क्या है सेतु भारतम योजना? इस योजना में क्या है सरकार का बजट?
setu bhaaratam yojana : भारत देश में सड़क परिवहन के लिए कई जगहों पर सड़कें पर्याप्त नहीं होती है। देश में यातायात के सुचारू रूप से चलने के बीच में कई रोड़े आ जाते हैं। लखनऊ, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता भारत देश में कई ऐसे शहर है जो कि ट्रैफिक की समस्या से परेशान है। भारत में ट्रैफिक में लोगों का काफी समय चला जाता है। इसलिए देश की गति को सुचारू रूप से चलने देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और नई योजना की शुरुआत की है। यह योजना सड़कों पर केंद्रित होगी या फिर जैसा कि इस योजना का नाम है यह सेतु यानी कि पुल बनाने पर केंद्रित होगी। इस योजना का नाम सेतु भारतम योजना रखा गया है।इस लेख में आज हम आपको सेतु भारतम योजना के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं कि कैसे सरकार अपने इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करके अपनी जनता को दिखाना चाहती है।
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क्या है सेतु भारतम योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना यानी सेतु भारतम योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 4 मार्च 2016 को की गई थी । इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में यातायात संबंधी परेशानियों खासकर रोड पर हो रही परेशानियों को दूर करना है। सेतु भारतम योजना भारत में सड़क परिवहन को और भी अच्छी गति प्रदान करेगी।इस योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तान के सभी राजमार्गों पर पुल बनाना है।
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इस योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य लक्ष्य 2019 तक सभी राजमार्गों पर सेतु यानी कि पुल बनवाने की सोच है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को लॉन्च करते वक्त कहा था कि देश को सड़कों की इस तरह आवशकयता है जैसे धमनियों को नसों की जरूरत होती है।यह योजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत पूरी की जाएगी।
क्या है सरकार का बजट?
सभी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भारत की सरकार एक बजट को तय रखती है। इसी प्रकार से सेतु भारतम योजना के लिए भी सरकार ने 50 हजार करोड़ का बजट आवंटन किया है। इस योजना के अंतर्गत मात्र पुल बनाने के लिए ही 20 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए की आवश्यकता होगी।
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क्या है योजना की आवश्यकता?
भारत को जोड़ने ओर लोगों को नजदीक लाने में पुलों का योगदान कितना होता है, यह साफ है।रेलवे क्रॉसिंग पर रुकने की वजह से कई लोगों का काफी समय बर्बाद हो जाता है। लेकिन यह बर्बादी सिर्फ समय तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इस जाम की वजह से इंधन की भी काफी बर्बादी होती है।
भारत देश में कई ऐसे भी पुल है जो कि काफी समय पुराने हो चुके हैं। कई पुल तो इतनी जर्जर हालत में है कि उन पर चल पाना आप ही मुश्किल है यहां तक की यही पुल भारत देश में कई हादसों की वजह भी बनते हैं। इन पुलों को मरम्मत की आवश्यकता है।
इसी वजह से इस योजना में 208 पुलों का निर्माण किया जाएगा जिनमे रेलवे ओवेरब्रिज और अन्डरब्रिज भी शामिल किए हैं।
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क्या है उद्देश्य?
इस योजना के मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं –
1.स्मूथ ट्रैफिक
देश भर में हर जगह ट्रैफिक जाम लगने की वजह से स्थिति दूभर हो जाती है।देशभर के राष्ट्रीय राजमार्ग में बेहतर ट्रैफिक परिचालन के लिए सेतु भारतम परियोजना को लांच किया गया जिससे सभी को फायदा होगा।राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना को लाने से पहले एक देशव्यापी सर्वे कराया और उन्होंने इस सर्वे रिपोर्ट में यह पाया कि एनएच पर कई बार रेलवे क्रॉसिंग बंद होने से लंबी जाम की स्थिति बन जाती है। इससे न केवल सामान्य यातायात की गति धीमी हो जाती है बल्कि इसके साथ ही मालवाहक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर भी विपरीत असर दिखाई पड़ता है। जाम लगने से समय कई लोग अपना इंजन चलता ही छोड़ देते हैं जिसकी वजह से ही इंधन की खपत में भी लगातार बढ़ोत्तरी की बात रिपोर्ट में कही गई। इस समस्या को दूर करने के लिए ही एनएच की सड़कों पर बने रेलवे क्रॉसिंग पर ब्रिज यानी की सेतु बनाने की तैयारी शुरू की गई है जिससे कई लोगों का समय और ईंधन बचेगा।
2.पुराने पुलों की मरम्मत
भारत देश में बने हुए पुराने पुलों की हालत बहुत ही दयनीय है। कुछ पुलों की हालत तो इतनी जर्जर है कि उन पर चल पाना भी बहुत ही मुश्किल कार्य है। इन्हीं खराब पुलों की वजह से भारत देश में कई रोड एक्सीडेंट्स होते हैं । इसलिए इस प्रोजेक्ट में नए ओवरब्रिज बनाने के अलावा ब्रिटिश टाइम के पुलों की मरम्मत का काम भी शामिल है।इसमें देशभर में 1500 ब्रिजों को चिन्हित किया गया है।
3.देशभर में 208 ओवरब्रिज का लक्ष्य
इस परियोजना में देशभर के विभिन्न राज्यों में 208 ओवरब्रिज का काम करवाना भी शामिल है। इसमें
आंध्र प्रदेश के 33, असम के 12, छतीसगढ़ के 5, गुजरात के 8, हरियाणा के 10, हिमाचल प्रदेश के 5, झारखंड के 11, कर्नाटक के 17, केरल के 4, मध्य प्रदेश के 6, महाराष्ट्र के 12, ओडिसा के 4, पंजाब के 10, राजस्थान के 9, तमिलनाडु के 9, उत्तराखंड के 2, उत्तर प्रदेश के 9, पश्चिम बंगाल के 22 और बिहार के 20 पुल बनाने का लक्ष्य है।
कितना हुआ काम?
फिलहाल तो हम यह कह सकते हैं कि सरकार की यह योजना बाकी सारी योजनाओं के मुकाबले अच्छे तरीके से चल रही है।2015 में शुरू हुई इस योजना के तहत काम तेजी से किया जा रहा है।कई राज्यों में कई रेल ओवर ब्रिज व रेल अंडर ब्रिज का काम चालू भी हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार असम में 12, बिहार में 20, गुजरात में 8, हरियाणा में 10, हिमाचल प्रदेश में 5, झारखंड में 11, कर्नाटक में 17, केरल में 4, मध्य प्रदेश में 6, महाराष्ट्र में 12, ओडिशा में 4, पंजाब में 10, राजस्थान में 9, तमिलनाडु में 9, उत्तराखंड में 2, उत्तर प्रदेश में 9 और पश्चिम बंगाल में 22 पुलों का निर्माण या तो हो रहा है या फिर पूरा हो चुका है।
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रेलवे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज व अंडर ब्रिज को बनाने का काम उत्तर प्रदेश में सबसे तेज़ गति से चल रहा है। लेकिन इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल में 300 वृक्ष काटे भी जा रहे हैं। एक लिहाज से पश्चिम बंगाल में काम विकास की जगह विनाश का हो रहा है।काटे जाने वाले 300 धरोहर वृक्षों की कीमत ऑक्सीजन और अन्य उत्पादों के लिहाज से 2.2 अरब रुपये है जिसका मतलब है कि जिंदा वृक्ष परियोजना से ज्यादा लाभदायक हैं।
जहां पर इन परियोजनाओं पर काम चल रहा है वह वृक्ष काटने का भी काम हो रहा है। सरकार ने अच्छा काम तो शुरू कर दिया है लेकिन इसके साथ पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा जा रहा है जो कि इस योजना का सबसे बुरा पन्ना है। फिलहाल तो सरकार को इस को भी ध्यान में रखकर अपने काम को अंजाम देना चाहिए।