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क्या है कैरम का इतिहास, जानें खेल के मियम 

शारीरिक रूप से खेले जाने वाले अधिकांश खेल मेल मिलाप और सौहार्द पूर्ण संबंधों का प्रतीक होते हैं। वर्तमान पीढ़ी में इसका स्‍वरूप बदल रहा है, वे आज सामूहिक रूप से खेलने की बजाय फोन, विडियो गेम(Video game), इत्‍यादि में खेलना ज्‍यादा पसंद कर रहे हैं। लेकिन फिर भी आज ऐसे कई खेल हैं जिनका आनंद सामुहिक रूप से खेले जाने में ही आता है। कैरम भी ऐसे ही खेलों में से एक है। कैरम के खेल से कितने ही लोगों की बचपन की यादें जुड़ी होती हैं। छुट्टियों के दिनों में परिवार के साथ कैरम खेलने का आनंद ही कुछ और होता है। यह प्राचीन खेल अपनी सुगम्‍यता के कारण न सिर्फ अस्तित्‍व में बना हुआ है बल्कि विश्‍व स्‍तर पर फैल चुका है। यह महिलाओं और बच्‍चों तक सीमित नहीं है बल्कि इसे प्रतिस्‍पर्धी स्‍तर पर खेला जाता है।

इस लोकप्रिय खेल का उद्भव कहां से हुआ इसके प्रत्‍यक्ष लिखित प्रमाण तो किसी के पास नहीं हैं। परंतु माना जाता है कि इसका उद्भव, लिपि के विकास से भी पूर्व हो गया था, किंतु इस विषय में अलग अलग अवधारणाएं अवश्‍य हैं। कोई इसका स्रोत भारत में मानता है, कोई पुर्तगाल में और कुछ का मानना तो यह है कि इसका उद्भव बर्मा (म्‍यांमार) में हुआ है।

यही स्थिति ‘कैरम’ शब्‍द की भी है। इसके विषय में भी कोई जानकारी उपलब्‍ध नहीं है कि इसे प्रथम बार कब प्रयोग में लाया गया था। इसके विषय में भी कहा जाता है कि इसकी उत्‍पत्ति दक्षिण-पूर्व एशिया में तिमोर में हुयी थी, जिसे पुर्तगालीयों द्वारा प्रसारित किया गया। यदि बात की जाए भारत की, तो माना जाता है कि यहां इसका इतिहास 18वीं शताब्दी से भी पहले का है। प्राचीन काल में महाराजा अपने महलों में यह खेल खेलते थे। पटियाला के एक महल में कांच से बनी सतह वाला एक ऐसा कैरम बोर्ड आज भी उपलब्ध है।

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प्रारंभ में पश्चिमी जगत इससे अनभिज्ञ था, किंतु प्रथम विश्‍व युद्ध के बाद यह खेल बहुत लोकप्रिय हुआ। आज यह विश्‍व स्‍तर पर अपना स्‍थान बना चुका है तथा प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। आज विश्‍व के लगभग 50 देश इस खेल को खेलते हैं तथा इसकी देखरेख ‘अंतर्राष्ट्रीय कैरम फेडरेशन’(International Carrom Federation) द्वारा की जाती है। भारत में इस खेल का नियंत्रण एवं विस्‍तार ‘ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन’(All India Carrom Federation) द्वारा किया जाता है।

कैरम खेलने के लिए कुछ नियमावलियों को भी तैयार किया गया है। यह खेल एक चकोर काष्‍ठ बोर्ड में कुछ गोटियों की सहायता से खेला जाता है, जिसमें अधिकतम चार खिलाड़ी तथा न्‍यूनतम दो खिलाड़ी खेल सकते हैं। कैरम बोर्ड में गोटियों को वृत्‍ताकार में रखा जाता है जिसमें केन्‍द्र में लाल गोटी (रानी) तथा अन्‍य रंग (सफेद और काली) की गोटियों को इसके चारों ओर लगाया जाता है। सफेद गोटी को रानी गोटी के इर्द-गिर्द अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े ‘Y’ की आकृति के अनुसार लगाया जाता है। बोर्ड के प्रत्येक दो छिद्रो के मध्य एक लंबी पट्टी खींची जाती है| इस प्रकार से ये चार पट्टियां होती है| स्ट्राइकर(Striker) इन पट्टियों की दोनों रेखाओ कों छूकर रखा जाता है| स्ट्राइकर से गोटी पर निशाना लगाकर उसे छिद्र में डाला जाता है| प्रत्‍येक खिलाड़ी अपनी-अपनी साइड पर बैठता है तथा एक खिलाड़ी एक ही साइड से स्ट्राइक कर सकता है।
यह खेल मुख्य रूप से ज्यामिति और भौतिकी पर आधारित है। इसके लिए गहरी एकाग्रता और कौशल की भी आवश्यकता होती है।

कई आधुनिक खेलों की तरह ही, कैरम की सटीक उत्पत्ति अज्ञात है, ऐसा माना जाता है कि यह 18 वीं शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में उद्भूत हुआ था। कई लोगों का यह मानना है कि यह महाराजाओं के द्वारा रुपांकित किया गया था, इसका साक्ष्य पटियाला के महलों में स्थित एक सुंदर ग्लास टॉप में मिलता है। इसकी कई अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी खेली जा चुकी हैं। वर्ष 1988 में अंतरराष्ट्रीय कैरम महासंघ कि स्थापना चेन्नई, भारत में हुई। इसी वर्ष इस खेल के औपचारिक नियमों को प्रकाशित किया गया और यह धीरे धीरे अन्य देशों में लोकप्रिय होता हुआ, पूरी दुनिया में फैल गया।

ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन (एआईसीएफ) का गठन 4 मार्च 1956 को चेन्नई में मद्रास, सौराष्ट्र, बॉम्बे, दिल्ली, मध्य प्रदेश और हैदराबाद के साथ संबद्ध इकाइयों के रूप में हुआ था।फेडरेशन को भारत सरकार / खेल परिषद द्वारा 26 अक्टूबर 1970 को मान्यता मिली थी और सरकार से राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए नियमित अनुदान सहायता भी प्राप्त हुई। भारत सरकार ने फेडरेशन के सहायक सचिव पद की मंजूरी भी उसी वक़्त मंज़ूर की। भारतीय ओलंपिक संघ ने अक्टूबर 1997 के दौरान फेडरेशन को मान्यता दी।

यहां तक कि भारत में बॉलिवुड भी कैरम की प्रसिद्धि से आछुता नही रहा है। ‘स्ट्राइकर’, ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ जैसी फिल्मों में जाने -माने कलाकारों को कैरम खेलते दिखाया गया है। मुन्ना भाई एमबीबीएस में तो दिखाया गया है कि कैरम एक बुजुर्ग (जो एक बीमारी से परेशान है) को बिस्तर से उठने की ताकत देता है। फिल्म में इस बुजुर्ग का किरदार बहुत अहम रहा है।

कैरम खेलने के नियम निम्न हैं :-
1. यदि स्‍ट्राइकर छिद्र में गिर जाता है तो आपको एक गोटी तथा अपनी एक बारी छोड़नी पड़ेगी। यदि गोटी सहित स्‍ट्राइकर छिद्र में गिरता है तो आपको गोटी वापस रखनी पड़ेगी तथा दुबारा शोट मारने का अवसर दिया जाएगा।
2. यदि आपके प्रतिद्वंद्वी का स्‍ट्राइकर छिद्र में गिर जाता है तो उसे एक गोटी देनी पड़ेगी और यदि आपके साथ अब तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ है तो आपको एक अतिरिक्‍त अंक प्राप्‍त होगा।
3. यदि रानी के साथ एक अतिरिक्‍त गोटी छिद्र में चली जाती है, तो रानी आपकी हो जाएगी। इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कौन सी गोटी पहले गयी।
4. कैरम बोर्ड से यदि कोई गोटी उछल कर बाहर चली जाती है, तो गोटी को पुनः बोर्ड में रख दिया जाता है और यदि वह आधी बोर्ड के अंदर और आधी बोर्ड से बाहर रहती है तो उसे यथा स्थिति छोड़ दिया जाता है।
5. यदि आप अपनी विपक्षी की गोटी को छिद्र में डाल देते हैं तो आपको अपना एक अवसर खोना पड़ेगा। यदि आप उसकी अंतिम गोटी को छिद्र में डाल देते हैं तो आपको बोर्ड सहित अपने तीन अंक छोड़ने पड़ेंगे।
6. यदि आप रानी से पूर्व अपनी अंतिम गोटी को छिद्र में डालते हो तो आपको बोर्ड सहित अपने तीन अंक छोड़ने पड़ेंगे।

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