ग्राउंडवाटर चार्जिंग स्टेशंस के निर्माण पर योगी सरकार का फोकस
-प्रदेश के 13 जिलों में 8 करोड़ रुपए के व्यय से इस योजना को दिया जाएगा मूर्त रूप, विस्तृत कार्ययोजना हुई तैयार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश प्राकृतिक संपदा से पूर्ण प्रांत है। यहां खेती के लिए नदियों, नहरों व नलकूपों से सिंचाई की उत्तम व्यवस्था है। इसके बावजूद, पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में भूजल दोहन काफी बढ़ गया है। चाहें बात किसानी की हो या फिर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की, भूजल दोहन के कारण लगातार प्रदेश के कई इलाकों में भूजल स्तर में गिरावट के तथ्य सामने आते रहते हैं। ऐसे में, सीएम योगी की मंशा के अनुरूप प्रदेश में ग्राउंडवॉटर चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण से भूजल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इस क्रम में, प्रदेश के 13 जिलों में 8 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत लगाकर ग्राउंडवॉटर चार्जिंग चेकडैमों का निर्माण किया जाएगा। इसमें जिन 13 जिलों को मुख्यतः लक्षित किया गया है उनमें से हाथरस, बदायूं, मुरादाबाद, सम्भल, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर व चित्रकूट प्रमुख हैं। इस विषय में प्राविधानित धनराशि को अवमुक्त किए जाने का आदेश भी जारी किया जा चुका है।
13 जिलों में 8 करोड़ की लागत से बनेगा ग्राउंडवॉटर चार्जिंग चेकडैम
इस योजना के अंतर्गत कुल 13 जिलों में 8 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत के जरिए चेकडैम्स को बनाया जाएगा। इसमें हाथरस में 70.5 लाख, बदायूं में 38 लाख, मुरादाबाद में 28 लाख, सम्भल में 72 लाख, प्रयागराज में 80 लाख, कौशाम्बी में 1.21 करोड़, फतेहपुर में 1.03 करोड़, प्रतापगढ़ में 37.23 लाख, सोनभद्र में 28 लाख, जालौन में 50 लाख, ललितपुर में 41 लाख, हमीरपुर में 35.60 लाख व चित्रकूट में 94.16 लाख रुपए खर्चकर ग्राउंडवॉटर चेकडैम्स बनाए जाएंगे। इन्हें बनाने के लिए धनराशि अवमुक्त की गई है और इस विषय में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग द्वारा लघु सिंचाई संबंधित प्रखंड को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
लघु सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता की देखरेख में बनेंगे चेकडैम
कार्ययोजना के अनुसार, लघु सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता की देखरेख में ग्राउंडवॉटर चार्जिंग चेकडैम का निर्माण किया जाएगा। इनके निर्माण समेत इनकी देखरेख व अन्य सभी संबंधित तथ्यों की विवेचना मुख्य अभियंता द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। वहीं, अवमुक्त राशि को लेकर मुख्य अभियंता द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि स्वीकृत किए जा रहे निर्माण कार्य के लिए पहले से राज्य सरकार द्वारा जारी फंड का दोहराव न हो। सभी कार्यों को पूर्ण करने के लिए अनापत्ति संबंधित प्रमाण पत्र, निर्माण कार्य के लिए जरूरी मशीनरी व अन्य साजो-सामान की खरीद समेत अन्य सभी आवश्यक कार्रवाइयों को उत्तर प्रदेश बजट मैनुअल तथा फाइनेंशियल हैंडबुक के नियमों के अंतर्गत ही किया जाएगा। लघु सिंचाई विभाग द्वारा ही अवमुक्त धनराशि को सभी 13 जिलों में कार्ययोजना के आधार पर वितरित कर निर्माण कार्य में लाया जाएगा।