
हल्द्वानी दौरे पर पीएम मोदी को भेंट की गयी ऐपण कलाकृति शुरू हुई ऑनलाइन नीलामी, जानिए कैसे आप भी हो सकते है शामिल ?
हल्द्वानी : हल्द्वानी दौरे पर आए पीएम मोदी को भेंट स्वरूप कुमाऊं की पारंपरिक व अद्भुत ऐपण कलाकृति दी गयी थी। इस अद्भुत ऐपण कलाकृति की अब की ऑनलाइन नीलामी हो रही है। पीएम कार्यालय द्वारा 1219 उपहारों की नीलामी कर रहा है। इनमें ऐपण कलाकृति को भी शामिल किया गया है ।
ये भी पढ़े :- Uttarakhand : उत्तराखंड के इन इलाकों में महसूस किये गये भूकंप के झटके, रिएक्टर पैमाने पर 3.9 दर्ज की गयी तीव्रता
इस तारीख को खत्म होगी नीलामी
पीएम मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से ऑनलाइन नीलामी की शुरूआत की गयी थी और 12 अक्टूबर खत्म कर दी जाएगी। इस नीलामी में आप भी वेबसाइट https://pmmementos.gov.in पर पंजीकरण कराकर इस नीलामी में हिस्सा ले सकते है। इस पर आपको कुमाऊं की ऐपण कलाकृति के अलावा मृर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और राष्ट्रमंडल खेलों के विजेताओं की ओर से पीएम को दिए गए उपहार भी शामिल हैं। फिलहाल 1219 उपहारों को इस नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
10,800 रुपये है बेस प्राइस
नीलामी के लिए इस कलाकृति की बेस प्राइस 10,800 रुपये रखी गई थी। इसकी कीमत अभी 10,900 रुपये तक पहुंची है। नीलामी के लिए बोली 12 अक्टूबर को शाम 5 बजे तक लगाई जा सकेगी।
ऐपण कलाकृति की क्या है खासियत
पीएम मोदी को भेंट की ऐपण कलाकृति यदि खासियत की बात करें तो , वह लाल रंग की पृष्ठभूमि पर सूती कपड़े पर बना हुआ है। इस पर सफेद व नारंगी रंग से ऐपण कलाकृति यानी रंगों की लाइनें उकेरी गई है। चार फीट ऊंचे व डेढ़ फीट चौड़े कपड़े के ऊपरी हिस्से पर भगवान गणेश की आकृति बनी हुई है। कपड़े के निचले हिस्से में 2022 का हस्तनिर्मित कैलेंडर तैयार किया गया है। इसे प्रियंका शर्मा व उनकी टीम ने तैयार किया था।
ये भी पढ़े :- जम्मू – कश्मीर : कठुआ की अंतरराष्ट्री सीमा पर संदिग्ध गुब्बारा बरामद, इलाके में जारी किया गया हाई अलर्ट
क्या है ऐपण
ऐपण कला को कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है। यह लाल आैर सफेद रंगों की लाइनें होती हैं। दीवाली, देवी पूजन, लक्ष्मी पूजन, यज्ञ, हवन, जनेऊ, छठ कर्म, विवाह आदि मांगलिक अवसर पर घर की चौखट, दीवार, आंगन, मंदिर आदि को ऐपण से सजाया जाता है। पहले समय में गेरू (लाल मिट्टी) से जगह लीपकर उस पर चावल के आटे में पानी मिला सफेद लकीरें डाली जाती थी। अब बाजार के रंगों का प्रयोग होता है।