
भारतीय समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण है युवा वर्ग
किसी भी समाज के लिए उसका युवा वर्ग बहुत अहम भूमिका निभाता है फिर चाहे वह भारतीय युवा हो या किसी अन्य देश का युवा अपने समाज के लिए युवा कहानी का वह किरदार होता है जो सबसे अहम होता है युवाओं से ही समाज चलता है और समाज से युवा। युवा वर्ग अपनी नई सोच में समाज में बदलाव ला सकता है फिर वह कोई भी तरह का बदलाव क्यों ना हो।

भारतीय समाज में कई प्रकार के बदलावों की आवश्यकता जताई जाती है भारतीय समाज आज भी कुछ ऐसी चीजों पर अपने विचार थोपता है जो भारतीय युवाओं के लिए काफी बुरा होता है बात अगर हम अपने समाज की करें तो कई सारे धर्म रीति-रिवाजों का बोलबाला भारतीय समाज में चलता ही रहता है एक प्राचीन देश होने के कारण यहां पर कई ऐसी प्रथाएं भी हैं जिन्हें कई वैज्ञानिक तर्क नहीं दिया गया है कई ऐसी प्रथाएं जो कानूनन अपराध है लेकिन आज भी हमारे समाज में की जा रही है ऐसे अपराधिक कार्यों को रोकने में और बदलने में युवाओं की सख्त जरूरत है।
भारतीय समाज का लगभग हर वर्ग किसी न किसी अंधविश्वासी कृत का सामना करता है समाज का शिक्षित वर्ग भी इन प्रथाओं को मानने पर खुद को मजबूर कर देता है और खुद को ना मानने से रोक नहीं सकता यूं भी कह सकते हैं कि एक प्रकार इन से जुड़े कोई भी व्यक्ति अपने आप को इन चीजों से दूर नहीं कर सकता है हाल ही में कई सारे ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पता चला है कि हमारे समाज की दशा में आज भी ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है।
लेकिन यह परिवर्तन हमारे देश के युवा अवश्य ला सकते हैं लोगों की इन भावनाओं का फायदा उठाकर अक्सर ही ढोंगी बाबा और साधु इन्हें थकते हैं इन सब में महिलाओं का शोषण सबसे ज्यादा होता है लोगों की सोच आज भी सिमटी हुई है हमारे समाज की सोच को बड़ा करने में युवाओं का अहम होगा।
समाज का युवा वर्ग ऐसी तेजी से बदल रहा है जिससे समाज के बदलने की भी गुंजाइश नजर आती है इसका अंदाजा मात्र इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां पहले लोग इंटर कास्ट और इंटर रिलिजन मैरिज को लेकर बात करने से भी कतराते थे वही आज के टाइम पर इस तरीके की कार्य सामूहिक किए जाते हैं आपको बता दें की सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि 2013 से लगभग 2624 इंटर का सेंटर रिलेशन की शादियां हो चुकी है।
पीरियड्स जैसी चीजों पर भी समाज के लोग खुलकर बात करना पसंद नहीं करते थे लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बदलते वक्त के साथ-साथ लोग भी अपने आप को बदल रहे हैं जैसे-जैसे तकनीकी का दौर बढ़ रहा है युवा आपस में 1 हो रहे हैं इसका असर समाज की भी देखने को बखूबी मिल जाता है अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है कि महावारी के समय महिलाएं खुद को बंद कमरे में समेट ले, क्योंकि अब भारत की महिलाएं भी छोटी-छोटी चीजों को लेकर जागरूक हो रही हैं हाल ही में धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश वर्जित को लेकर युवाओं ने अपनी आवाज उठा कर इस विषय में अपना तर्क दिया था।
खुशी की बात यह है कि इनमें उन्हें सफलता भी मिली इलाज के लिए अब लोग बाबा नहीं बल्कि मॉडल मेडिकल टेक्नोलॉजी पर ज्यादा विश्वास करने लगे हैं लोग अब अपनी सोच को बदल रहे हैं समाज तेज गति से सकारात्मकता की और आगे बढ़ रहा है अंधेरे से समाज उजाले की ओर जा रहा है इसमें पूरा श्रेय युवाओं को ही जाता है क्योंकि युवा पीढ़ी किसी भी सोच को बदलने की ताकत रखती है।