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Startup: जानें लॉकडाउन में टाइमपास बने “लूडो किंग” के बारे में …

1991 में भारत में कई जगहों पर स्थानीय प्रशासन ने गेमिंग पार्लरों को बंद करने का फैसला किया।

विकाश जयसवाल नवी मुंबई स्थित गैमेटियन टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ हैं, जो भारत के #1 गेमिंग ऐप, लूडो किंग के निर्माता हैं। कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के बाद इन्होंने सफलता की जो राह पकड़ी, तो फिर पीछे मुड़ के नहीं देखना पड़ा।

विकास की कहानी कि कुछ ऐसी है कि 1991 में भारत में कई जगहों पर स्थानीय प्रशासन ने गेमिंग पार्लरों को बंद करने का फैसला किया। जिसके बाद पटना के 17 साल के विकाश जयसवाल की केवल एक ही इच्छा थी, खुद की वीडियो गेम मशीन खरीदना और दिन भर खेलना। वहीं अब उनके 40s में विकास नवी मुंबई स्थित गैमेटियन टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और सीईओ हैं।
विकास ने बताया कि लॉकडाउन से पहले लूडो किंग का ट्रैफ़िक 13-15 मिलियन DAU – (डेली एक्टिव यूजर) और 60-63 मिलियन MAU (मंथली एक्टिव यूजर) हुआ करता था। वहीं अब DAU ने 50 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है, जबकि MAU 185 मिलियन से अधिक हैं।
इसके अलावा फाउंडर ने यह भी बताया कि एक भारतीय मोबाइल गेम ने इससे पहले कभी भी 100 मिलियन डाउनलोड का आंकड़ा पार नहीं किया है, और यह भी कि लूडो किंग 350 मिलियन से अधिक इंस्टॉल के साथ एकमात्र ऐसा इंडियन गेम है।
विकाश ने अपनी बचत से 2 लाख रुपये की राशि के साथ गैमेटियन कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने कुछ कंप्यूटर और केवल छह टीम के सदस्यों के साथ, खारघर, नवी मुंबई में एक छोटा कार्यालय खोला था। वहीं आज स्केलिंग अप सर्वर की संख्या से पता चलता है कि लॉकडाउन के बाद अब कम्पनी के पास 200 सर्वर तक हैं। “अब हम गेमिंग ट्रैफिक की किसी भी संख्या को संभालने के लिए स्थिर हैं।”

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