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यूपी सरकार को झटका ! कोर्ट ने दिया आदेश, कहा- CAA रिकवरी के तहत वसूला गया पैसा वापस करे सरकार

शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को दिया एक और मौका

नई दिल्‍ली: उत्‍तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के लिए यूपी सरकार ने वसूली नोटिस जारी करते हुए आरोपियों की संपत्ति कुर्क कर वसूली की थी। इस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यूपी प्रशासन को वसूली नोटिस के जरिए की गई सभी वसूली को वापस करने का निर्देश दिया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि नोटिस जब वापस ले लिए गए हैं तो तय प्रक्रिया का पालन करना होगा। कुर्की यदि कानून के खिलाफ की गई है और आदेश वापस ले लिया गया है तो कुर्की को कैसे चलने दिया जा सकता है? असल में, सुप्रीम कोर्ट को यूपी सरकार ने बताया कि उसने वर्ष 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ निजी व सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान के लिए शुरू की गई 274 वसूली नोटिस और कार्यवाही को वापस ले लिया है।

क्लेम ट्रिब्यूनल में जाने की दलील अस्‍वीकार

यूपी राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने शीर्ष अदालत से वसूली की वापसी का आदेश नहीं लेने का आग्रह किया है क्योंकि यह राशि करोड़ों रुपये में चली गई है। साथ ही ये आदेश यह भी दिखाएगा कि प्रशासन द्वारा की गई पूरी प्रक्रिया अवैध थी। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार और प्रदर्शनकारियों को रिफंड का निर्देश देने के बजाय क्लेम ट्रिब्यूनल में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, पीठ ने उनकी इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

यूपी सरकार ने रिकवरी के लिए बना दिया था कानून

उच्‍चतम न्‍यायालय में पेंच को फंसते देख यूपी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2020’ बना दिया था। हालांकि, एडीएम स्तर पर नोटिस पहले ही जारी कर दिया गया था, इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस अवैध माना और सभी नोटिस को वापस लेने के साथ ही रिकवरी किए गए पैसे को वापस देने का फरमान जारी किया है।

शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को दिया एक और मौका

हालांकि, देश की शीर्ष अदालत के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने उत्‍तर प्रदेश सरकार को इस बात की इजाजत दे दी है कि वह एंटी-सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून ‘यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू प्रॉपर्टी एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट’ के तहत कार्यवाही कर सकती है। यानी सरकार के पास मौका है कि वह नए कानून के तहत रिकवरी नोटिस जारी करे।  

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें उत्‍तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (CAA) आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी। परवेज आरिफ की याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रशासन द्वारा इस तरह के नोटिस एक ऐसे शख्‍स के विरुद्ध “मनमाने तरीके” से भेजे गए हैं, जिनकी छह साल पहले ही मौत हो गई थी और साथ ही 90 वर्ष से ज्‍यादा उम्र के दो लोगों सहित कई अन्य लोगों को भी भेजे गए।

शीर्ष अदालत ने लगाई थी सरकार को फटकार

आपको बता दें कि सीएए के खिलाफ वर्ष 2019 में प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध यूपी सरकार ने हर्जाना वसूली के लिए नोटिस जारी किया था। इस मामले को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को भेजे गए वसूली नोटिस राज्य शासन वापस ले, वरना हम इसे रद्द कर देंगे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि आरोपी की संपत्ति को कुर्क करने के लिए यूपी सरकार ने कार्रवाई करने में खुद एक “शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक” के जैसे काम किया है। लिहाजा वो ये कार्रवाई वापस लें या इसे हम इस कोर्ट की तरफ से निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए निरस्‍त (रद्द) कर देंगे।  

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