
कोरोना के बाद यह बड़ा कारण है जिससे जा रही हैं हजारों लोगों की जानें
साल 2020 की शुरुआत चौंका देने वाली थी। नए साल के तीसरे महीने से लोग आर्थिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। हालात यह हो गए हैं कि तंगी के कारण लोग जान दे रहे हैं। आज World Suicide Prevention Day पर साल 2018 में आई WHO की रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा कि खुदकुशी महामारी का रूप लेती जा रही है।
2019 की NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक हर 4 मिनट में किसी न किसी व्यक्ति की जान जा रही है। देश में पहले ही कई बड़ी समस्याएं हैं जिनकी वजह से लगातार मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, जैसे की मौसमी बीमारी से मौत, एक्सीडेंट से मौत, आत्महत्या और अब Covid-19 से होने वाली मौतों के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं।
साल 2010 की WHO की रिपोर्ट के मुताबिक मौसमी बीमारी से मरने वालों की संख्या 2,05,000 है। वहीं साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटना से मरने वालों की संख्या में 0.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में हुई 4,64,910 की तुलना में इस वर्ष 4,67,044 एक्सीडेंट से मौते हुई हैं।
साल 2018 में मौत के आंकड़ों में मामूली कमी देखी गई थी, वहीं 2020 में वैश्विक बीमारी कोरोना के कारण देशभर में मौत का आंकड़ा टूट रहा है। बात भारत की करें तो बुधवार के जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना 73,912 लोगों की जान ले चुका है। पिछले एक सप्ताह से दुनिया में कोरोना वायरस से हर पांचवीं मौत भारत में हो रही है। वैश्विक स्तर पर दैनिक मौत की संख्या बढ़ रही है। सितंबर के पहले हफ्ते के आंकड़े बता रहे हैं कि रोजाना मौतों की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौते भारत में दर्ज हो रही हैं।
9 सितंबर तक दुनियाभर में कोरोना वायरस से 9 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। सितंबर के शुरुआती हफ्ते से जोड़ा जाए तो प्रतिदिन दुनिया में रोजाना 7000 मौते हो रही हैं। इसपर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को कहा कि केस मृत्यु दर लगातार गिर रही है अगस्त के पिछले हफ्ते में ये 2.15% थी। अब यह 1.70% है।
साल की शुरुआत से अब तक कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े सोचने पर मजबूर कर देते हैं, लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि देश इस समय कोरोना के अलावा एक ऐसे परेशानी से जूझ रहा है जिससे मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ता सामने रहा है। पिछले 2 महीने में हजार नहीं, दस हजार नहीं, बल्कि 20 हजार से ज्यादा लोग सर्पदंश के शिकार होकर मारे गए हैं।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल सवा लाख लोग सांप के काटने से मर जाते हैं। इन मरने वाले लोगों में करीब आधे लोग भारतीय होते हैं। हमारे देश में हर साल करीब 60 हजार लोग सर्पदंश के करण अपनी जान गवां देते हैं। इनमें से 60 फीसदी मौते जून से सितंबर के बीच होती हैं और 97 फीसदी मौते ग्रामीण क्षेत्रों में जबकि 3 फीसदी मौते शहरों में होती हैं। टोरंटों विश्विद्यालय के सेंटर फॉर ग्लोबल की 2019 की रिसर्च के मुताबिक भारत में 12 लाख लोग सर्पदंश से मौत के मुंह में समा गए हैं। जिसमें से खासतौर पर यह 8 राज्य हैं बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान गुजरात और आंध्रप्रदेश।
खतरनाक सांपों की गिनती में सबसे पहला नाम कोबरा का आता है आपको विश्वास करने में मुश्किल भले हो, लेकिन कोबरा आजकल गांव देहात के साथ शहरों में भी अपना बसेरा बढ़ा रहा है मंगलवार शाम राष्ट्रपति भवन में गेट नंबर 8 पर किंग कोबरा कुंडली जमा कर बैठा था। बात अगर दूसरे जहरीले सांप की करें तो कॉमन करैत नाम का सांप बेहद जहरीला है। यह अधिकतर रात को काटता है। वहीं रसेल वाइपर और सो- इस्केल वाइपर आक्रामक सांप हैं।
वैक्सीन की कमी है मौत का एक बड़ा कारण
बता दें कि अस्पतालों में एंटी स्नेक वैक्सीन की कमी है इसलिए लोग सांप के काटे गए लोगों को तेजाजी ले जाते हैं। तेजाजी एक स्थानीय लोक देवता हैं। जिन्हें शिव का अवतार या सांपों का देवता माना जाता है।
एंटी स्नेक वैक्सीन में वर्ष में खपत
2016 – 1700
2017 – 2000
2018 – 1200
2019 – 2200
2020 – 1300
पांच साल में सर्पदंश के केस
2016 – 10432
2017 – 11571
2018 – 9250
2019 – 12830
2020 – 10790
किस ब्लॉक में कितने केस
गुरदासपुर – 117
कलानौर – 173
दीनानगर – 57
कादियां – 93
बटाला – 137
फतेहगढ़ – 89
डेरा बाबा नानक – 147
धारीवाल – 54
काहनूवान – 77
दोरांगला – 64
श्रीहरगोविंदपुर – 71
बरसात के मौसम में कितने आए मामले
मई – 37
जून – 128
जुलाई – 483
अगस्त – 339
सांप के विष का गणित
सांपों के जहर को न्यूरोटॉक्सिक और हीमोटॉक्सिक वर्ग में बांटा जाता है। जैसा कि नाम से समझ आता है कि न्यूरोटॉक्सिक जहर हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और हीमोटॉक्सिक रक्त और हृदय से जुड़े शरीर के क्रियाकलापों को प्रभावित करता है। कोबरा व करैत जैसे सांपों का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है और वाइपर का हीमोटॉक्सिक होता है। सांप का ज़हर असल में प्रोटीन और एनजाइम्स से बना होता है। यह सांप के ऊपरी जबड़े में स्थित थैलियों में मौजूद रहता है। ऊपरी जबड़े के दोनों ओर स्थित एक-एक थैली जहरीले दांतों की जड़ों में खुलती हैं। वाइपर के जहरीले दांत नालीनुमा होते हैं इसलिए जहर शरीर के अंदर चला जाता है
आखिर इन जहरीले सांपों से बचा कैसे जाए
सांप के विष को कम करने के लिए उसी के जहर से दवाई बनाई जाती है। इस दवा को एंटीबेनिन या एंटीवेनम कहते हैं। सरकारी अस्पतालों के बजाए यह प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर निशुल्क मिलती हैं।