना है ! ये दो शब्द जिसका अर्थ होता है,” हाथ पकड़ना ” भारत अपने इस पारम्परिक खेल का बादशाह शुरुआत से ही रहा है ! दुनिया भर में इसकी पहचान दिलाई ! भारत इसके विश्व मुकाबले में विश्व विजेता भी रहा है ! फिर भी कुछ देश है, जो भारत को टक्कर दे सकते हैं ! हाल ही में उनमे से ईरान सबसे प्रमुख है !

कबड्डी को कब शामिल किया गया

कबड्डी को राष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने में महाराष्ट्र का प्रमुख योगदान रहा है ! जिसकी वजह से 1918 में इसे राष्ट्रीय दर्जा मिला ! 1950 में All India Kabaddi Federation की स्थापना की गयी ! और 1954 में पहली बार नई दिल्ली में कबड्डी की राष्ट्रीय चैंपियन शिप आयोजित की गयी ! इस खेल को सबसे पहले 1936 में ओलम्पिक में शामिल किया गया और भारत ने इसे दुनिया को दिखाया इसके बाद ये दुनिया भर में फैला ! 1972 में अमैच्वर कबड्डी Federation और 1978 में एशियन अमैच्वर Federation की स्थापना की गई !

इसके बाद कोलकाता में 1980 में गेम चैंपियन शिप में शामिल किया गया, भारत एशिया का सरताज बना इसके बाद 1990 में चीन में आयोजित एशियन गेम्स में शामिल किया गया ! तब से लेकर 2010 तक सभी आयोजित एशियन गेम्स में भारत ने गोल्ड मेडल सभी अपने नाम किया है ! 2010 के ग्वामू (चीन) एशियन गेम्स में भारतीय महिला कबड्डी टीम ने भी गोल्ड मेडल जीता !

कबड्डी खेल की मुख्य विशेषता (Kabaddi game features)

ये खेल दो दलों के बीच होता है. इसमें एक दल आक्रामक और दूसरा दल परिरक्षक के रूप में होता है. आक्रामक दल से एक एक करके खिलाड़ी परिरक्षक के क्षेत्र में परिरक्षकों को हराने के लिए आते हैं. परिरक्षकों द्वारा इस एक के बाद एक आते हुए परिरक्षकों को पकड़ना होता है. इस खेल का विस्तृत वर्णन नीचे दिया गया है –

कबड्डी खेल के नियम

विभिन्न तरह से खेले जाने की वजह से कबड्डी के कई विभिन्न नियम हैं. इसके मूल नियम नीचे दिए जा रहे हैं.

  • यह एक ‘हाइली कांटेक्ट स्पोर्ट’ है, जिसमे किसी खिलाड़ी का मुख्य उद्देश्य अपने विरोधी दल के कोर्ट में जा कर, उन्हें छू कर सफलता पूर्वक वापस अपने कोर्ट में आना होता है. इस दौरान जाने वाला खिलाड़ी कबड्डी कबड्डी कहते हुए जाते है.
  • प्रत्येक मैच 40 मिनट का होना चाहिए. इस दौरान खिलाडी विरोधी टीम के कोर्ट में ‘रेड’ करता है. रेड करने वाले खिलाडी को रेडर कहते हैं. किसी खिलाड़ी द्वारा उसके विरोधी दल के कोर्ट में प्रवेश करते ही रेड शुरू हो जाती है.
  • रेडर को संभालने वाले विरोधी दल के खिलाड़ी को डिफेंडर कहते हैं. डिफेंडर के पास रेडर को आउट करने के मौके अवस्थानुसार मिलते हैं. किसी भी रेड का अधिकतम समय 30 सेकंड होता है. रेड के दौरान रेडर को कबड्डी कबड्डी का रट लगाना होता है, जिसे चैंट कहा जाता है.
  • रेडर द्वारा डिफेंडर के कोर्ट में एक बार प्रवेश कर जाने पर रेडर दो तरह से पॉइंट अर्जित कर सकता है. इसमें पहला बोनस पॉइंट और दूसरा टच पॉइंट होता है.

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इस खेल में कुछ पॉइंट निम्न तरह से अर्जित किये जाते है –

  • बोनस पॉइंट : डिफेंडर के कोर्ट में छः या छः से अधिक खिलाड़ियों की मौजूदगी में यदि रेडर बोनस लाइन तक पहुँच जाता है तो रेडर को बोनस पॉइंट मिलता है.
  • टच पॉइंट : रेडर द्वारा एक या एक से अधिक डिफेंडर खिलाड़ियों को छू कर सफलता पूर्वक अपने कोर्ट में वापस आ जाने पर टच पॉइंट मिलता है. ये टच पॉइंट छुए गये डिफेंडर खिलाड़ियों की संख्या के बराबर होता है. छुये गये डिफेंडर खिलाडियों को कोर्ट से बहार कर दिया जाता है.
  • टैकल पॉइंट : यदि एक या एक से अधिक डिफेंडर, रेडर को 30 सेकंड तक डिफेंड कोर्ट में ही रहने पर मजबूर कर देते हैं, तो डिफेंडिंग टीम को इसके बदले एक पॉइंट मिलता है.
  • आल आउट : यदि किसी टीम के सभी खिलाडियों को उसकी विरोधी टीम पूरी तरह से आउट करके मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाती है, तो इसके एवज में जीती हुई टीम को 2 अतिरिक्त बोनस पॉइंट मिल जाते है.
  • एम्प्टी रेड : बौकल लाइन को पार करने के बाद यदि रेडर बिना किसी डिफेंडर को छुए या बिना बोनस लाइन को छुए वापस आ जाता है, तो इसे एम्प्टी रेड माना जाएगा. एम्प्टी रेड के दौरान किसी भी टीम को कोई पॉइंट नहीं मिलता.
  • डू ओर डाई रेड : यदि किसी टीम द्वारा लगातार दो एम्प्टी रेड हो जाता है तो तीसरे रेड को ‘डू ओर डाई’ रेड कहा जाता है. इस रेड के दौरान टीम को आवश्यक तौर पर या तो बोनस या टच पॉइंट अर्जित करना पड़ता है. ऐसा नहीं करने पर डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट मिलता है.
  • सुपर रेड : जिस रेड में रेडर तीन या तीन से अधिक पॉइंट अर्जित करता है, उस रेड को सुपर रेड कहा जाता है. ये तीन पॉइंट बोनस और टच को मिला कर भी हो सकता है या सिर्फ टच पॉइंट भी हो सकता है.
  • सुपर टैकल : यदि डिफेंडर टीम में खिलाड़ियों की संख्या तीन या तीन से कम हो जाती है, और वो टीम किसी रेडर को सँभालने और आउट करने में सफ़ल हो जाती है तो इसे सुपर टैकल कहते हैं. सुपर टैकल के लिए डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट भी मिलता है. इस पॉइंट का इस्तेमाल आउट हुए खिलाडी के पुनर्जीवन के लिए नहीं किया जा सकता है.

भारतीय कबड्डी के प्रकार (Types of kabaddi game)

कबड्डी खेल के चार बहुत विख्यात प्रारूप हैं, जिसे भारत में खेला जाता है. इसे भारत के अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित किया जाता है.

  • संजीवनी कबड्डी – इस कबड्डी में खिलाडियों के पुनर्जीवन का नियम होता है. विरोधी दल के खिलाडी को आउट करने पर आक्रामक दल से बाहर हुए खिलाड़ियों में से एक को पुनर्जीवन मिल जाता है, और वह अपने दल की तरफ से फिर से खेलने लगता है. ये खेल भी 40 मिनट का होता है. जिसे खेलने के दौरान एक पांच मिनट का हाफ टाइम मिलता है. दो दलों में सात सात खिलाड़ी मौजूद होते है, और जो दल अपने विरोधी के सभी खिलाडियों को आउट कर देता है, उसे बोनस के तौर पर अतिरिक्त चार पॉइंट मिलते हैं.
  • जेमिनी स्टाइल – कबड्डी के इस प्रारूप में भी दोनों दलों में सात सात खिलाड़ी मौजूद होते हैं. खेल के इस प्रारूप में खिलाडियों को पुनर्जीवन नहीं मिलता, यानि किसी दल का एक खिलाड़ी यदि खेल के दौरान मैदान से आउट होकर बाहर जाता है, तो वह तब तक बाहर रहता है जब तक खेल समाप्त न हो जाए. इस तरह जो दल अपने विरोधी दल के सभी खिलाड़ियों को मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाता है, तो उस दल को एक पॉइंट मिलता है. इस तरह से ये खेल पाँच या सात पॉइंट तक चलता है, यानि पूरे खेल में पांच या सात मैच खेले जाते हैं. इस तरह के मैच के दौरान समय तय नहीं रहता.
  • अमर स्टाइल – अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन द्वारा आयोजित खेल का यह तीसरा प्रारूप है. ये प्रारूप अक्सर संजीवनी प्रारूप की ही तरह होता है, जिसमें समयावधि तय नहीं होती. इस तरह के खेल में आउट होने खिलाड़ी को मैदान से बाहर नहीं जाना पड़ता है. आउट होने वाला खिलाड़ी मैदान में रह कर आगे का खेल खेलता है. आउट करने के एवज में आक्रामक दल के खिलाड़ी को पॉइंट की प्राप्ति होती है.
  • पंजाबी कबड्डी – यह इस खेल का चौथा रूप है. इसे एक वृत्तिय परिसीमा के अन्दर खेला जाता है. इस वृत्त का व्यास 72 फिट का होता है. इस कबड्डी की भी तीन शाखाएं हैं, जिनके नाम लम्बी कबड्डी, सौंची कबड्डी और गूंगी कबड्डी है.

कबड्डी के नियम

दोस्तो अब मैं आपको कबड्डी के कुछ नियमो के बारे में बताऊंगा ! कबड्डी में कुल सात नियम अहम है !

  •  रेडर को विपक्षी कोर्ट में प्रवेश से पहले कबड्डी कबड्डी शुरू कर तब तक बोलना होगा, जब तक वो अपने कोर्ट में वापस नहीं आ जाता है !
  •  विपक्षी डिफेंडर किसी रेडर को कबड्डी कबड्डी बोलने से रोकने का गलत तरीका नही अपना सकते, ऐसी शिकायत मिलने पर रेडर को नॉटआउट घोषित किया जा सकता है !
  •  जब कोई रेडर विपक्षी खेमे में जाता है, तो उसे अंक हर हाल में लेने ही होते हैं ! यदि अंक नही लेता तो उसे खाली रेड कहा जायेगा !
  • इस खेल में टॉस जीतना अहम है, क्योंकि टॉस जीतने वाली टीम ही तय करती है कि उसे अपने पसंद का कौन सा कोर्ट चाहिए ! या पहले रेड करने का मौका चाहिए !
  • खिलाड़ी को हर हाल में यह ध्यान रखना होगा कि उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कोर्ट के बाहर नही छू जाएं ! ऐसे होते ही खिलाडी आउट माना जायेगा !
  • यदि कोई रेडर अपना नम्बर आने पर रेड करने से हटता है तो विपक्षी टीम को एक तकनीकी अंक प्राप्त करने के साथ ही रेड करने का मौका मिलेगा !
  •  यह इस खेल का सबसे अहम नियम है, रेडर के आने पर विपक्षी टीम को फियर डिफेंस करना होगा ! फियर डिफेंस यानी कि खिलाड़ी रेडर के कपड़े या बाल पकड़ कर नही रोक सकते है ! ऐसा करने वाले डिफेंडर खिलाड़ी को आउट घोषित कर दिया जाएगा !
    कबड्डी खेल के मैदान की बात करें तो लम्बाई 13 मीटर होगी और चौड़ाई 10 मीटर होगी !

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