
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी दिलचस्प होता जा रहा है। अभी तक लड़ाई से बाहर दिख रही बहुजन समाज पार्टी अचानक से लाइमलाइट में आ गई है। एक के बाद एक बड़े नेताओं के पार्टी छोड़े जाने के बाद अलग-थलग दिख रही बसपा की नजर सपा और भाजपा के बागियों पर टिक गई है। चुनाव के ठीक पहले इन पार्टियों में मची भगदड़ की वजह से बसपा एक बार फिर फ़ाइट में आती हुई दिखाई देने लगी है। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी ने गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा सीट से शादाब फातिमा को चुनावी मैदान में उतार दिया है। आपको बता दें कि शराब फातिमा शिवपाल यादव की करीबी मानी जाती हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। समाजवादी पार्टी में गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा को अपने सहयोगी ओमप्रकाश राजभर को सौंपा है ऐसे में यहां से दावेदारी कर रही सदा फातिमा का टिकट कटना तय माना जा रहा था। ऐसा हुआ भी और शादाब फातिमा ने बगावत कर दी। हालांकि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन सूत्रों ने दावा किया है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने उन्हें लखनऊ बुलाकर टिकट दे दिया है।
राजभर को हरा चुकी हैं शादाब फातिमा
शादाब फातिमा पूर्वांचल की खासकर गाजीपुर जिले की कद्दावर नेताओं में से एक हैं। जब समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई थी तो शादाब फातिमा उनके साथ चली गई थीं। इसके पहले शादाब फातिमा ने बसपा की लहर में 2007 में गाजीपुर की सदर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और विधायक बनी थीं। उसके बाद 2012 में समाजवादी पार्टी ने उनकी सीट को बदला और जहुराबाद भेज दिया। यहां से भी सदा फातिमा ने जीत हासिल की। हालांकि उस चुनाव में ओमप्रकाश राजभर ताल ठोक रहे थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2012 में जब अखिलेश की सरकार बनी तो उनके मंत्रिमंडल में शादाब फातिमा को महिला कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
2017 में विवाद के बाद टिकट कटा
इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दरारे आ गई और और शिवपाल ने प्रसपा बना ली। जिसके बाद समाजवादी पार्टी ने शादाब फातिमा का टिकट काट दिया। हालांकि इस चुनाव में ओमप्रकाश राजभर के भारतीय जनता पार्टी के साथ थे और उन्होंने जीत हासिल की।