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StartUps: Swiggy ने नहीं मानी हार और आज है अरबों की कंपनी …

महज 6 सालों में बनी अरबों डालर की कम्पनी 

Swiggy एक ऐसा नाम जिसे पहचान बनने में जरा भी समय नहीं लगा। कहते हैं न कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। एक ऐसा ही आविष्कार है आनलाईन फूड डिलीवरी प्लेटफार्म Swiggy । Swiggy  की स्थापना तीन दोस्तों श्रीहर्ष, नंदन रेड्डी और राहुल ने मिलकर की थी। यह भारत का सबसे बडा़ आनलाईन फूड डिलीवरी प्लेटफार्म है।
तीन दोस्तों ने मिलकर बनाया Swiggy 
श्रीहर्ष मजेटी और नंदन रेड्डी बिट्स ( Birla Institute of Technology & Science ) पिलानी से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट जबकि राहुल जैमिनी ने अपनी शिक्षा IIT खडगपुर से पूरी की है। Swiggy  से पहले श्रीहर्ष मजेटी और नंदन रेड्डी ने अपना लाजिस्टिक स्टार्टप Bundl शुरू किया। राहुल उस वक्त आनलाईन फैशन ब्रांड  Mantra मे साफ्टवेयर इंजीनियर पद पर कार्य कर रहे थे। दोनों दोस्तों ने आपसी तालमेल के साथ स्टार्टप Bundl  शुरू तो कर दिया। लेकिन ये किसी कारणवश चल न सका। और मजबूरन इसे बंद करना पडा।
नए जोश के साथ किया नया प्रयोग
लेकिन दोनों दोस्तों ने हार नहीं मानी और श्रीहर्ष और नंदन ने अपनी पिछली असफलता से सबक लेते हुए। इस बार मार्केट में अच्छी तरह से रिसर्च किया। और इस बार टेक्नोलॉजी का बेहतर तरीके इस्तेमाल करते हुए फूड डिलीवरी मार्केट में कदम रखा। देखते ही देखते Swiggy ने अपनी पहचान बना ली। और मौजूदा समय में Swiggy नाम से नया स्टार्टअप भारत में खाने के अनुभव शानदार बना रहा है। Swiggy के जरिए आज आप घर या ऑफिस कहीं भी बैठकर खाना आर्डर कर सकते हैं। और मनपसंद और गरमागरम भोजन का आनंद ले सकते हैं।
2014 में बैंगलोर से हुई Swiggy की शुरूआत
2014 में बैंगलोर से Swiggy  की शुरूआत हुई। लेकिन आज के समय में स्वीगी के नेटवर्क का विस्तार देश के लगभग सभी छोटे बडे शहरों में है। मात्र 6 अधिकारियों और 25 रेस्टोरेंट से शुरुआत करने वाले स्वीगी नेटवर्क का विस्तार 300 से अधिक भारतीय शहरों 12000 से अधिक डिलीवरी ब्वायज और 15000 से अधिक रेस्टोरेंट तक पहुंच गया है। स्वीगी का फूड डिलीवरी नेटवर्क बहुत तगड़ा है बस आर्डर देने के कुछ मिनटों के भीतर भोजन आपकी टेबल पर होता है। इसके लिए वह आपसे 20 रूपये का मामूली शुल्क चार्ज करती है।
महज 6 सालों में बनी अरबों डालर की कम्पनी 
सुनियोजित और बेहतर नेटवर्किंग के जरिए Swiggy महज 6 सालों में अरबों डालर की कम्पनी बन चुकी है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने ₹1128 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट किया है।कंपनी मे 2015 में Accel की ओर से $2 मिलियन का निवेश किया गया। अगले साल 2016 अलग अलग इन्वेस्टर्स से $15 मिलियन डालर का फंडिंग प्राप्त की। 2017 में Naspers $ 80 की फंडिंग की। अप्रैल 2020 मे कंपनी ने $43 मिलियन डालर की फंडिंग मिली। वहीं कंपनी की नेटवर्थ $3.6 बिलियन है।

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