![राजेंद्र कुमार](/wp-content/uploads/2021/07/rajendra-kumar-birth-anniversary-1532070884.jpg)
जिनकी हर फिल्म होती थी सिल्वर जुबली, ऐसे शानदार एक्टर थे राजेंद्र कुमार
जुबली कुमार का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। बंटवारे के बाद राजेंद्र कुमार अपने परिवार के साथ भारत आ गए।
बॉलीवुड में कई ऐसे एक्टर हैं, जिनकी फिल्में लोग बार-बार देखना पसंद करते हैं। चाहे कोई भी परेशानी हो फैंस अपने फेवरेट एक्टर की फिल्म देख ही लेते हैं। ऐसे ही एक्टर थे राजेंद्र कुमार। जिनकी अदाकारी के लोग आज भी कायल हैं। फिल्म इंडस्ट्री में अपनी बेहतरीन अदाकारी से लोगों के दिलों पर राज करने वाले राजेंद्र कुमार का आज हैप्पी वाला बर्थ डे है।
जुबली कुमार का जन्म 20 जुलाई 1929 को सियालकोट में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। जिस जमाने में दिलीप कुमार ट्रेजडी किंग थे, उस जमाने में राजेन्द्र कुमार ने अपनी पहचान जुबली स्टार के रूप में बना ली थी। 60 के दशक के एक्टर ने अपनी रोमांटिक अदाओं से चार दशक तक बॉलीवुड पर राज किया।
ऐसे शुरू हुआ फिल्मी सफर
जुबली कुमार का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। बंटवारे के बाद राजेंद्र कुमार अपने परिवार के साथ भारत आ गए। भारत आने के बाद पिता ने कपड़ों का बिजनेस शुरू किया। वहीं राजेंद्र कुमार की नौकरी पुलिस डिपार्टमेंट में लग गई। लेकिन किस्मत की ट्रेन उन्हें एक्टिंग के स्टेशन तक ले गई। उनके एक दोस्त ने उन्हें बॉलीवुड के सपने दिखाए।
वैसे तो राजेंद्र कुमार का बचपन का सपना भी एक्टर बनने का था और दोस्त की बातों ने एक्टिंग के सपनों पर घिरे बादलों को भी हटा दिया। पुलिस की ट्रेनिंग जाने से दो दिन पहले ही वह मुंबई भाग गए।
जब वह मुंबई पहुंचे तो सारे सपने हवा हो गए और असलियत का पता चला। शर्म के वजह वह घर वापस नहीं गए। उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना। काफी मुश्किलों के बाद राजेंद्र कुमार को गीतकार राजेंद्र कृष्ण की मदद से 150 रुपए की तनख्वाह पर निर्देशक एचएस रवैल के सहायक के तौर पर काम मिला।
राजेंद्र कुमार को पहला ब्रेक 1950 में आई फिल्म ‘जोगन’ में मिला। इस फिल्म में लीड रोल में दिलीप कुमार थे। राजेंद्र कुमार को फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने में सात साल लग गए।
जब राजेंद्र बने जुबली कुमार
जोगन के बाद साल 1957 में नरगिस के साथ राजेंद्र कुमार को ‘मदर इंडिया’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उनका किरदार बहुत छोटा था लेकिन उनके काम की काफी तारीफ हुई। इसके बाद साल 1963 में ‘महबूब’ फिल्म सुपर हिट हुई, जिसके बाद राजेंद्र कुमार ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1963 से 1966 के दौरान सभी फिल्में सुपरहिट हुई।
उस वक्त जुबली कुमार की दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोल रही थी। हर सिनेमाघर में राजेंद्र कुमार की ही फिल्में लगी रहती थी।उनका जादू ऐसा छाया कि उनकी फिल्में सिनेमाघरों में 25 हफ्तों तक लगातार चलती रहतीं। उनकी 6-7 फिल्में एक साथ सिल्वर जुबली हफ्ते में होती थीं। इसी कारण से उनका नाम ‘जुबली कुमार’ पड़ गया। उनका फिल्मों में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। जुबली कुमार ने अपने करियर में 85 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। धूल का फूल, मेरे महबूब, संगम, आरजू, पतंग, धर्मपुत्र और हमराही जैसी कई हिट फिल्मों में अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीता।
एक्टिंग के साथ उन्होंने कई फिल्मों के निर्माता भी रहे। जुबली कुमार भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी फिल्में आज भी लोगों की खास हैं। जीवन के आखिरी दिनों में वह कैंसर की चपेट में आ गए थे। 12 जुलाई 1999 में जुबली कुमार के अंतिम सांसें ली।
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