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जानिए क्या होता है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, कहीं आप भी तो नहीं हो रहे इसके शिकार …

हेल्थ डेस्क :  अगर आपको भी बार-बार हाथ धुलने की लत है तो आप नार्मल नहीं है बल्कि आपको ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर है।हालांकि, काउंसलिंग करने और थोड़ी दवा से ये ठीक हो सकता है।

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इस डिसऑर्डर को लेकर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. गणेश शंकर का कहना है कि, कोरोना काल के बाद ओसीडी के रोगी बढ़े हैं। हर ओपीडी में औसत आठ रोगी आते हैं। उन्होंने बताया कि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिस्ऑर्डर के रोगी बहुत तकलीफ में रहते हैं। उन्हें अपनी आदतों का पता रहता है। उस आदत से वे घबराते भी हैं, लेकिन वही हरकत बार-बार करने को मजबूर भी रहते हैं।

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काउंसलिंग करने और दवा के इस्तेमाल से वे ठीक हो जाते हैं। रोगियों को डांटें या झिड़कें नहीं, उनसे प्रेम पूर्वक व्यवहार करें, घरवाले उन्हें आदत के संबंध में समझाएं, डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए आश्वस्त करें, रोगियों का सामाजिक दायरा बढ़ाएं और सबसे जरूरी है कि उनको दूसरे कामों में व्यस्त रखें।

लक्षण

  • दूषित होने का वहम: रोगी को बार- बार यह लगता है कि शौचालय में, घर में या रोड पर उसे गंदगी लग गई है। इसलिए मरीज काफी देर तक नहाता है या हाथ-पैर धोता है।
  • गंभीर बीमारी का शक: मरीज को बार-बार यह लगता है कि उसे कैंसर, एड्स या हॉर्ट अटैक या कोई गंभीर संक्रमण हो गया है। इसलिए बार-बार डॉक्टरों से परामर्श लेता है और जांचें कराता है।
  • सुरक्षा में चूक का वहम: रोगी को लगता है कि उसने घर या दुकान का ताला खुला छोड़ दिया है या उसकी गाड़ी खुली रह गई है या रसोई में गैस या चूल्हा चालू हालत में खुला छूट गया है।
  • हिसाब में चूक का वहम: रोगी को ऐसा लगता है कि उसने रुपए और पैसे गलत गिने हैं या हिसाब गलत लग गया है। ऐसे में रोगी बार-बार रुपए गिनता है लेकिन उसे तसल्ली नहीं होती है।

इलाज के बारे में

इस रोग के इलाज में मनोचिकित्सा और दवाएं, इन दोनों का ही प्रमुख स्थान है।

चूंकि इस रोग के चलते रोगी का सामाजिक और व्यावसायिक जीवन पूर्णत: नष्ट हो जाता है। इसलिए इस रोग का इलाज कराना अनिवार्य होता है।

मनोचिकित्सा के दौरान रोगी के परिजनों की सहायता से रोगी के मन में आने वाले नकारात्मक व विकृत विचारों की पहचान कराई जाती है। इसके बाद रोगी को इन विचारों से न बचने की भी सलाह दी जाती है और साथ में उलझन से निपटने की सही मनोवैज्ञानिक तकनीक सिखाई जाती है।

दवाओं के सेवन से रोग पर नियंत्रण जल्दी हो जाता है।

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