ईद-उल-अजहा पर कहीं लोगों ने घर में पढ़ी नवाज तो कहीं मस्जिद में सोशल डिस्टेनसिंग के साथ हुई नमाज़, जानिए बकरीद पर कुर्बानी देने का इतिहास
देशभर में आज ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जा रही है। यह त्योहार ईद के 70 दिन बाद कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है। कोरोना संकट के कारण इस बार ईद का जश्न भी फीका रहा था और अब बकरीद पर भी बाजार और मोहल्ले सूने पड़े हैं। लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए इस त्योहार को मना रहे हैं। वहीं कहीं पर लोग एहतियात बरतते हुए मस्जिदों में नमाज भी अदा कर रहे हैं। वहीं, यूपी में बकरीद को लेकर खास गाइडलाइंस जारी की गई है।
ऐसे मनाई जाती है बकरीद
बकरीद पर इस्लाम धर्म के लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं। नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी दी जाती है। ईद के मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और करीबों लोगों को ईद की मुबारकबाद देते हैं। ईद की नमाज में लोग अपने लोगों की सलामती की दुआ करते हैं। एक-दुसरे से गले मिलकर भाईचारे और शांति का संदेश देते हैं। बाजारों में भी रौनक दिखाई देती है।
सपने में आया था कुर्बानी देने का आदेश
इस्लामिक मान्यताओं में हजरत इब्राहिम को करीब 90 साल की उम्र तक कोई संतान नहीं हुई। तब उन्होंने खुदा की इबादत की और उन्हें चांद-सा बेटा इस्माइल मिला। इब्राहिम के सपने में खुदा का आदेश आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कर दो। तो उन्होंने अपने सभी प्रिय जानवरों को कुर्बान कर दिया। फिर से उन्हें यह सपना आया तो उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रण लिया। तब उन्होंने खुद की आंख पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी दी और बाद में पट्टी हटाकर देखा तो उनका बेटा खेल रहा था और अल्लाह के करम से उसके स्थान पर उनके बकरी की कुर्बानी हो गई। तभी से मान्यता है कि बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है।
इनकी दी जाती है कुर्बानी
बकरीद का पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज को भी मान्यता देता है। बकरीद के दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं। इसमें उस पशु की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है जिसके शरीर का कोई हिस्सा टूटा हुआ हो, भैंगापन हो या जानवर बीमार हो।
बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरे हिस्से को गरीब लोगों में बांटे जाने का चलन है।
योगी सरकार ने जारी की गाइडलाइन
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने बकरीद को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उसमें कोरोना संकट को देखते हुए मस्जिद में सामूहिक नमाज पर रोक लगाई गई है। साथ ही खुले में जानवरों की कुर्बानी करने और मांस ले जाने की अनुमति भी नहीं होगी। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य एहतियात का पालन करते हुए बकरीद का जश्न मनाने के निर्देश दिए गए हैं।
जामा मस्जिद में उड़ी सोशल डिस्टेनसिंग की धज्जियां
दिल्ली स्थित जामा मस्जिद में लोगों ने शनिवार सुबह नमाज अदा की। दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर नमाज अदा की गई। जामा मस्जिद में तैनात पुलिसकर्मियों ने थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद ही लोगों को मस्जिद में प्रवेश दिया। कोरोना संकट के चलते जामा मस्जिद में नमाज अदा करने आए लोगों से बार बार मस्जिद प्रसाशन ने दूरी बना कर नमाज अदा करने की अपील की।
कोरोना संकट में कुछ नमाजी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए तो वहीं कुछ इसका उल्लंघन करते भी नजर आए। नमाज के बाद लोग जल्दबाजी में एक दूसरे से सटकर बाहर निकलते दिखे। कई बिना मास्क के मस्जिद में घूमते नजर आए। हालांकि लोगों ने माना कि देरी से पहुंचने पर कुछ से नियमों का उल्लंघन हुआ।